Bihar Politics: गृह विभाग छोड़कर क्या संदेश देना चाहते हैं नीतीश? सम्राट की बढ़ती ताकत और सत्ता के बदले भूगोल की पढ़िए इनसाइड स्टोरी
Bihar Politics: बिहार की सियासत में गृह विभाग सिर्फ एक मंत्रालय नहीं, बल्कि सत्ता का असली ताज माना जाता है और नीतीश कुमार ने दशक भर तक इसे अपनी मुट्ठी में कसकर रखा। लेकिन इस बार ....
Bihar Politics: बिहार की सियासत में गृह विभाग सिर्फ एक मंत्रालय नहीं, बल्कि सत्ता का असली ताज माना जाता है और नीतीश कुमार ने दशक भर तक इसे अपनी मुट्ठी में कसकर रखा। लेकिन इस बार उन्होंने यह ताज भाजपा को सौंपकर एक बड़े राजनीतिक पैगाम की उद्घोषणा कर दी है। यह फैसला न सिर्फ विभागों का बंटवारा है, बल्कि एनडीए के भीतर बदलती ताक़त का खुला इशारा है जहां जेडीयू की तुलना में भाजपा का कद पहले से कहीं अधिक ऊंचा होकर उभर रहा है।
नीतीश कुमार के कार्यकाल में गृह विभाग हमेशा से उनका नियंत्रण तंत्र रहा है यहीं से कानून-व्यवस्था, सुरक्षा एजेंसियों और खुफिया मशीनरी पर सीधा अंकुश चलता था। इसीलिए इसे मुख्यमंत्री की ‘क्राउन ज्वेल’ कहा जाता रहा है। यह पहला मौका है जब नीतीश ने यह हीरा अपने हाथों से निकालकर अपने सहयोगी दल को दिया है। इससे साफ़ है कि बिहार की सत्ता के गलियारों में राजनीतिक पुनर्संरचना की नई पटकथा लिखी जा रही है।
बीजेपी नेता और डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी को गृह विभाग दिया जाना सिर्फ विभागीय देन-लेन नहीं है। यह संकेत है कि आने वाले दिनों में बिहार की प्रशासनिक धुरी अब सिर्फ सीएम आवास से नहीं घूमेगी, बल्कि सम्राट चौधरी के सरकारी निवास का भी नया केंद्र बनेगी। गृह विभाग यानी पुलिस, सुरक्षा, खुफिया और प्रशासन ये सब सीधे उनके नियंत्रण में आएंगे, और यह बात बिहार की राजनीति में सत्ता के संतुलन को नए सिरे से परिभाषित करती है।
यह कदम नीतीश कुमार की बदलती रणनीति को भी उजागर करता है। दो दशक तक सत्ता के हर अहम धागे को अपने हाथ में रखने वाले नीतीश अब रोज़मर्रा के प्रशासनिक बोझ से खुद को हल्का कर रहे हैं और भाजपा के साथ विश्वास और शक्ति-साझेदारी का नया मॉडल पेश कर रहे हैं। यह बदलाव दिखाता है कि नीतीश अपने राजनीतिक भविष्य को ध्यान में रखते हुए गठबंधन में भाजपा को अधिक स्पेस देने के लिए तैयार हैं शायद मजबूरी में, शायद रणनीति में।
दिलचस्प बात यह है कि इस फैसले का संकेत पहले ही मिल चुका था। चुनाव प्रचार के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने तारापुर में मंच से कहा था सम्राट को जिताइए, इन्हें बड़ी जिम्मेदारी मिलेगी और अब वह बात सियासी हकीकत बन चुकी है।गृह विभाग का भाजपा के पास जाना साफ़ संदेश देता है कि बिहार की राजनीति में भाजपा सिर्फ साझेदार नहीं, बल्कि सत्ता की केंद्र-धुरी बनने की राह पर है। सम्राट चौधरी का कद बढ़ा है, भाजपा का प्रभाव पक्का हुआ है, और नीतीश की सत्ता-समीकरण की पुरानी परंपरा में एक बड़ा बदलाव दर्ज हो गया है।