शहाबुद्दीन के बेटे के लिए राजद विधायक ने छोड़ी विधानसभा सीट, AK 47 की गोली से जो नहीं मरा उसके खिलाफ लड़ेंगे चुनाव
सिवान की सियासत में फिर से दो बाहुबलियों के बीच विधानसभा चुनाव का मुकाबला होने के आसार हैं. इसमें जिस शख्स की मौत एके 47 की गोलियों से भी नहीं हुआ उसके खिलाफ अब ओसामा शहाब चुनाव मैदान में ताल ठोंकने को तैयार हैं.
Shahabuddin: सीवान की सियासत में शहाबुद्दीन परिवार की एंट्री के रास्ते बन गए हैं। सीवान के रघुनाथपुर विधानसभा सीट पर इस बार मुकाबला बेहद दिलचस्प होता नजर आ रहा है। राजद नेता और पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब ने आधिकारिक तौर पर अपने चुनावी सफर का आगाज़ कर दिया है। 20 अगस्त को आयोजित कार्यकर्ता सम्मेलन में सिटिंग विधायक हरिशंकर यादव ने मंच पर ओसामा को पगड़ी पहनाकर उन्हें जनता के सामने बतौर उम्मीदवार पेश किया। इस मौके पर हरिशंकर यादव भावुक हो उठे और कहा, "इस परिवार ने मुझे दो बार विधायक बनाया, अब हमारी बारी है कि हम ओसामा को जीत दिलाएं।"
हरिशंकर यादव और शहाबुद्दीन परिवार के बीच वर्षों पुराना राजनीतिक रिश्ता रहा है। उन्होंने 2015 व 2020 के चुनाव में जीत दर्ज की. उनको 2015 में टिकट शहाबुद्दीन ने दिलाया था. बाद में 2020 में भी उन्होंने रघुनाथपुर पर कब्जा बरकरार रखा। अब उन्होने शहाबुद्दीन के न रहने पर उनके बेटे ओसामा को कल पगड़ी बांधकर यह सीट उनके लिए छोड़़ दी है। यही नजदीकी अब ओसामा शहाब के सियासी भविष्य की मजबूत बुनियाद बनती दिख रही है। कार्यक्रम में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी ने भी स्पष्ट कर दिया कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने ओसामा को रघुनाथपुर से चुनावी तैयारी की अनुमति दे दी है। हालांकि, राजद की ओर से अब तक टिकट की औपचारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन पगड़ी पहनाने और मंच से समर्थन की घोषणा को राजद प्रत्याशी के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है।
एमवाई समीकरण का मजबूत गठजोड़
उल्लेखनीय है कि अप्रैल में ओसामा की मां हेना शहाब ने लालू यादव और तेजस्वी यादव से मुलाकात कर बेटे को रघुनाथपुर से चुनाव लड़ाने की मंशा जाहिर की थी। उन्होंने यह भी कहा था कि यह क्षेत्र शहाबुद्दीन का कर्मभूमि रहा है और परिवार को यहां की जनता पर पूरा भरोसा है। इस सीट पर मुस्लिम और यादव वोटर बड़ी संख्या में हैं। साथ ही ब्राह्मण और राजपूत मतदाताओं की संख्या भी अच्छी है। राजद के एमवाई यानी मुस्लिम- यादव समीकरण का बड़ा लाभ रघुनाथपुर में पार्टी को मिलता है। हरिशंकर यादव की लगातार दो बार हुई जीत में भी एमवाई के इस फार्मूले ने अहम भूमिका निभाई। अब ओसामा भी इसी वोट बैंक पर नजर बनाए हुए हैं।
खान ब्रदर्स से चुनौती
ओसामा के मैदान में आने से रघुनाथपुर की राजनीति गर्मा गई है। खासकर तब जब लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता रईस खान भी इसी सीट से टिकट की दावेदारी कर चुके हैं। जानकार मानते हैं कि यदि दोनों को उनकी-उनकी पार्टियों से टिकट मिलता है, तो यह मुकाबला सीधे शहाबुद्दीन बनाम खान ब्रदर्स, अयूब खान (बड़ा भाई) और रईस खान (छोटा भाई) , के बीच बदल जाएगा। यह सिवान की राजनीति में एक नई लड़ाई की पटकथा लिखेगा। इसी वर्ष जनवरी 2025 में खान ब्रदर्स लोजपा (रामविलास) में शामिल हुए थे। सीवान के हुसैनगंज के सहूली में एक मिलन समारोह का आयोजन किया गया जिसमें चिराग पासवान की मौजूदगी में खान ब्रदर्स पार्टी में शामिल हुए।
खान ब्रदर्स से पुरानी दुश्मनी
शहाबुद्दीन और रईस खान के बीच की दुश्मनी भी पुरानी है। हत्या, लूट, अपहरण और रंगदारी के कई मामलों के आरोप खान ब्रदर्स पर लगे हैं। साल 2022 में सिवान के विशाल सिंह, अंशु सिंह और प्रमोद सिंह की हत्या मामले में अयूब खान जेल गए थे। पुलिस की छानबीन में पता चला था कि अयूब खान ने तीनों के टुकड़े टुकड़े काटकर नदी घाट पर दफना दिए थे। इसी तरह के कई अन्य मामले भी खान ब्रदर्स के खिलाफ लगे हैं। खान ब्रदर्स ने सिवान में पूर्व बाहुबली और सिवान के डॉन शहाबुद्दीन का हमेशा विरोध किया। रईस खान ने विधान परिषद का चुनाव सिवान से लड़ा था लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। इसके पहले 2005 में जब खान ब्रदर्स के पिता कमरूल हक खान ने सपा से रघुनाथपुर विधानसभा से चुनाव लड़ा उसी वक्त कमरूल हक की किडनैपिंग हो गई। अपहरण का आरोप शहाबुद्दीन पर लगा। तब से ही दोनों के बीच अदावत शुरू हो गई।
एके 47 से हमला
अप्रैल 2022 में रईस खान जब अपने गांव ग्यासपुर जा रहा था, तभी महुवल गांव के पास उसपर एके 47 से हमला किया गया। हालांकि गोली रईस को नहीं लगी। हमले का आरोप शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा पर लगा। इसमें ओसामा सहित कुल आठ लोगों पर एफआईआर दर्ज कराई। रईस ने घटना के बाद नामजद लोगों पर हुसैनगंज थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई। ऐसे में अब रघुनाथपुर में अगर ओसामा और खान ब्रदर्स आमने-सामने होते हैं तो एक बेहद रोचक मुकाबला चुनाव में देखने को मिल सकता है।