Bihar News: बुज़ुर्ग गुरुओं की पुकार, अवकाशप्राप्त शिक्षकों ने डीए एरियर भुगतान को लेकर सरकार से लगाई गुहार
Bihar News:सीवान की धरती पर शिक्षा की सुगंध बिखेरने वाले बुज़ुर्ग शिक्षक, जिन्होंने जीवन भर ज्ञान की दीपशिखा प्रज्वलित की, आज अपने ही हक़ की पुकार लेकर सरकार के दरवाज़े पर खड़े हैं।...
Bihar News:सीवान की धरती पर शिक्षा की सुगंध बिखेरने वाले बुज़ुर्ग शिक्षक, जिन्होंने जीवन भर ज्ञान की दीपशिखा प्रज्वलित की, आज अपने ही हक़ की पुकार लेकर सरकार के दरवाज़े पर खड़े हैं। जयप्रकाश विश्वविद्यालय छपरा के अवकाशप्राप्त शिक्षक संघ के सीवान ईकाई की बैठक वरिष्ठ शिक्षक डॉ. रामानंद पाण्डेय के आवास पर हुई, जहाँ वर्षों तक शिक्षा जगत को आलोकित करने वाले प्राध्यापक एकत्र हुए।
बैठक में डीए (महंगाई भत्ता) एरियर के भुगतान की माँग को लेकर गंभीर विमर्श हुआ। डॉ. पाण्डेय ने स्पष्ट किया कि मार्च 2024 से जून 2024 तक का चार फीसदी, जुलाई से दिसंबर 2024 तक का सात फीसदी, और जनवरी 2025 से मई 2025 तक का पाँच फीसदी डीए एरियर अब तक लंबित है। उन्होंने कहा कि यह बकाया रकम बुज़ुर्ग शिक्षकों के लिए जीवनरेखा के समान है, जिसका शीघ्र भुगतान होना चाहिए।
सभा में प्रो. ओबेदुल्लाह, प्रो. राजेंद्र सिंह, प्रो. रवींद्र पाठक, प्रो. सुरेंद्र पाण्डेय समेत कई प्रख्यात शिक्षकों ने अपनी आवाज़ मिलाई। इन वरिष्ठ शिक्षकों का कहना था कि उन्होंने युवावस्था और जीवन का सर्वश्रेष्ठ समय शिक्षा को समर्पित किया, किंतु अब सेवानिवृत्ति के पश्चात उनका कोई अन्य आय का साधन नहीं है। ऐसे में उनका डीए एरियर रोक कर रखना अमानवीय और अन्यायपूर्ण है।
सभी ने सामूहिक स्वर में नीतीश सरकार से अपील की कि शिक्षा विभाग इस विषय पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करे और तत्काल भुगतान सुनिश्चित करे। शिक्षकों का कहना है कि जिस प्रकार उन्होंने राज्य और समाज को विद्या का धन दिया, उसी प्रकार सरकार को भी उनके आर्थिक हक़ का सम्मान करना चाहिए।
दरअसल, यह केवल एरियर की मांग नहीं, बल्कि उन लोगों की पुकार है जिन्होंने अपनी पूरी ज़िंदगी कक्षा-कक्ष में पसीना बहाते हुए बिताई। अब जब वे अपकाशप्राप्त हैं तो उनसे उनकी वाजिब राशि छीन लेना न केवल उनके साथ अन्याय है, बल्कि शिक्षा के प्रति उनके योगदान का अपमान भी है।