Patna Violence: पटना के अटल पथ पर बवाल के पीछे सोची-समझी साजिश, वार्ड पार्षद की साजिश में वकील भी शामिल, ₹2500 में खरीदे गए उपद्रवी, मंत्री की गाड़ी पर बरसे थे पत्थर

Patna Violence: 25 अगस्त की शाम राजधानी के अटल पथ पर जो बवाल मचा, वह अचानक भड़की भीड़ का गुस्सा नहीं था, बल्कि सुनियोजित ‘राजनीतिक नाटक’ था। ...

पटना के अटल पथ पर बवाल के पीछे सोची-समझी साजिश- फोटो : social Media

Patna Violence:पटना की सियासत और अपराध का संगम एक बार फिर सुर्खियों में है। 25 अगस्त की शाम राजधानी के अटल पथ पर जो बवाल मचा, वह अचानक भड़की भीड़ का गुस्सा नहीं था, बल्कि सुनियोजित ‘राजनीतिक नाटक’ था। इस नाटक के निर्देशक बताए जा रहे हैं  वार्ड-7 के पार्षद अमर कुमार उर्फ टुटू और उनके सहयोगी वकील श्वेत रंजन।SSP कार्तिकेय शर्मा ने मंगलवार को खुलासा किया कि पार्षद ने उपद्रवियों को ₹2500-₹2500 देकर बुलाया था। यही नहीं, उन्होंने वकील श्वेत रंजन को पूरे दो लाख रुपए दिए ताकि स्क्रिप्ट के मुताबिक सड़कों पर ‘क्रांति’ खेली जा सके। नतीजा  राजधानी का वीआईपी रोड अटल पथ ढाई घंटे तक रणभूमि में बदल गया।

दरअसल, 15 अगस्त को गोकुल पथ से 7 साल की लक्ष्मी और 5 साल के दीपक की संदिग्ध मौत के बाद परिजनों का आरोप था कि बच्चों की हत्या हुई है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ने दम घुटने को मौत की वजह बताया, लेकिन ‘हत्या की थ्योरी’ पर राजनीति का मसाला मिल चुका था। पार्षद और उनके सहयोगियों ने इसी मुद्दे को हवा देकर भीड़ जुटाई और अफवाह की आग से बवाल भड़काया।

सोमवार की शाम देखते ही देखते अटल पथ पर भीड़ उमड़ी। पहले सड़क जाम, फिर पथराव और उसके बाद गाड़ियों में तोड़फोड़। हालात इतने बिगड़े कि पुलिस को 2-3 राउंड हवाई फायरिंग करनी पड़ी। उग्र भीड़ ने राहगीरों को पीटा, गाड़ियां जलाईं और पुलिसकर्मियों को लहूलुहान कर दिया।बवाल की आंच में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे की गाड़ी भी फंस गई। उपद्रवियों ने उनकी गाड़ी पर 20 से ज्यादा पत्थर बरसाए, शीशे तोड़ दिए। मंत्री को पुलिस स्कॉट की मदद से किसी तरह निकाला गया। लालू यादव भी करीब डेढ़ घंटे तक जाम में फंसे रहे।

इस हिंसा में तीन पुलिसकर्मी  ASI मुकेश कुमार सिंह, गृह रक्षक नारद पासवान और ASI राजीव मिश्रा के सिर फट गए, जबकि 7–8 अन्य घायल हुए। फिलहाल 40 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और उन्हें पटना के अलग-अलग थानों में रखा गया है।

SSP का साफ कहना है  कि यह हिंसा अचानक नहीं थी, बल्कि राजनीतिक लाभ के लिए रची गई साजिश थी।” पार्षद और वकील ने भीड़ जुटाने के लिए अफवाहें फैलाईं। यहां तक कि मुआवजे की रकम मिलने पर हिस्सेदारी की लालच भी पाल रखी थी।

हालांकि, साजिश के आरोपित पार्षद का परिवार इसे ‘फर्जी फंसाने’ का मामला बता रहा है। भाई बिट्टू कुमार का कहना है कि अमर कुमार का श्वेत रंजन से कोई संबंध ही नहीं। उधर, कुछ लोग पुलिस पर मनमानी गिरफ्तारियों का आरोप लगा रहे हैं। बिहार की राजनीति में इंसाफ की मांग भी अब किराए के उपद्रवियों से लिखवाई जा रही है। जनता के गुस्से को ‘कैश’ करने का खेल इस बार अटल पथ पर खेला गया, जहां लोकतंत्र की साख एक बार फिर पत्थरों और आग के धुएं में धुंधला गई।

रिपोर्ट- कुलदीप भारद्वाज