Navratri 2025: हाथी पर विराजीं मां दुर्गा, थावे से पटन देवी तक उमड़ा आस्था का सैलाब, नवरात्र का इस बार का विशेष संयोग

Navratri 2025: आज से शारदीय नवरात्र की मंगल शुरुआत हो चुकी है। देवालयों में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी हुई है।

थावे से पटन देवी तक उमड़ा आस्था का सैलाब- फोटो : social Media

Navratri 2025: आज से शारदीय नवरात्र की मंगल शुरुआत हो चुकी है। इस बार नवरात्र विशेष महत्व रखता है क्योंकि देवी मां हाथी पर विराजमान होकर पधार रही हैं। शास्त्रों में वर्णन है कि हाथी पर आगमन से घर-आंगन में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है। इसी आस्था के साथ आज मां शैलपुत्री की आराधना पूरे देश में आरंभ हुई।

बिहार का प्रसिद्ध शक्तिपीठ थावे भवानी धाम आज श्रद्धालुओं की भीड़ से गूंज उठा। मान्यता है कि पांच सौ वर्ष पूर्व भक्त रहषु की पुकार सुनकर मां कामाख्या स्वयं यहां अवतरित हुईं और यही स्थान शक्ति पीठ बन गया। भोर तीन बजे से ही मंदिर के कपाट खुले और "जय माता दी" के गगनभेदी जयकारों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा। बिहार, यूपी, नेपाल सहित दूर-दराज़ से श्रद्धालु माता के दर्शन हेतु उमड़े। प्रशासन ने सुरक्षा के पुख़्ता इंतज़ाम किए—मंदिर परिसर से लेकर मुख्य मार्ग तक पुलिस बल और मजिस्ट्रेट की तैनाती रही।

मुंगेर के मां चंडिका धाम में इस बार बाढ़ के पानी ने गर्भगृह तक का रास्ता रोक दिया है। यहां भक्त केवल मुख्य द्वार से ही माता के दर्शन कर पाएंगे। उधर, पटना के पटन देवी मंदिर में भव्य साज-सज्जा के बीच श्रद्धालु कतारबद्ध खड़े होकर माता के दरबार में माथा टेक रहे हैं। वहीं नालंदा के मां आशापुरी मंदिर में परंपरा के अनुसार नौ दिनों तक महिलाओं का प्रवेश निषिद्ध रहेगा, क्योंकि यहां तांत्रिक विधि से पूजा-अर्चना की जाती है।

इस वर्ष नवरात्र दस दिनों का रहेगा, क्योंकि चतुर्थी तिथि दो दिनों तक पड़ रही है। इससे मां कुष्मांडा की आराधना दो दिन तक होगी। महाष्टमी 30 सितंबर तथा महानवमी 1 अक्टूबर को मनाई जाएगी। विद्वानों का मानना है कि यह दुर्लभ संयोग जीवन में शुभता और समृद्धि के द्वार खोलता है।

शारदीय नवरात्र केवल पूजा-पाठ का नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और साधना का भी पर्व है। मां शैलपुत्री की आराधना से भक्त जीवन में स्थिरता, पवित्रता और नवीन ऊर्जा प्राप्त करते हैं। आज पूरे बिहार सहित देश-विदेश के मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ यही संदेश देती है कि भक्ति में ही शक्ति है और मां दुर्गा की कृपा से ही जगत का कल्याण संभव है।