Sawan Somwar 2025: सावन 2025 में जलाभिषेक करने का जानें सही तरीका! जानें पूजा करने की सही विधि

Sawan Somwar 2025: सावन 2025 में शिवभक्त 4 सोमवार को जलाभिषेक करेंगे। जानिए शिवलिंग पर जल चढ़ाने का महत्व, सही विधि, मंत्र और शुभ समय।

सावन में शिवलिंग पर जलाभिषेक- फोटो : social media

Sawan Somwar 2025: सावन, हिन्दू पंचांग का पवित्र महीना, भगवान शंकर (महादेव) को समर्पित होता है। मान्यता है कि इसी माह शिव जी ने माता पार्वती को पत्नी रूप में स्वीकार किया था। यही कारण है कि यह महीना भोलेनाथ के सबसे प्रिय महीनों में से एक है।

समुद्र मंथन से निकले कालकूट विष को जब शिव जी ने पिया, तब उनकी पीड़ा को शांत करने के लिए देवताओं और ऋषियों ने जलाभिषेक किया था। तभी से सावन में जल चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है।

सावन 2025 में सोमवार की तिथियाँ

इस वर्ष सावन की शुरुआत 11 जुलाई 2025 से हो रही है। इस बार कुल 4 सावन सोमवार पड़ रहे हैं:

सावन सोमवार    तिथि

पहला सोमवार    14 जुलाई 2025

दूसरा सोमवार    21 जुलाई 2025

तीसरा सोमवार    28 जुलाई 2025

चौथा सोमवार    4 अगस्त 2025

इन चारों सोमवार को विशेष पूजा, व्रत और जलाभिषेक करने से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

शिवलिंग पर जलाभिषेक का धार्मिक महत्व

“एक लौटा जल, सारी समस्याओं का हल” – यह केवल एक पंक्ति नहीं, बल्कि हजारों वर्षों से चली आ रही आस्था और अनुभव का सार है।

जलाभिषेक से मिलने वाले लाभ:

शारीरिक व मानसिक शांति

घर-परिवार में सुख-समृद्धि

आर्थिक समस्याओं से मुक्ति

वैवाहिक जीवन में सामंजस्य

रोग, संकट और भय से रक्षा

भगवान शिव “भोलानाथ” हैं – वह भक्त की श्रद्धा मात्र से प्रसन्न हो जाते हैं, चाहे जल एक लोटा ही क्यों न हो।

जलाभिषेक कैसे करें? सही विधि और प्रक्रिया

चरण 1: पूजा की तैयारी

साफ-सुथरे वस्त्र पहनें।

उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।

शिवलिंग को जल, गंगाजल, दूध, शहद, दही या पंचामृत से स्नान कराएं।

चरण 2: जल चढ़ाने की विधि

तांबे के लोटे में जल लें।

शिवलिंग पर जल पतली धारा में धीरे-धीरे चढ़ाएं।

“ॐ नमः शिवाय” मंत्र का निरंतर जाप करें।

चरण 3: पूजन सामग्री अर्पण

बेलपत्र (3 पत्तों वाला), भांग, धतूरा, सफेद फूल, अक्षत, चंदन आदि अर्पित करें बाद में शिव आरती करें और प्रसाद चढ़ाएं।

जलाभिषेक का शुभ समय

प्रदोष काल को शिव पूजन के लिए सबसे शुभ माना गया है, लेकिन जलाभिषेक के लिए ब्रह्म मुहूर्त से लेकर सुबह 11 बजे तक का समय उत्तम है।

विशेष समय

ब्रह्म मुहूर्त: सूर्योदय से पहले का समय

प्रातःकाल: सुबह 5 बजे से 8 बजे तक

प्रदोष काल: सूर्यास्त से पहले का 1.5 घंटा

इन समयों में पूजा करने से कर्म सिद्धि और फल जल्दी मिलता है।

जलाभिषेक के समय कौन से मंत्र बोलें?

शिव पूजा में मंत्रों का जाप अत्यंत प्रभावशाली माना गया है। नीचे कुछ विशेष मंत्र दिए गए हैं जो जलाभिषेक के समय बोले जा सकते हैं।

ॐ नमः शिवाय।

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्।

ॐ शर्वाय नम:।

ॐ पार्वतीपतये नमः।

ॐ विरूपाक्षाय नम:।

ॐ विश्वरूपिणे नम:।

इन मंत्रों का श्रद्धा से जाप करने से पूजा पूर्ण मानी जाती है।