Bihar School News: बिहार में परीक्षा के बीच गूंजी किलकारियां, गर्भवती छात्रा ने जन्म दिया स्वस्थ पुत्र, शिक्षकों ने दिखाई त्वरित सूझबूझ
Bihar School News: परीक्षा के दौरान तेज़ दर्द महसूस करने पर, केंद्र पर मौजूद महिला प्रोफेसर और अन्य महिला कर्मचारियों ने तुरंत सूझबूझ का परिचय देते हुए छात्रा को सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित किया और आवश्यक सहायता प्रदान की।
Bihar School News: कॉलेज में एक अनोखा और दिल छू लेने वाला नज़ारा देखने को मिला। समस्तीपुर जिले के रोसड़ा थाना क्षेत्र में स्थित थतीया गांव के शशि कृष्णा कॉलेज में शनिवार को स्नातक की अर्थशास्त्र परीक्षा देने आई गर्भवती छात्रा रविता कुमारी को अचानक परीक्षा केंद्र परिसर में प्रसव पीड़ा शुरू हो गई।
परीक्षा के दौरान तेज़ दर्द महसूस करने पर, केंद्र पर मौजूद महिला प्रोफेसर और अन्य महिला कर्मचारियों ने तुरंत सूझबूझ का परिचय देते हुए छात्रा को सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित किया और आवश्यक सहायता प्रदान की। इसी दौरान, रविता कुमारी ने कॉलेज परिसर में ही एक स्वस्थ पुत्र को जन्म दिया।
इस घटना के तुरंत बाद, कॉलेज प्रशासन ने स्थानीय रोसड़ा अनुमंडलीय अस्पताल को सूचना दी। अस्पताल की एंबुलेंस तुरंत मौके पर पहुंची और छात्रा तथा नवजात को सुरक्षित रूप से अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टर्स ने पुष्टि की कि जच्चा और शिशु दोनों पूरी तरह स्वस्थ हैं।
छात्रा की पहचान बेगूसराय जिले के छौड़ाही थाना क्षेत्र के मालपुर गांव निवासी और शिवम कुमार की पत्नी के रूप में हुई है। रविता कुमारी वर्तमान में हसनपुर थाना क्षेत्र के भारद्वाज कॉलेज से पढ़ाई कर रही हैं।
शैक्षणिक दृष्टि से देखें तो, गर्भवती महिलाओं के लिए परीक्षा केंद्रों पर आमतौर पर विशेष सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं, जैसे बैठने की व्यवस्था, आराम करने की जगह और शौचालय की सुविधा। हालांकि, ये सुविधाएं एग्ज़ाम बोर्ड और राज्य सरकार के नियमों पर आधारित होती हैं और इसके लिए पूर्व आवेदन देना अनिवार्य होता है।
यह घटना न केवल शैक्षिक संस्थानों में मानवीय दृष्टिकोण की मिसाल है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि जब सहयोग और त्वरित कार्रवाई होती है तो कठिन परिस्थितियों में भी जीवन सुरक्षित रखा जा सकता है। रविता कुमारी की यह कहानी उन सभी विद्यार्थियों और शिक्षकों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई है, जो शिक्षा और मानवता को साथ लेकर चलते हैं। इस प्रकार, समस्तीपुर का यह शैक्षिक परिदृश्य न केवल पाठशाला की सफलता, बल्कि मानवता और देखभाल की भावना का भी प्रतीक बन गया।