भूमिहार के साथ से अस्थावां में लालटेन जलाएंगे तेजस्वी यादव! नीतीश की जदयू को मात देने का राजद का नया जातीय समीकरण, जानिए कौन होगा उम्मीदवार

वर्ष 2001 से नीतीश कुमार का मजबूत गढ़ रहे नालंदा के अस्थावां विधानसभा क्षेत्र में राजद को जीत दिलाने के लिए तेजस्वी यादव इस बार भूमिहार पर बड़ा दांव खेल सकते हैं.

Asthawan assembly- फोटो : news4nation

Bihar Vidhansabha Election: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में जदयू को मात देने के लिए राजद की ओर से इस बार के विधानसभा चुनाव में कई नए समीकरणों पर विचार किया जा रहा है. नालंदा के अस्थावां विधानसभा क्षेत्र में भी तेजस्वी यादव की राजद इस बार कुछ अलग सामाजिक और जातीय समीकरण के सहारे चुनाव जीतने की रणनीति पर काम कर सकती है. राजद सूत्रों के अनुसार नीतीश कुमार के गढ़ माने जा रहे अस्थावां में तेजस्वी यादव नए जातीय समीकरण के सहारे उम्मीदवार उतार सकते हैं. 


अस्थावां विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1951 में हुई थी और यह नालंदा लोकसभा सीट के सात विधानसभा क्षेत्रों में से एक है. वर्ष 2001 के उपचुनाव के बाद से यहां नीतीश कुमार का सिक्का चलता रहा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जो नालंदा जिले से ही आते हैं, उनका राजनीतिक प्रभाव अस्थावां पर स्पष्ट रूप से दिखाई देता है. 2001 के बाद से उनकी पार्टी यहां कभी नहीं हारी है समता पार्टी और जनता दल (यूनाइटेड) ने इस सीट पर लगातार छह बार जीत दर्ज की है. 2005 से चुनावी राजनीति में सक्रिय जद(यू) के जितेन्द्र कुमार अब तक अस्थावां से पांच बार जीत चुके हैं. उनके पिता अयोध्या प्रसाद ने भी 1972 और 1980 में कांग्रेस के टिकट पर इस सीट से जीत दर्ज की थी. 


निर्दलीय को तब्बजो

अस्थावां विधानसभा क्षेत्र का इतिहास काफी रोचक रहा है. यहां एक दौर में निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत का रिकॉर्ड बनाया. दिलचस्प बात यह है कि 1985 से 2000 तक लगातार चार बार और कुल पांच बार निर्दलीय उम्मीदवारों ने यहां जीत हासिल की थी. इसमें रघुनाथ प्रसाद शर्मा उर्फ आरपी शर्मा एक बड़े नाम के तौर पर रहे जिन्होंने तीन बार निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर विधायक का चुनाव जीता. उन्होंने 1985 व 1990 में लगातार दो चुनावों में निर्दलीय हैसियत में जीत हासिल की। एक बार कांग्रेस के अयोध्या प्रसाद को हराया तो दूसरी बाद जनता दल के विष्णुदास चौधरी को शिकस्त दी। 1995 के चुनाव में युवा नेता के तौर पर उभरे सतीश कुमार को निर्दलीय हैसियत में चुन लिया। जनता दल के प्रमोद नारायण सिन्हा दूसरे नम्बर पर रहे। 2000 के चुनाव में आरपी शर्मा ने फिर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर वापसी की। इस बार एनसीपी के टिकट पर मैदान में उतरे सतीश कुमार को हार का मुंह देखना पड़ा.


वोटों का समीकरण

अस्थावां विधानसभा क्षेत्र में 2020 में यहां कुल 2,91,267 पंजीकृत मतदाता थे, जो 2024 के लोकसभा चुनावों में बढ़कर 3,03,479 हो गए. यहां अनुसूचित जाति की आबादी कुल मतदाताओं का 25.19 प्रतिशत है, जबकि मुस्लिम मतदाता लगभग 5.1 प्रतिशत हैं. हालंकि चुनाव में मुख्य रूप से कुर्मी, भूमिहार, यादव, मुस्लिम और पासवान वोटर अहम भूमिका निभाते हैं. मौजूदा विधायक जितेंद्र कुमार भी कुर्मी जाति से हैं. 


कुर्मी वोट पर आरसीपी की नजर

किसी दौर में नीतीश कुमार के सबसे करीबी रहे आरसीपी सिंह इस बार अस्थावां में नीतीश कुमार को बड़ा झटका देना चाहते हैं. अस्थावां विधान सभा से लता सिंह वर्तमान विधायक जितेंद्र कुमार को टक्कर देने जा रही हैं. लता सिंह पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह की छोटी पुत्री हैं. वह जनसुराज के टिकट पर चुनाव में उतरेगी. चुकी आरसीपी सिंह भी कुर्मी जाति से आते हैं, ऐसे में वे कुर्मी वोटरों को अपनी ओर आकर्षित कर नीतीश कुमार के परम्परागत वोटरों को तोड़ने की कोशिश करेंगे. 


राजद का MYB समीकरण

तेजस्वी यादव राजद का लालटेन अस्थावां में जलाने के लिए इस बार जातीय समीकरण में मुस्लिम-यादव के साथ भूमिहार गठजोड़ बनाते दिख सकते हैं. सूत्रों की माने तो अस्थावां से आखिरी बार निर्दलीय विधायक रहे रघुनाथ प्रसाद शर्मा उर्फ आरपी शर्मा भूमिहार ही थे. यहां भूमिहार वर्ग के वोटरों को उनकी जाति का कोई उम्मीदवार  नहीं मिलने की स्थिति में ही एनडीए उम्मीदवार को भूमिहारों का बड़ा समर्थन मिलता है. इस बार तेजस्वी इसी फार्मूले को लागू कर सकते हैं और भूमिहार प्रत्याशी उतार सकते हैं. ऐसे में भूमिहार, यादव और मुसलमान का त्रिकोण राजद को मजबूत कर सकता है. 


कौन होगा भूमिहार उम्मीदवार

राजद की ओर से अस्थावां में जिन भूमिहार चेहरों को लेकर चर्चा है उसमें रविरंजन कुमार उर्फ छोटू मुखिया प्रमुख बताए जा रहे हैं. वे 24 साल में मुखिया बने और अभी उम्र 28 है. वे सबसे कम उम्र में सबसे ज्यादा वोटों से नालंदा जिले में मुखिया का चुनाव जीतने में सफल रहे. छोटू मुखिया की सक्रियता भी लगातार राजद के साथ है. राजद का प्रचार प्रसार करने से लेकर तेजस्वी यादव से मुलाकात को लेकर भी सक्रिय हैं. सोशल मीडिया पर राजद का भावी उम्मीदवार के रूप में पेश करने में उनके समर्थक जोर आजमाइश में लगे हैं. संभव है इस बार अस्थावां में भूमिहार, राजद और मुस्लिम गठजोड़ के सहारे वे तेजस्वी का लालटेन जला सकें. 

रंजन की रिपोर्ट