तेजस्वी का एलान- बिहार की 243 सीटों पर होगा मुकाबला, महागठबंधन में सीट बंटवारे से पहले ही गूंजा सियासी शोर

Bihar Politics: विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन के भीतर सीटों के बंटवारे को लेकर खामोशी से चल रही जद्दोजहद अब खुले मंच पर गूंजने लगी है।

तेजस्वी का एलान- बिहार की 243 सीटों पर होगा मुकाबला- फोटो : social Media

Bihar Politics: बिहार की सियासत इन दिनों मानो उबाल पर है। विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन के भीतर सीटों के बंटवारे को लेकर खामोशी से चल रही जद्दोजहद अब खुले मंच पर गूंजने लगी है। मुज़फ्फरपुर के कांटी में आयोजित जनसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने ताल ठोंकते हुए कहा कि “तेजस्वी अब हर सीट पर लड़ेगा, संघर्ष करेगा और बिहार को नई राह देगा।” यह ऐलान महागठबंधन के घटक दलों के लिए न सिर्फ़ चौंकाने वाला है बल्कि आगे आने वाले दिनों की खींचतान का भी साफ़ संकेत है।

तेजस्वी यादव ने कांटी की धरती से जनता के सामने सरकार पर करारा हमला बोला। उन्होंने कहा, “आज बिहार में केवल जुमलों की बारिश हो रही है। वोट बिहार से और फ़ैक्ट्री गुजरात में, ये अब नहीं चलेगा।” उनकी आवाज़ में वही आक्रोश था जिसे विपक्ष जनता की नब्ज़ मानकर पेश कर रहा है। उन्होंने बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर स्मारक पार्क और प्रतिमा का अनावरण किया, रघुवंश प्रसाद सिंह की याद में बने द्वार का उद्घाटन किया और मंच से जनता को भरोसा दिलाया कि उनकी सरकार आएगी तो रोजगार, बिजली और सामाजिक न्याय पर ठोस काम होगा।

तेजस्वी यादव का कहना था कि सरकार हमारी नीतियों की नकल कर रही है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि हमने पेंशन, डोमिसाइल, मुफ्त बिजली की बात की तो सरकार हमारे दबाव में आई। अब हमारी ‘माई-बहिन मान योजना’ की नकल करते हुए 10 हजार रुपये देने की घोषणा कर रही है। लेकिन हमारी सरकार बनी तो पांच साल में हर महिला को डेढ़ लाख रुपये मिलेगा।

उनकी ज़ुबान से निकला एक और तंज चुनावी समर में खूब चर्चा बटोर रहा है— “यह सरकार चूहों को संरक्षण देती है। चूहा पुल काट लेता है, तो पुल गिर जाता है। अस्पताल में मरीज की आंख तक चूहा निकाल लेता है। चूहा मज़े ले रहा है और जनता परेशान है।” यह कटाक्ष दरअसल उस व्यवस्था की ओर इशारा है जिस पर विपक्ष भ्रष्टाचार और लापरवाही के आरोप लगातार लगाता रहा है।

लेकिन इस ऐलान से बड़ा सवाल महागठबंधन के भीतर उभर रहा है। 2020 के विधानसभा चुनाव में राजद ने 144 सीटों पर लड़कर 75 सीटें जीती थीं। कांग्रेस को 70 सीटें मिली थीं पर जीत हाथ लगी केवल 19 पर। अब कांग्रेस का दावा है कि उसकी ‘वोटर अधिकार यात्रा’ से जनता में नया भरोसा पैदा हुआ है और राहुल गांधी का संदेश वोट चोरी के खिलाफ़ मजबूती से पहुंचा है। ऐसे में कांग्रेस ज्यादा सीटों की ख्वाहिश रखती है। उधर झारखंड मुक्ति मोर्चा और पशुपति पारस की अगुवाई वाली लोक जनशक्ति पार्टी भी महागठबंधन के साथ है, जिससे समीकरण और जटिल हो रहे हैं।

कांग्रेस के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरू पहले ही संकेत दे चुके हैं कि अगर नई पार्टियां गठबंधन में आती हैं तो हर किसी को अपनी झोली से जगह खाली करनी पड़ेगी। यही वह बिंदु है जहां टकराव की जमीन पुख्ता हो रही है।

तेजस्वी का 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान विपक्षी एकता की तस्वीर को और पेचीदा कर सकता है। महागठबंधन में जहां एक ओर साझा उम्मीदवार उतारने की मजबूरी है, वहीं दूसरी तरफ हर दल अपनी ताक़त का दावा पेश कर रहा है।