‘ग्लैमर गर्ल ऑफ इंडियन पॉलिटिक्स’ तारकेश्वरी सिन्हा: 26 साल की उम्र में सांसद, फिरोज से मोरारजी तक चर्चित रहे रिश्ते! बिहार की पहली महिला सांसद के बारे में जानिए

बिहार की पहली महिला सांसद के रूप में तारकेश्वरी सिन्हा को जाना जाता है. राजनीति के शीर्ष मुकाम हासिल करने वाली इस सांसद पर फिल्म भी बनी और रिश्तों को लेकर विवाद भी.

Tarkeshwari Sinha- फोटो : news4nation

Tarkeshwari Sinha : बिहार की राजनीति में तारकेश्वरी सिन्हा एक ऐसा नाम हैं, जिन्होंने न सिर्फ कम उम्र में संसद तक का सफर तय किया, बल्कि अपने व्यक्तित्व, बेबाकी और निजी जीवन को लेकर भी लंबे समय तक सुर्खियां बटोरीं। उन्हें देश की राजनीति में ‘ग्लैमर गर्ल ऑफ इंडियन पॉलिटिक्स’ कहा गया—एक ऐसी पहचान, जो बहुत कम नेताओं को नसीब हुई। 26 दिसम्बर को तारकेश्वरी सिन्हा की जयंती है। 


तारकेश्वरी सिन्हा का सार्वजनिक जीवन 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन से आकार लेने लगा। महज 16 वर्ष की आयु में वे पटना महिला महाविद्यालय में छात्र नेता के रूप में आंदोलन में सक्रिय रहीं। आज़ादी के बाद, 1952 के पहले आम चुनाव में उन्होंने पटना ईस्ट लोकसभा सीट से जीत दर्ज की। उस समय उनकी उम्र सिर्फ 26 वर्ष थी और वे देश की सबसे युवा सांसदों में शामिल हुईं। उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर स्वतंत्रता सेनानी शील भद्रा याजी को हराया।


इसके बाद 1957, 1962 और 1967 में वे बाढ़ (बरह) लोकसभा क्षेत्र से लगातार चुनाव जीतकर संसद पहुंचीं। मध्यमवर्गीय परिवार से आने वाली तारकेश्वरी सिन्हा के पिता सर्जन थे। उनकी शुरुआती शिक्षा कॉन्वेंट स्कूल में हुई और बाद में उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से एमएससी की पढ़ाई की। विदेशी शिक्षा और आधुनिक सोच के कारण वे उस दौर की अन्य महिला नेताओं से अलग मानी जाती थीं।


राजनीति, बेबाकी और इंदिरा गांधी से मतभेद

उर्दू शेरों से सजे भाषणों और धारदार वक्तृत्व के लिए पहचानी जाने वाली तारकेश्वरी सिन्हा संसद में बेबाक राय रखने के लिए मशहूर थीं। राममनोहर लोहिया जैसे दिग्गज नेताओं के साथ उनकी बहसों के किस्से आज भी राजनीतिक गलियारों में याद किए जाते हैं। 1969 में कांग्रेस विभाजन के दौरान उन्होंने इंदिरा गांधी का साथ छोड़कर मोरारजी देसाई और के. कामराज जैसे पुराने कांग्रेस नेताओं का दामन थामा। इसके बाद वे इंदिरा गांधी की कट्टर आलोचक के रूप में जानी गईं। हालांकि, यह भी उल्लेखनीय है कि जब तक वे सक्रिय राजनीति में रहीं, इंदिरा गांधी ने उन्हें कांग्रेस का टिकट दिया—यहां तक कि इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव में भी।


फिरोज से मोरारजी तक… रिश्तों की चर्चाएं

तारकेश्वरी सिन्हा का निजी जीवन भी कम चर्चा में नहीं रहा। राजनीतिक गलियारों में फिरोज गांधी (इंदिरा गांधी के पति) से लेकर मोरारजी देसाई तक के साथ उनके कथित प्रेम संबंधों की खूब बातें होती रहीं। हालांकि, इन रिश्तों को लेकर कभी ठोस प्रमाण सामने नहीं आए और अधिकतर बातें गॉसिप और राजनीतिक चर्चाओं तक ही सीमित रहीं। इसके बावजूद, उनकी छवि एक प्रभावशाली, स्वतंत्र और आत्मविश्वासी महिला नेता की बनी रही।


‘आंधी’ फिल्म से भी जुड़ा नाम

फिल्म निर्माता और गीतकार गुलजार की चर्चित फिल्म ‘आंधी’ (1975) को आमतौर पर इंदिरा गांधी से प्रेरित माना जाता है, लेकिन कई समीक्षकों का मानना है कि फिल्म के नायक के चरित्र में तारकेश्वरी सिन्हा की झलक भी दिखाई देती है।


हार के बाद राजनीति से संन्यास

1971 में उन्हें बेगूसराय सीट से पहली बार चुनावी हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद 1977 और 1978 में भी बेगूसराय और समस्तीपुर से वे चुनाव नहीं जीत सकीं। लगातार हार के बाद उन्होंने सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया और नालंदा में एक अस्पताल स्थापित किया, जहां मुफ्त इलाज की सुविधा उपलब्ध कराई गई।


14 अगस्त 2007 को निधन

आज भी वे बिहार ही नहीं, देश की राजनीति में एक ऐसी महिला नेता के रूप में याद की जाती हैं, जिन्होंने सौंदर्य, बुद्धिमत्ता, साहस और विवाद—सबको साथ लेकर राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाई।