भारत का सबसे बड़ा नक्सली हिडमा मारा गया, सीआरपीएफ के 76 जवानों की ली थी जान, कांग्रेस नेताओं की हत्या कर शव पर किया था पेशाब

76 जवानों की जान लेने में भी मुख्य भूमिका निभाने वाले भारत का सबसे बड़ा नक्सली हिडमा को CRPF ने एक मुठभेड़ में मार गिराया है.

naxal commander hidma killed - फोटो : news4nation

Naxal Commander Hidma :  दो दर्जन से अधिक बड़े नक्सली हमलों का मास्टरमाइंड कुख्यात माओवादी कमांडर मादवी हिडमा मारा गया है। 43 साल के हिडमा को ही 2013 के दरभा घाटी नरसंहार और 2017 के सुकमा हमले के लिए जिम्मेदार बताया गया था। कहा जा रहा है कि हिडमा को जिंदा या मुर्दा पकड़ने के लिए सुरक्षाबलों को 30 नवंबर तक की डेडलाइन दी गई थी। हिडमा के साथ ही उसके छह नक्सली भी मारे गए हैं।  


छत्तीसगढ़ में जारी नक्सल उन्मूलन अभियान के बीच एक मुठभेड़ में पुलिस और सुरक्षाबलों ने नक्सलियों के टॉप लीडर और पीएलजीए के कमांडर माड़वी हिडमा को ढेर कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि, हिडमा के साथ उसकी पत्नी को भी पुलिस ने मार गिराया है। यह पूरी मुठभेड़ छत्तीसगढ़-आंध्र बॉर्डर पर अंजाम दिया गया है।


नक्‍सली कमांडर मांडवी हिडमा के मारे जाने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शीर्ष अधिकारियों से बात की और उन्‍हें बधाई देते हुए उनका मनोबल बढ़ाया। अमित शाह ने नक्सली हिडमा को 30 नवंबर तक खत्म करने की डेडलाइन दी थी, ऑपरेशन 12 दिन पहले ही पूरा हो गया। 


सुरक्षा बलों ने आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सीमा पर स्थित घने पुल्लागंडी के जंगलों में 44 वर्षीय नक्सली नेता को मार गिराया. गृह मंत्री के आदेश से अवगत एक सूत्र ने बताया, 'केंद्रीय गृह मंत्री ने देश से माओवाद की समस्या के उन्मूलन के लिए 31 मार्च 2026 की समयसीमा तय की है.


बता दें कि सुकमा में 1981 में जन्मा हिडमा पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) की एक बटालियन का कमांडर और माओवादी केंद्रीय समिति का सदस्य था.हालांकि वो सिर्फ 10 वीं तक ही पढ़ा था, लेकिन अध्ययन की उसकी आदत ने उसे फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने में अभ्यस्त बना दिया था। बताते है कि, अंग्रेजी साहित्य के साथ माओवादी और देश-दुनिया की जानकारी हासिल करने में उसकी खासी रुचि थी।


वर्ष 1990 में मामूली लड़ाके के रुप में माओवादियों के साथ जुड़ने वाला यह आदिवासी सटीक रणनीति बनाने और तात्कालिक सही निर्णय लेने की क्षमता के कारण बहुत ही जल्दी एरिया कमाण्डर बन गया था। वर्ष 2010 में ताड़मेटला में सीआरपीएफ को घेरकर 76 जवानों की जान लेने में भी हिडमा की मुख्य भूमिका रही। इसके 3 साल बाद 2013 में जीरम हमले में कांग्रेस के बड़े नेताओं सहित 31 लोगों की जान लेने वाली नक्सली घटना में भी हिडमा के शामिल होने का दावा किया आजाता रहा है। वर्ष 2017 में बुरकापाल में हमला कर सीआरपीएफ के 25 जवानों की शहादत का जिम्मेदार भी इसी ईनामी नक्सली को माना जाता है। खुद ए के -47 रायफल लेकर चलने वाला हिडमा चार चक्रों की सुरक्षा से घिरा रहता था।