Bihar Vidhansabha Session: ‘कर्तव्य घोटाला’ में घिरे तेजस्वी यादव ! विधानमंडल सत्र शुरू होने के पहले जदयू ने बोला बड़ा हमला, नीरज ने खोला नेता प्रतिपक्ष का राज
जदयू के नीरज ने कहा, विधानमंडल के मानसून सत्र के दौरान तेजस्वी यादव कहां गायब थे? बिहार विधानसभा उपचुनावों में मिली हार के बाद क्या विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में वे शर्म से सदन में नजर नहीं आएंगे ? सदन में नहीं आना भी एक प्रकार ‘कर्तव्य घोटाला’ है
Bihar Vidhansabha Session: बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को जदयू ने सुझाव दिया है कि वे ‘कर्तव्य घोटाला’न करें. बिहार विधानमंडल के 25 नवंबर से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र के पहले रविवार को जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने तेजस्वी को निशाने पर लिया. उन्होंने कहा कि विधानमंडल के मानसून सत्र के दौरान तेजस्वी यादव गायब थे. अब बिहार विधानसभा उपचुनावों में महागठबंधन की हार के बाद क्या विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में वे शर्म से सदन में नजर नहीं आएंगे ? सदन में नहीं आना भी एक प्रकार ‘कर्तव्य घोटाला’ है.
दरअसल, एक दिन पहले ही बिहार की चार सीटों पर हुए विधानसभा उपचुनावों के परिणाम आए. इसमें राजद का सूपड़ा साफ हो गया. राजद को जहां 34 वर्षों में पहली बार बेलागंज विधानसभा सीट पर हार मिली और जदयू की मनोरमा देवी जीती. वहीं रामगढ़ में राजद के बिहार प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे अजित सिंह की करारी हार हुई. वे मुकाबले में तीसरे नम्बर पर रहे. इमामगंज में भी राजद प्रत्याशी को एनडीए की दीपा मांझी ने करारी मात दी. साथ ही राजद के साथ के बाद भी तरारी में सीपीआई (एमएल) के उम्मीदवार को भाजपा के विशाल प्रशांत को जीत मिली.
राजद को विधानमंडल के शीतकालीन सत्र शुरू होने के ठीक पहले लगे इस जोरदार झटके से जदयू में उत्साह है. नीरज कुमार ने तंज कसते हुए कहा कि 'वेतन घोटाला के आरोपी तेजस्वी यादव राजनीति में पराजय से शर्मसार होते हैं. विधानसभा के पिछले सत्र में पटना में रहते हुए राजनीतिक लज्जा के तहत विधानसभा नहीं गए. वे विपक्ष के नेता हैं, कैबिनेट मंत्री का दर्जा है, राजकोष के खजाने में का हिस्सा लेते हैं. अगर विधानसभा के प्रस्तावित सत्र में नहीं जाएंगे तो सैलरी घोटाला के साथ अब आपका नाम कर्तव्य घोटाला भी जुड़ने वाला है.
विधानमंडल के मानसून सत्र के दौरान तेजस्वी यादव के सदन से गायब रहने के कारण वे आलोचना में घिरे थे. ऐसे में अब शीतकालीन सत्र के दौरान भी अगर वे सदन नहीं जाते हैं तो इसे चुनावी हार का साइड इफेक्ट माना जा सकता है. इसी को लेकर जदयू अभी से हमलावर है.