Chhath puja: छठ पूजा का दूसरा दिन आज, आम की लकड़ी पर बनेगा पवित्र खरना प्रसाद, जानिए पूजा विधि

छठ पूजा का दूसरा दिन खरना या लोहंडा के नाम से जाना जाता है। इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखते हैं और शाम को सूर्यास्त के बाद गुड़ की खीर और रोटी का प्रसाद तैयार करते हैं। ...

छठ पूजा का दूसरा दिन आज- फोटो : social Media

Chhath puja: हिंदू धर्म में कार्तिक मास का विशेष धार्मिक महत्व माना गया है। यह महीना भक्ति, व्रत और पर्वों से भरा होता है। इसी मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा प्रारंभ होता है। चार दिनों तक चलने वाला यह पर्व सख्त नियमों, शुद्धता और अनुशासन के साथ मनाया जाता है। पहले दिन नहाय-खाय के बाद दूसरे दिन आता है खरना, जो छठ पूजा का सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण चरण माना जाता है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाने वाला यह अनुष्ठान व्रतियों के 36 घंटे के निर्जला उपवास की शुरुआत का प्रतीक है।

गुड़ की खीर और रोटी होता है खरना का प्रसाद

छठ पूजा का दूसरा दिन खरना या लोहंडा के नाम से जाना जाता है। इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखते हैं और शाम को सूर्यास्त के बाद गुड़ की खीर और रोटी का प्रसाद तैयार करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह प्रसाद मिट्टी के नए चूल्हे पर केवल आम की लकड़ी जलाकर बनाया जाता है। आम की लकड़ी को शुद्ध और सात्विक माना गया है, और छठी मइया की प्रिय भी मानी जाती है।

नए चूल्हे और आम की लकड़ी का विशेष महत्व

खरना के दिन व्रती मिट्टी का नया चूल्हा तैयार करते हैं, जिस पर पहले कभी कोई भोजन नहीं पकाया गया हो। यह चूल्हा व्रती स्वयं बनाते हैं या किसी पवित्र व्यक्ति से बनवाते हैं। प्रसाद बनाने के लिए गुड़, चावल, दूध और घी का प्रयोग किया जाता है। खीर पीतल या मिट्टी के बर्तन में पकाई जाती है और इसके साथ गेहूं की पूड़ी या रोटी तैयार की जाती है।

आम की लकड़ी जलाने से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा और पवित्रता फैलती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अन्य लकड़ियों का धुआं अशुद्ध और छठी मैया को अप्रसन्न करने वाला माना जाता है, जबकि आम की लकड़ी का धुआं वातावरण को शुद्ध करता है।

सूर्य अर्घ्य के बाद ग्रहण किया जाता है प्रसाद

शाम को व्रती सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करते हैं और फिर खरना प्रसाद ग्रहण करते हैं। इसके बाद से 36 घंटे का निर्जला उपवास आरंभ होता है। मान्यता है कि खरना पर बनी खीर छठी मइया का प्रसाद होती है, जो संतान सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि का आशीर्वाद देती है। प्रसाद को परिवार और पड़ोसियों में बांटने से घर में एकता, सुख-शांति और समृद्धि आती है। खरना केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह शुद्धता, अनुशासन और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक है। मिट्टी के चूल्हे, आम की लकड़ी और सात्विक प्रसाद के साथ यह पर्व भक्ति और सादगी के अद्भुत संगम का दर्शन कराता है।

साक्षी कुमारी की रिपोर्ट