पीएम और RSS पर विवादित कार्टून बनाकर मुसीबत में फंसे हेमंत, सुप्रीम कोर्ट का राहत देने से इनकार लगाई फटकार "यह फ्रीडम ऑफ स्पीच का दुरुपयोग है"
सुप्रीम कोर्ट ने कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय को प्रधानमंत्री मोदी और RSS पर बनाए गए कथित आपत्तिजनक कार्टून के मामले में गिरफ्तारी से राहत देने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने टिप्पणी में कहा , "यह फ्रीडम ऑफ स्पीच का दुरुपयोग है."
N4N डेस्क : इंदौर निवासी विवादास्पद कार्टून बनाने वाले के कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय की अग्रिम जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए उन्हें किसी भी तरह की राहत देने से इनकार कर दिया. जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने मौखिक रूप से टिप्पणी करते हुए कहा, ‘यह फ्रीडम ऑफ स्पीच का दुरुपयोग है. हम इसे आंख मूंदकर नहीं मान सकते.कार्टूनिस्ट या स्टैंडअप कॉमेडियन होने का मतलब यह नहीं कि आप कुछ भी कह सकते हैं.
कोर्ट कहा कि याचिकाकर्ता 50 साल के हैं, फिर भी परिपक्वता नहीं है. हम मानते हैं कि यह कार्टून भड़काऊ है.कार्टून आक्रमक हो सकता है, लेकिन यह जरूरी नहीं कि वह अपराध हो. कोर्ट ने यह भी पूछा कि ट्वीट सिर्फ हटाना काफी है या माफी भी चाहिए?कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय की ओर से दायर अग्रिम जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 15 जुलाई को सुनवाई करेगा. मालवीय के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को लेकर बनाए गए एक कथित आपत्तिजनक कार्टून को लेकर मानहानि का मामला दर्ज है.
मालवीय परपूर्व से भी हैं कई मुकदमे
हेमंत मालवीय अपने कार्टूनों के जरिये राजनीतिक मुद्दों पर टिप्पणी के लिए जाने जाते हैं. यह पहली बार नहीं है जब उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया हो.इससे पहले वर्ष 2022 में उन पर उत्तराखंड पुलिस ने योग गुरु रामदेव के कथित अश्लील पोस्टर बनाने के आरोप में केस दर्ज किया गया था.दिसंबर 2022 में पीएम मोदी की मां की मौत के बाद कथित रूप से अपमानजनक बयान देने के लिए इंदौर पुलिस ने उनके खिलाफ मामला दर्ज किया था.