आज खुलेगा माता का पट, ऐसे करें महासप्तमी पर कालरात्रि पूजा, चार दिन तक बरसेगा आनंद और वैभव, दुःख-भय का होगा नाश
Navratra 2025: शारदीय नवरात्र की दिव्य छटा से सम्पूर्ण नगर आस्था व श्रद्धा में अभिभूत हो उठा है।भजन-कीर्तन की मधुर ध्वनि, शंख-घंटों की गूंज एवं दुर्गासप्तशती पाठ की पवित्र ध्वनि वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से अनुप्राणित कर रही है।..
Navratra 2025: शारदीय नवरात्र की दिव्य छटा से सम्पूर्ण नगर आस्था व श्रद्धा में अभिभूत हो उठा है। प्रत्येक मार्ग, प्रत्येक चौक तथा पूजा मंडपों से भजन-कीर्तन की मधुर ध्वनि, शंख-घंटों की गूंज एवं दुर्गासप्तशती पाठ की पवित्र ध्वनि वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से अनुप्राणित कर रही है। देवी के मंदिरों में आरती व स्तोत्रोच्चारण से भक्तों का मन भाव-विभोर हो रहा है।
सोमवार को नगर के प्रमुख दुर्गामंदिरों के पट उद्घाटित होते ही दर्शनार्थियों की लंबी कतारें उमड़ पड़ेंगी। श्रद्धालु माता के विहंगम दर्शन कर अनुग्रह प्राप्त करेंगे।
आज शारदीय नवरात्र की सप्तमी तिथि पर माता दुर्गा का पट मूल नक्षत्र व सौभाग्य योग में उल्लिखित विधि से खोला जाएगा। इस दिन माता कालरात्रि की पूजन-अर्चना एवं मध्यरात्रि में महानिशा पूजा का विशेष महत्व है। आज से आरम्भ होकर आगामी चार दिनों तक श्रद्धालु माता की विशेष आराधना करेंगे और पुण्यलाभ प्राप्त करेंगे।
पट खुलने के उपरान्त पत्रिका प्रवेश तथा महानिशा पूजा सम्पन्न होगी। मंगलवार 30 सितम्बर को महाष्टमी पर माता महागौरी की पूजा एवं श्रृंगार पूजन किया जाएगा। बुधवार 1 अक्टूबर को महानवमी पर सिद्धिदात्री माता की आराधना, दुर्गासप्तशती पाठ का समापन, हवन, पुष्पांजलि एवं कन्या पूजन विधिपूर्वक सम्पन्न होगा। इसके उपरान्त गुरुवार 2 अक्टूबर को विजयादशमी का पर्व मनाते हुए माता की विदाई और जयंती धारण की जाएगी।
मां कालरात्रि की उपासना से समस्त भय व दुःख दूर होते हैं। देवी अपने भक्तों की अकाल मृत्यु से रक्षा करती हैं तथा भूत-प्रेत, दुष्ट-शक्ति, ग्रहबाधा और शत्रु से मुक्ति प्रदान करती हैं। अग्नि-भय, जल-भय, जंतु-भय या रात्रि-भय से भक्त निर्भीक रहते हैं।
नवरात्र में कन्या पूजन का विशेष महत्व है। तीन से नौ वर्ष की कन्याएं साक्षात भगवती का रूप मानी जाती हैं। वैदिक परम्परा में महानवमी पर कन्या पूजन होता है, जबकि बांग्ला पद्धति में अष्टमी पर। शास्त्रों के अनुसार एक कन्या की पूजा से ऐश्वर्य, दो से भोग-मोक्ष, तीन से धर्म-अर्थ-काम, पांच से विद्या, छः से सिद्धि तथा नौ कन्याओं की अर्चना से पृथ्वी पर प्रभुत्व की प्राप्ति होती है।