फर्जी डीपीएम पर दो-दो केस पर उसी फर्जी डिग्री वाली उनकी पत्नी कैसे सुरक्षित, अब तक नहीं हुई कार्रवाई, नियुक्ति एवं करोड़ों के घोटाला से जुड़े कई संचिका गायब

ऑपरेशन आरोग्य पार्ट-2 के बाद फर्जी डिग्री पर नौकरी करने वाले तत्कालीन डीपीएम पर कार्रवाई शुरू हो गई है लेकिन उसी डिग्री पर निर्मली अस्पताल प्रबंधक बनी फर्जी डीपीएम की पत्नी पर अब सुरक्षित है।

डीपीएम दंपती के इस्तीफे के बाद बचाने की कोशिश- फोटो : विनय कुमार मिश्रा

Supaul - भ्रष्टाचार मुक्त जागरूकता अभियान संयोजक आरटीआई कार्यकर्ता सह जन सुराज नेता अनिल कुमार सिंह के ऑपरेशन आरोग्य पार्ट-2 के बाद फर्जी डिग्री पर नौकरी करने वाले तत्कालीन डीपीएम पर कार्रवाई शुरू हो गई है लेकिन उसी डिग्री पर निर्मली अस्पताल प्रबंधक बनी फर्जी डीपीएम की पत्नी पर अब सुरक्षित है। इसकी वजह से जिला स्वास्थ्य विभाग पर भी लगातार सवाल उठ रहा है। 

दरअसल फर्जी डिग्री पर नौकरी करने को लेकर तत्कालीन डीपीएम मो. मिनतुल्लाह पर सदर और सरायगढ़ थाना में धोखाधड़ी का मामला दर्ज हुआ लेकिन फर्जी डिग्री पर नौकरी करने वाली तत्कालीन डीपीएम मो. मिनतुल्लाह की पत्नी पर अब भी विभाग ने कार्रवाई शुरू नहीं की है। बताया जा रहा है कि 7 फरवरी 2022 को फर्जी डिग्री पर डीपीएम बनने के बाद मो. मिनतुल्लाह ने स्वास्थ्य विभाग पर एकतरफा कब्जा जमा लिया और अपने योगदान के एक साल बाद 28 मार्च 2023 उन्होंने फर्जी सर्टिफिकेट पर अपनी पत्नी को भी निर्मली अस्पताल प्रबंधक बना दिया और बिना कार्यालय गए ही वर्षों तक वह वेतन प्राप्त करती रही। 

नए डीएम सावन कुमार के आने के बाद फर्जी डीपीएम की पोल खुलते ही पत्नी ने भी नौकरी से इस्तीफा दे दी। 2 अगस्त को डीपीएम मिन्नतुल्लाह ने छुट्टी पर रहते हुए ही सिविल सर्जन सह सदस्य सचिव जिला स्वास्थ्य समिति सुपौल को उनके ऑफिसियल मेल पर त्याग पत्र लिखकर भेज दिया तो  डीपीएम की पत्नी ने भी पति के स्वास्थ्य का हवाला देकर सिविल सर्जन को ऑफीसियल मेल आईडी पर त्यागपत्र भेज दिया। तत्कालीन डीपीएम पर कार्रवाई के बाद उसी डिग्री पर नौकरी करने के बावजूद तत्कालीन निर्मली अस्पताल प्रबंधक पर कार्रवाई नहीं होने से विभाग सवालों के घेरे में है। 

फर्जी घोषित चंद्र मोहन झा (सीएमजे) यूनिवर्सिटी से ही प्राप्त दोनों डिग्री:

डीपीएम मो. मिन्नतुल्लाह और उनकी पत्नी निखत जहाँ परवीन दोनों की डिग्री फर्जी घोषित चंद्र मोहन झा (सीएमजे) यूनिवर्सिटी से ही प्राप्त है। बताया जा रहा है कि मेघालय के चंद्र मोहन झा (सीएमजे) यूनिवर्सिटी से एमबीए की डिग्री प्राप्त होने का दावा किया। विभाग में जमा सर्टिफिकेट के अनुसार डीपीएम मो. मिन्नतुल्लाह शैक्षणिक सत्र 2011-13 में पढ़ाई की और 2013 में एमबीए का सर्टिफिकेट प्राप्त किया। 

चंद्र मोहन झा (सीएमजे) यूनिवर्सिटी की स्थापना 20 जुलाई 2019 को निजी विश्वविद्यालय के रूप में हुई थी लेकिन मेघालय सरकार ने यूनिवर्सिटी को बंद करते हुए  यूनिवर्सिटी के संचालन अवधि के दौरान 2010 से 2013 तक जारी सभी शैक्षणिक प्रमाण पत्र को अवैध घोषित कर दिया था। निजी विश्वविद्यालय ने सरकार के निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट भी गया लेकिन वहां भी मामला खारिज हो गया। इसके बाद यूजीसी ने भी चंद्र मोहन झा (सीएमजे) यूनिवर्सिटी को फर्जी घोषित किया और इसी फर्जी डिग्री के सहारे मो.मिन्नतुल्लाह और उनकी पत्नी निखत जहाँ परवीन  लंबे समय से नौकरी करते रहे। 

डीपीएम पर दो अलग-अलग थानों में दर्ज हुआ केस

डीपीएम मो मिन्नतुल्लाह के खिलाफ अब तक दो अलग-अलग थानों में प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है। पहली प्राथमिकी 19 दिसंबर को सिविल सर्जन डॉ ललन कुमार ठाकुर द्वारा सदर थाना में दर्ज कराई गई थी। सदर थाना को दिए आवेदन में सीएस डॉ. ललन ठाकुर ने कहा है कि दरभंगा के अलीनगर थाना अंतर्गत बैनीपुर धमसेन निवासी मो. अंसारी के पुत्र मो. मिनतुल्लाह फर्जी डिग्री पर जिले में 16 फरवरी 2019 से 6 फरवरी 2022 तक प्रखंड स्वास्थ्य केंद्र सरायगढ़ में प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक के पद पर और 7 फरवरी 2022 से 2 अगस्त 2025 तक जिला स्वास्थ्य समिति में डीपीएम के पद पर कार्यरत्त थे।  वहीं दूसरी प्राथमिकी 22 दिसंबर को सामुदायिक सरायगढ़-भपटियाही स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ चंद्रभूषण मंडल द्वारा भपटियाही थाना में दर्ज कराई गई है। दोनों मामलों में आरोपी पर धोखाधड़ी समेत सुसंगत धाराओं के तहत केस दर्ज करते हुए न्यायोचित कार्रवाई की मांग की गई है। 

फर्जी डीपीएम और उनकी पत्नी को बचा में जुटा स्वास्थ्य महकमा:

फर्जी डीपीएम और उनकी पत्नी को बचाने में पूरा स्वास्थ्य महकमा जुटा हुआ है। फर्जी डीपीएम के कार्यकाल में स्वास्थ्य विभाग भ्रष्टाचारियों के रैकेट के रूप में तब्दील हो चुका था तो फर्जी डीपीएम पर कार्रवाई होने के बाद स्वास्थ्य विभाग पदाधिकारी भी उन्हें बचाने में जुटे है। फर्जी डीपीएम और उनकी पत्नी को बचाने के प्रयास का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि इस्तीफा देने के पांच महीने बाद भी डीपीएम और उनकी पत्नी ने प्रभार नहीं सौंपा है। 

उनके कार्यकाल के कई महत्वपूर्ण कागजात ( नियुक्ति एवं करोड़ों के घोटाला से जुड़े कई संचिका) का कोई अता पता नहीं है। यहीं नहीं अब तक फर्जी डीपीएम बर्खास्त भी नहीं किए गए। इस सब के बाद उनके काले कारनामें की जांच का तो कोई सवाल ही नहीं उठता है। फर्जी डीपीएम और उनकी पत्नी को बचाने की साजिश को लेकर सीएस और प्रभारी डीपीएम भी सवालों के घेरे में है।

रिपोर्ट - विनय कुमार मिश्रा