Bihar Politics: उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी में टूट? विधायकों से बातचीत हुई बंद, MLA ने छोड़ा पटना, सियासी सरगर्मी तेज

Bihar Politics: उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी में टूट का डर बना हुआ है। उपेंद्र कुशवाहा और उनके विधायकों के बीच बातचीत बंद है। कुशवाहा के एमएलए पटना छोड़ चुके हैं।बताया जा रहा है कि पार्टी के विधायक पार्टी से नाराज चल रहे हैं।

उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी में टूट !- फोटो : social media

Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बाद एक बार फिर सियासी सरगर्मी बढ़ गई है। एनडीए में जहां एक ओर केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी के सुर बदले बदले नजर आ रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय लोक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी पर टूट का डर मंडरा रहा है। चुनावी रिजल्ट आने के एक महीने के भीतर ही पार्टी पर टूट का खतरा मंडरा रहा है। उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी में असंतोष छाया हुआ है। 

पार्टी में टूट का डर 

सूत्रों के अनुसार इसकी बड़ी वजह बिना चुनाव लड़े बेटे को मंत्री बनाकर राजनीति में उतारना माना जा रहा है, जिससे पार्टी के भीतर असंतोष गहरा गया है। पार्टी के चार विधायकों में से तीन माधव आनंद, रामेश्वर महतो और आलोक सिंह बगावत की तैयारी में बताए जा रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, इन विधायकों और उपेंद्र कुशवाहा के बीच पिछले 15 दिनों से कोई बातचीत नहीं हुई है। चौथी विधायक कुशवाहा की पत्नी स्नेहलता हैं।

उपेंद्र कुशवाहा की आवास पर नहीं पहुंचे एमएलए 

लोकसभा के शीतकालीन सत्र के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने पटना स्थित आवास पर बुधवार शाम लिट्टी-पार्टी का आयोजन किया था, जिसमें तीनों विधायकों को आमंत्रित किया गया था। सभी विधायक पटना में मौजूद थे, लेकिन कार्यक्रम से कुछ घंटे पहले ही वे दिल्ली रवाना हो गए। दिल्ली जाने से पहले इन विधायकों ने भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नबीन से उनके आवास पर मुलाकात की, जिसके बाद पार्टी में टूट की अटकलें तेज हो गईं।

क्या टूट सकती है RLM?

राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, अगर समय रहते डैमेज कंट्रोल नहीं हुआ तो RLM में टूट तय मानी जा रही है। दल-बदल कानून के तहत यदि किसी दल के दो-तिहाई विधायक अलग दल में जाने का फैसला करते हैं तो वे ऐसा कर सकते हैं। RLM के चार विधायकों में तीन का एक साथ जाना इस शर्त को पूरा करता है।

किस दल का रुख कर सकते हैं विधायक?

रामेश्वर महतो पहले जदयू में रह चुके हैं और चुनाव से ठीक एक माह पहले RLM में शामिल हुए थे। माधव आनंद लंबे समय से उपेंद्र कुशवाहा के करीबी माने जाते हैं, हालांकि उनके भाजपा के शीर्ष नेताओं से भी अच्छे संबंध बताए जाते हैं। आलोक सिंह के भाई संतोष सिंह भाजपा नेता हैं और पिछली एनडीए सरकार में मंत्री रह चुके हैं। राजनीति जानकारों की मानें तो सभी एमएलए एनडीए के ही किसी दल में शामिल हो सकते हैं। 

जदयू-भाजपा के समीकरण पर असर

विधानसभा में फिलहाल भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है, जबकि जदयू उससे कुछ सीटें पीछे है। बसपा विधायक के जदयू में आने की संभावना पहले से जताई जा रही है। ऐसे में यदि RLM के तीन विधायक जदयू में शामिल होते हैं, तो जदयू की संख्या भाजपा के बराबर हो सकती है। वहीं, भाजपा के पास भी इन विधायकों को अपने पाले में करने का विकल्प मौजूद है, हालांकि फिलहाल उपेंद्र कुशवाहा और भाजपा के संबंध अच्छे बताए जा रहे हैं। उपेंद्र कुशवाहा इस समय भाजपा कोटे से राज्यसभा सांसद हैं और भाजपा के समर्थन से ही उनके बेटे दीपक प्रकाश को नीतीश कैबिनेट में मंत्री बनाया गया है। दीपक प्रकाश किसी सदन के सदस्य नहीं हैं, इसके बावजूद आखिरी समय में उन्हें मंत्री पद की शपथ दिलाई गई, जिसे पार्टी के भीतर असंतोष की बड़ी वजह माना जा रहा है।