Mandal vs Kamandal:भाजपा ने ऐसा निकाला काट कि जातीय जनगणना पर भारी पड़ गया कमंडल, भाजपा के जाल में लालू -राहुल फंसकर हो गए चित्त

भाजपा के जाल में लालू -राहुल फंसकर हो गए चित्त

Mandal vs Kamandal: इंडिया गठबंधन ने जातिगत जनगणना के मुद्दे को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया तो एक बात तो पक्की हो गई है कि जातिगत जनगणना के मुद्दे को इंडिया  ब्रह्मास्त्र की तरह इस्तेमाल कर रहा है. 1951 और 2011 के बीच, जवाहरलाल नेहरू से लेकर  इंदिरा गांधी और राजीव गांधी  तक कांग्रेसी प्रधानमंत्री जाति जनगणना के खिलाफ थे.भारत में आखिरी बार जाति जनगणना अंग्रेजों द्वारा कराई गई थी. 2011 राजद ने कांग्रेस पर जाति जनगणना कराने के लिए र दबाव डाला, जिससे कांग्रेस की दशकों से ऐसा न करने की घोषित नीति की स्थिति पलट गई. भारतीय राजनीति में जाति चुनावी परिणामों को प्रभावित करती रही है . जब भी भाजपा विरोधी दल जातिगत समीकरणों का सहारा लेते हैं, भारतीय जनता पार्टी अपनी राजनीतिक रणनीतियों के तहत एक ऐसे ब्रह्मास्त्र का उपयोग करती है, जिससे विरोधी चारो खाने चित्त हो जाते हैं.  यह ब्रह्मास्त्र भाजपा के  हिंदुत्व की राजनीति के रूप में देखा जाता है.

जाति आधारित राजनीति भारत में एक पुरानी परंपरा रही है. हर राजनीतिक दल समाजवादी पार्टी , बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल  ने अपने-अपने जातीय आधार पर वोट बैंक बनाने की कोशिश की है. अखिलेश यादव ने यादव समुदाय को एकजुट किया, मायावती ने दलितों को संगठित किया, और लालू प्रसाद यादव ने यादव मुसलमान के बीच अपनी पकड़ बनाई.

विपक्ष के मंडल की राजनीति के सामने भाजपा ने कमंडल का ब्रहमास्त्र चल दिया, जिसकी काट जाति की राजनीति करने वाले मुलायम, मायावती, लालू, रामविलास तक नहीं निकाल पाए थे. पहले योगी, फिर मोदी और संघ प्रमुख ने हिंदुओं के एकजुटता के आह्वान को मानो ऐसा पकड़ा कि कांग्रेस के पांव जमने से पहले हीं बारह हो गए.ताजा मामला  हरियाणा या जम्मू-कश्मीर का है जहां भाजपा को हिंदुओं ने खुलकर समर्थन किया है. इसके कारण भाजपा हरियाणा में सरकार बनाने जा रही है.  जम्मू में तो भाजपा को जबरा समर्थन मिला है.

भाजपा  विरोधी दल जातिगत दांव खेलते हैं, तो भाजपा अक्सर अपने विकासात्मक एजेंडे को आगे बढ़ाती है. इसका उद्देश्य यह दिखाना होता है कि वे सभी वर्गों के लिए समान अवसर प्रदान कर रहे हैं. इसके अलावा, बीजेपी हिंदुत्व का कार्ड भी खेलती है, जिससे वह हिंदू मतदाताओं को एकजुट करने में सफल होती है.

जम्मू इलाके में ताजा मतदान के बाद  भाजपा हालाकि सरकार नहीं बनाने जा रही लेकिन  उसके हिंदुत्व और राष्ट्रवादी राजनीति की धार कुंद पड़ती नहीं दिख रही है. जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को खत्म करने के बाद भाजपा ने जम्मू में अपना दबदबा बनाए रखा और फिर अजय रही है. जम्मू-कश्मीर में 60 सीटें मुस्लिम बहुल और 30 सीटें हिंदू बहुल है. हिंदू बहुल 30 सीटों में से बीजेपी 26 सीटें जीतने में कामयाब रही और तीन सीटें मुस्लिम इलाकों से जीती हैं.

बीजेपी का “ब्रह्मास्त्र” वास्तव में उसकी राष्ट्रीय पहचान और विकास के मुद्दों पर केंद्रित होता है. यह पार्टी न केवल हिंदू मतदाताओं को आकर्षित करती है बल्कि अन्य समुदायों से भी समर्थन प्राप्त करने की कोशिश करती है. , नरेंद्र मोदी सरकार सभी वर्गों को लाभान्वित करने का दावा करती हैं.

अखिलेश-मायावती या लालू जैसे नेता अक्सर जातिगत समीकरणों पर निर्भर रहते हैं लेकिन उनके पास बीजेपी जैसी व्यापक राष्ट्रीय दृष्टिकोण नहीं होता. इस कारण से वे चुनावी मुकाबले में पीछे रह जाते हैं जब बीजेपी अपने ब्रह्मास्त्र का उपयोग करती है.जब भी विरोधी दल जाति आधारित रणनीतियों का सहारा लेते हैं, बीजेपी अपनी विकासात्मक नीतियों और हिंदुत्व के सिद्धांतों के माध्यम से उन्हें चुनौती देती है.

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