Bihar Siwan News: सिवान में प्रेमी जोड़े की अनोखी शादी! हाथों में मेंहदी की जगह हथकड़ी, बराती बने थानेदार-वकील, जानें कैसे हुआ अनुठा विवाह, देखें वीडियो
सिवान न्यायालय ने कैदी हरेराम सिंह को एक घंटे के लिए अस्थायी रूप से जेल से रिहा कर हिंदू रीति-रिवाज से शादी करने की अनुमति दी। यह अनोखा फैसला प्रेम और कानून के बीच संतुलन का उदाहरण है।

Bihar Siwan News: बिहार के सिवान जिले में एक अद्भुत न्यायिक निर्णय ने सभी का ध्यान खींचा है। व्यवहार न्यायालय के एसीजेएम प्रथम, कमलेश कुमार ने एक ऐसा आदेश पारित किया जिसने कानून और मानवीय संवेदनाओं के बीच संतुलन बिठाने की मिसाल पेश की। यह मामला एक युवा प्रेमी जोड़े से जुड़ा है, जिसमें न्यायालय ने कैदी हरेराम सिंह को एक घंटे के लिए जेल से रिहा कर हिंदू रीति-रिवाज से शादी करने की अनुमति दी। इस घटना ने न केवल स्थानीय लोगों को हैरान किया, बल्कि यह चर्चा का विषय भी बन गई कि कैसे न्याय व्यवस्था समाज की जड़ों को समझते हुए निर्णय ले सकती है।
प्रेम कहानी की शुरुआत
सिवान जिले के गोरियाकोठी प्रखंड के दुधरा गांव के हरेराम सिंह और भीठी निवासी खुशी कुमारी की मुलाकात कुछ वर्ष पहले हुई। दोनों का प्यार धीरे-धीरे गहरा होता गया, लेकिन खुशी के परिवार को यह रिश्ता स्वीकार्य नहीं था। समाजिक और आर्थिक असमानता के कारण लड़की के परिजनों ने इस संबंध का विरोध किया।
घर छोड़ने का फैसला
अप्रैल 2023 में, दोनों ने परिवार के विरोध के बावजूद साथ रहने का निर्णय लिया और गांव छोड़ दिया। इस घटना के बाद खुशी के परिवार ने हरेराम पर अपहरण का आरोप लगाते हुए सिवान थाने में एफआईआर दर्ज कराई। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दोनों को बरामद किया। जहां खुशी को परिवार को सौंप दिया गया, वहीं हरेराम को धारा 363 (अपहरण), 366 (विवाह के लिए अपहरण) और अन्य संबंधित धाराओं के तहत गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।
कानूनी लड़ाई का सफर
हरेराम ने न्यायालय में यह दलील दी कि खुशी ने स्वेच्छा से उनके साथ रहने का फैसला किया था और वह 18 वर्ष से अधिक उम्र की है। हालांकि, खुशी के परिवार ने उसकी उम्र को लेकर संदेह जताया और जन्म प्रमाण-पत्र की मांग की। इसके बाद न्यायालय ने मेडिकल जांच का आदेश दिया, जिसमें खुशी की उम्र 19 वर्ष पाई गई। इसके बावजूद, हरेराम को जमानत नहीं मिली और वह पिछले एक साल से सिवान जिला कारागार में बंद था।
न्यायालय का ऐतिहासिक आदेश
10 जून 2024 को एसीजेएम प्रथम कमलेश कुमार की अदालत में मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान हरेराम के वकील ने यह तर्क रखा कि खुशी अब भी हरेराम से शादी करने के लिए तैयार है और दोनों की सहमति से यह विवाह होना चाहिए। न्यायालय ने खुशी से सीधे पूछताछ की, जिसमें उसने स्पष्ट किया कि वह बिना किसी दबाव के हरेराम से विवाह करना चाहती है।
न्यायालय ने रखी अनूठी शर्तें
न्यायाधीश कुमार ने फैसला सुनाया कि यदि दोनों पक्ष एक घंटे के भीतर हिंदू रीति-रिवाज से विवाह करने को तैयार हैं तो हरेराम को अस्थायी रूप से जेल से रिहा किया जाएगा। इस आदेश के पीछे न्यायालय का तर्क था कि "विवाह एक सामाजिक संस्था है, और यदि दोनों वयस्क हैं तो उनके निर्णय का सम्मान किया जाना चाहिए।" साथ ही, न्यायालय ने यह सुनिश्चित किया कि शादी के बाद खुशी की सुरक्षा और उसकी इच्छा को प्राथमिकता दी जाए।
मंदिर में सुरक्षा घेरा
न्यायालय के आदेश के बाद हरेराम को कारागार से राधा-कृष्ण मंदिर लाया गया, जो न्यायालय परिसर के निकट स्थित है। उसके हाथों में हथकड़ी लगी थी, और चारों ओर पुलिस बल की तैनाती थी। खुशी पहले से ही मंदिर में अपने परिवार के बजाय वकीलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ मौजूद थी।
विवाह संस्कार
दोपहर 2 बजे, पंडित जी ने मंगलाष्टक शुरू किया। हरेराम ने हथकड़ी के साथ ही खुशी के साथ सात फेरे लिए। इस दौरान मंदिर के बाहर सैकड़ों लोगों की भीड़ जमा हो गई, जो इस अद्वितीय प्रेम कहानी को देखने आए थे। शादी के बाद, दोनों ने न्यायालय को आवश्यक दस्तावेज सौंपे, जिसमें शादी का प्रमाण-पत्र और तस्वीरें शामिल थीं।
परिवारों की प्रतिक्रिया
खुशी के परिवार ने इस विवाह का विरोध जारी रखा और मंदिर परिसर में उपस्थित नहीं हुए। वहीं, हरेराम के परिवार ने खुशी को अपनाने की घोषणा की। स्थानीय लोगों ने इस निर्णय को "प्रेम की जीत" बताया, जबकि कुछ ने इसे "कानून की नरमी" कहकर आलोचना की।
भविष्य की कार्यवाही
हालांकि शादी हो चुकी है, लेकिन हरेराम के खिलाफ लगे अपहरण के मामले की सुनवाई जारी रहेगी। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यदि खुशी अदालत में गवाही देती है कि उसका अपहरण नहीं हुआ था, तो आरोप स्वतः कमजोर हो जाएंगे। अगली सुनवाई 25 जून को निर्धारित की गई है।
सिवान से ताबिश इरशाद की रिपोर्ट