अब हर पेय 'चाय' नहीं! हर्बल और फ्लावर टी को 'चाय' कहना अब होगा गैर-कानूनी, FSSAI ने बदली परिभाषा
भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने साफ किया है कि 'चाय' सिर्फ उसी उत्पाद को कहा जा सकता है जो Camellia sinensis पौधे से बनी हो।
N4N Desk - भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने चाय की परिभाषा को लेकर बड़ा फैसला लिया है। अब केवल 'कैमेलिया साइनेसिस' (Camellia sinensis) के पौधे से बने उत्पादों को ही 'चाय' कहा जा सकेगा। जड़ी-बूटियों और फूलों से बनने वाले पेय पदार्थों को चाय के नाम से बेचना अब भ्रामक विज्ञापन माना जाएगा।
सिर्फ 'कैमेलिया साइनेसिस' ही है असली चाय
FSSAI ने 24 दिसंबर को जारी एक सख्त निर्देश में स्पष्ट किया है कि 'चाय' (Tea) शब्द का इस्तेमाल केवल उन्हीं उत्पादों के लिए किया जा सकता है जो Camellia sinensis पौधे से प्राप्त होते हैं। इसमें कांगड़ा चाय, पारंपरिक काली चाय, ग्रीन टी और इंस्टेंट टी जैसी किस्में शामिल हैं। प्राधिकरण का मानना है कि बाजार में चाय के नाम को लेकर लंबे समय से भ्रम की स्थिति बनी हुई थी, जिसे दूर करना आवश्यक है।
हर्बल और फ्लावर टी के नाम पर 'पाबंदी'
अक्सर कंपनियां जड़ी-बूटियों, मसालों या फूलों से बने पेय पदार्थों को ‘हर्बल टी’, ‘रूइबोस टी’ या ‘फ्लावर टी’ जैसे आकर्षक नामों से बेचती हैं। FSSAI ने दो टूक कहा है कि चूंकि ये उत्पाद चाय के पौधे से नहीं बनते, इसलिए इन्हें 'चाय' कहना फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट, 2006 का उल्लंघन है। अब कंपनियों को इन ड्रिंक्स के लिए 'टी' शब्द का इस्तेमाल बंद करना होगा।
भ्रामक लेबलिंग पर होगी सख्त कार्रवाई
नियामक ने फूड बिजनेस ऑपरेटर्स (FBOs) को चेतावनी दी है कि अगर किसी हर्बल पेय को चाय कहकर ब्रांडिंग की गई, तो उसे 'मिस-लेबलिंग' और 'भ्रामक विज्ञापन' की श्रेणी में रखा जाएगा। यह नियम मैन्युफैक्चरिंग, पैकिंग, मार्केटिंग और ई-कॉमर्स (ऑनलाइन बिक्री) सहित सभी प्रकार के व्यापार पर लागू होगा।
बदलने होंगे उत्पादों के नाम
इस आदेश के बाद अब मार्केट में बिकने वाली डिटॉक्स टी, आयुर्वेदिक टी या फ्लावर इन्फ्यूजन के नाम बदलने होंगे। हालांकि ये उत्पाद बाजार में मिलते रहेंगे, लेकिन कंपनियां इन्हें 'टी' या 'चाय' के नाम से प्रमोट नहीं कर सकेंगी। FSSAI ने राज्य के अधिकारियों को भी निर्देश दिया है कि वे ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों बाजारों में इसकी निगरानी करें।
उपभोक्ताओं को कैसे होगा फायदा?
FSSAI के इस कदम से उपभोक्ताओं को यह समझने में आसानी होगी कि वे जो पी रहे हैं, वह वास्तव में चाय की पत्तियां हैं या केवल हर्बल अर्क (Infusion)। इससे बाजार में पारदर्शिता आएगी और लोग सही उत्पाद का चुनाव कर सकेंगे।