Bihar News : सियासत के दो बड़े दुश्मन मिलाएंगे हाथ, नीतीश के खास मंत्री पहुंचे पूर्व मंत्री के सरकारी आवास, हुई मुलाकात... बन गई बात...
बस शुभ मुहूर्त का इंतजार है. पिछले महीने के आखिरी सप्ताह के आखिरी दिन नीतीश के खासमखास मंत्री एक पूर्व मंत्री और वर्तमान विधायक के सरकारी आवास पर सियासी उद्देश्य साधने के लिए सुबह सुबह करीब सात बजे पधारते हैं. सम्भवतः यह पहले से तय था
Bihar News : समझने ही नहीं देती सियासत हम को सच्चाई, कभी चेहरा नहीं मिलता कभी दर्पन नहीं मिलता. सियासतदानों की सच्चाई भी कुछ इसी शेरो शायरी से मिलती जुलती है. एक दूसरे के खिलाफ बयान देकर यह साबित करने की इस कोशिश में दो दशक बिता देते हैं मानो ये एक दूसरे के सियासी तौर पर तो छोड़ दीजिये निजी सबसे बड़े दुश्मन हैं. लेकिन राजनीती को लेकर विश्लेषकों का मानना रहा है कि यहाँ कोई स्थाई दुश्मन या दोस्त नहीं होता. बिहार की सियासत में यह फिर से बहुत जल्द ही देखने को मिल सकता है.
बस शुभ मुहूर्त का इंतजार है. पिछले महीने के आखिरी सप्ताह के आखिरी दिन नीतीश के खासमखास मंत्री एक पूर्व मंत्री और वर्तमान विधायक के सरकारी आवास पर सियासी उद्देश्य साधने के लिए सुबह सुबह करीब सात बजे पधारते हैं. सम्भवतः यह पहले से तय था कि आज सियासी मुलाकात के सहारे वर्ष 2025 के विधानसभा चुनाव के लिए बिहार के राजनीतिक समीकरण को जदयू के लिए नया अमलीजामा पहनाया जाए. इसी के तहत नीतीश कुमार के कट्टर सियासी दुश्मन भी वहां पहुंचे. भैया-भैया वाले वातावरण में खूब बातचीत हुई. भैया जदयू के नैया पर चढ़ने को तैयार भी हो गए हैं. कब यह देखने वाली बात होगी.
चलिए अब आगे की बात. दरअसल बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अभी से सक्रिय हैं. ऐसे में वे जदयू को मजबूत करने के लिए तरकश में सारे तीरों को एक साथ रखना चाहते हैं. खासकर वैसे नेताओं पर नीतीश की नजर है जो एक दौर में जंगलराज के खिलाफ बिहार में नीतीश कुमार के साथ मिलकर सियासी संघर्ष किए. बाद के वर्षों में नीतीश से ऐसे कई नेता अलग हो गए और अपनी अलग सियासी राह पकड़ ली. लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव और इस बार के लोकसभा चुनाव से सबक लेते हुए नीतीश कुमार अब उन नेताओं को जोड़ना चाहते हैं जो अपने इलाके में प्रभावशाली हैं.
सीएम नीतीश की नजर ऐसे ही एक नेता पर है. ये नेता जी नीतीश कुमार से लेकर उपेंद्र कुशवाहा और रामविलास पासवान की पार्टियों को मजबूत करने में अहम भूमिका निभा चुके हैं. लोकसभा चुनाव भी जीते. लेकिन बाद में जिनके साथ मिलकर नीतीश कुमार को सियासी सबक सिखाने की रणनीति बनाई उन्होंने ने नीतीश के आगे नतमस्तक होना मंजूर कर लिया. वर्ष 2005 के विधानसभा चुनावों में उन्होंने बिहार के गांवों में घूमकर घूमकर नीतीश कुमार को अपनी जाति का हितैषी बताया था. तो अपने इस पुराने साथी को नीतीश फिर से तीर थमाना चाहते हैं.
सूत्रों का कहना है कि नेता जी को अपने दल में शामिल कराने की पहल नीतीश कुमार की ओर से हो चुकी है. पहले राउंड की बात में खासमखास वाले से भी खास जो संगठन में भी अभी सर्वोपरि हैं, उनकी मुलाकात हो चुकी है. लेकिन कहा जाता है न कि नेताओं में भी आपसी कम्पीटीशन होता है. ये उपलब्धि हमारी रही. खैर मुलाकात के दौरान नीतीश कुमार का संदेश भी मंत्री जी ने दे दिया. पुराने गिले-शिकवे भूलकर नए सिरे से जदयू संग मिलकर सियासत करने का अनुरोध किया. हालांकि अपने सिद्धांतों के लिए नीतीश कुमार को कई बार आड़े हाथों ले चुके नेता जी शुरू में यह मानने को तैयार नहीं थे. लेकिन सियासत में कोई किसी का सगा दोस्त नहीं होता और ना ही स्थाई दुश्मन होता है, जब उन्हें यह समझाया गया तो वे भी अब पुरानी रंजिश भूलने को तैयार हैं. नीतीश के खिलाफ ताल ठोंकने वाले नेता जी अब तीर थाम सकते हैं.