Solar eclipse: साल के दूसर सूर्य ग्रहण को लेकर होने वाला है अद्भुत संयोग और ज्योतिषीय महत्व! जानें जरूरी बात

Solar eclipse:21 सितंबर 2025 को साल का दूसरा सूर्य ग्रहण लगेगा। यह अंटार्कटिका और ऑस्ट्रेलिया से दिखाई देगा, लेकिन भारत में नहीं दिखेगा। जानिए इसकी अवधि, प्रभाव, ज्योतिषीय महत्व और सावधानियां।

वर्ष के दूसरे सूर्य ग्रहण को लेकर उत्सुकता- फोटो : social media

Solar eclipse: ग्रहणों को हमेशा से ही रहस्यमय और महत्वपूर्ण माना गया है। खगोलशास्त्र के अनुसार, 2025 में एक विशेष संयोग बन रहा है। अभी 15 दिन पहले ही चंद्रग्रहण हुआ था और अब 21 सितंबर को सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। यह घटना वैज्ञानिकों और ज्योतिषियों के साथ-साथ आम लोगों के लिए भी उत्सुकता का विषय है।

इस संयोग को अद्भुत इसलिए माना जा रहा है क्योंकि सामान्यतः ग्रहणों के बीच इतना कम अंतराल देखने को नहीं मिलता। इससे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से आकाशीय पिंडों की गति को समझने का अवसर मिलता है, वहीं धार्मिक और ज्योतिषीय मान्यताओं में इसे विशेष फलदायी और कभी-कभी चुनौतीपूर्ण समय भी माना जाता है।

ग्रहण की अवधि और दृश्यता

इस सूर्य ग्रहण का समय रविवार की रात 10:59 बजे से शुरू होकर सोमवार की सुबह 03:23 बजे तक रहेगा। कुल अवधि लगभग 4 घंटे 24 मिनट की होगी।यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा क्योंकि उस समय यहाँ रात्रि का गहन समय होगा। लेकिन इसका स्पष्ट दृश्य दक्षिणी प्रशांत महासागर, ऑस्ट्रेलिया (न्यू साउथ वेल्स, क्वींसलैंड, तस्मानिया, विक्टोरिया), न्यूजीलैंड, फिजी और अंटार्कटिका के कुछ हिस्सों से देखा जा सकेगा।भारत में इसका प्रत्यक्ष प्रभाव भले न हो, लेकिन ज्योतिषीय दृष्टि से इसका असर राशियों और लोगों की मानसिक-आध्यात्मिक स्थिति पर माना जाता है।

सूर्य ग्रहण का ज्योतिषीय प्रभाव

भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हर ग्रहण सभी राशियों पर अपना असर डालता है।कुछ राशियों के लिए यह ग्रहण नए अवसर, आत्मविश्वास और तरक्की का संकेत दे सकता है।वहीं कुछ राशियों को इस दौरान स्वास्थ्य, रिश्तों या करियर से जुड़ी बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है।ग्रहण का असर मुख्यतः व्यक्ति की जन्मकुंडली और ग्रह-स्थिति पर निर्भर करता है। इसलिए इसका फल हर किसी के लिए अलग-अलग हो सकता है।

सूर्य ग्रहण के दौरान बरतें सावधानियां

धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से ग्रहण के समय कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए। ग्रहण के दौरान भोजन, सोना और यात्रा से बचना चाहिए।नए कार्यों की शुरुआत ग्रहणकाल में अशुभ मानी जाती है।नकारात्मक ऊर्जा से बचने के लिए गायत्री मंत्र या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना लाभकारी होता है।

ग्रहण के बाद के उपाय

ग्रहण समाप्त होने के बाद शुद्धिकरण और आध्यात्मिक उपाय करने की परंपरा है।घर में गंगाजल का छिड़काव करें।संभव हो तो पवित्र नदियों में स्नान करें।भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें और गरीबों को दान दें।इन उपायों से ग्रहण के संभावित दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।