Purnia Viral News: पूर्णिया में मिड-डे मील से बड़ा हादसा! 15 छात्राएं फूड पॉइजनिंग का शिकार, स्कूल में मचा हड़कंप

Purnia Viral News: पूर्णिया के गर्ल्स हाई स्कूल में मिड-डे मील खाने से 15 छात्राएं फूड पॉइजनिंग का शिकार। अत्यधिक तेल, दुर्गंध और प्रशासन की लापरवाही पर परिजनों का गुस्सा।

मिड-डे मील से फैली दहशत- फोटो : social media

Purnia Viral News: पूर्णिया के प्रभात कॉलोनी स्थित सरकारी गर्ल्स हाई स्कूल में सोमवार (17 नवंबर 2025) का दिन छात्राओं के लिए किसी डरावने अनुभव से कम नहीं रहा। मिड-डे मील में दी जाने वाली लिट्टी-चोखा खाने के बाद एक साथ कई बच्चियों की हालत बिगड़ने लगी। 12 से 14 वर्ष आयु वर्ग की 15 छात्राओं को अचानक उल्टी, सिरदर्द और बेहोशी जैसी स्थिति ने घेर लिया। जिस कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों को पोषण देना था, वही उनकी तबीयत खराब होने का कारण बन गया। यह मामला स्कूल प्रशासन की गंभीर लापरवाही का संकेत है।

खराब लिट्टी चोखा कैसे बना खतरा?

बीमार छात्राओं ने बताया कि सोमवार को परोसी गई लिट्टी में अजीब तरह की बदबू आ रही थी। तेल इतना अधिक था कि लिट्टी को हाथ में लेते ही वह चिपचिपी हो जा रही थी। बच्चियों के मुताबिक बाहर से लिट्टी जली हुई लग रही थी और अंदर का हिस्सा कच्चा था। चोखा का स्वाद भी सामान्य नहीं था। जीविका समूह (JEEViKA) की टीम वह भोजन तैयार कर रही थी। कई छात्राओं ने भोजन की गंध, स्वाद और रंग को लेकर पहले ही शिकायत कर दी थी, लेकिन उनकी आपत्ति को हल्के में लिया गया। किसी ने यह मानने की जरूरत नहीं समझी कि खराब भोजन बच्चों की जान जोखिम में डाल सकता है। यह वही स्थिति है जो बताती है कि स्कूलों में मिड-डे मील की निगरानी अक्सर केवल कागज़ों में रह जाती है।

अस्पताल में भर्ती छात्राएं रातभर चला इलाज

लिट्टी-चोखा खाने के कुछ मिनटों बाद ही कई बच्चियां अपना पेट पकड़कर रोने लगीं। किसी को चक्कर आने लगे, तो किसी के हाथ-पैर कांपने लगे। अचानक ब्लड प्रेशर गिरने की वजह से कई बच्चियों की हालत और खराब हो गई। स्कूल में अफरा-तफरी मचने के बाद सभी 15 लड़कियों को पूर्णिया GMCH ले जाया गया। अस्पताल में डॉक्टरों ने तुरंत सलाइन और दवाओं से उनका उपचार शुरू किया। डॉ. प्रज्ञा प्रसून ने बताया कि मामला साफ तौर पर फूड पॉइजनिंग का है, और खाने के नमूने जांच में भेजे गए हैं।

स्कूल प्रशासन के रवैये पर भड़के अभिभावक

इस पूरी घटना में सबसे दुखद बात यह रही कि स्कूल ने अभिभावकों को समय पर जानकारी देना भी जरूरी नहीं समझा। कई माता-पिता को तब पता चला जब किसी और छात्र ने फोन करके बताया कि उनकी बच्ची अस्पताल में है। जब परिजन स्कूल पहुंचे तो उन्हें गेट के बाहर रोक लिया गया।