Religion: क्षमा: दिव्य गुण जो अहंकार मिटाए, जीवन संवारे,निष्पाप जीवन व सामंजस्य हेतु इसे अपनाएं
Religion: विष्णु से कुंती तक क्षमा ने राह दिखाई . यह अहंकार का अंत कर, रिश्तों को जोड़ती है. कौशलेंद्र प्रियदर्शी की इस कहानी से पता चलेगा कि कैसे क्षमा करने वाला और मांगने वाला सदैव बड़ा होता है...
Religion: क्षमा! जिंदगी के लिए तुरुप का पता
भला इस ब्रह्मांड में परम पिता परमेश्वर यानि भगवान विष्णु से बड़ा कौन हो सकता है।लेकिन सर्वशक्तिमान ने भी भृगु के द्वारा खुद को लात से मारे जाने पर भी क्षमा कर दिया। "क्षमा बड़े को चाहिए, छोटन को अपराध। का रहीम हरि को घट्यो, जो भृगु मारी लात।".भगवान विष्णु को भृगु ने छाती पर हीं एक लात मार दिया था। फिर भी भगवान ने भृगु को क्षमा कर दुनिया को रास्ता दिखाया।
अब थोड़ा इसे पढ़िए।माता कुंती से बड़ा अपराध हुआ था। कुंवारी थी उसी अवस्था में कर्ण की मां बनी। दुनिया से छिपाने के लिए कर्ण को उन्होंने पिटारे में रखकर नदी में बहा दिया। एक समय आया जब उन्होंने स्वीकार किया कि यह मेरी बहुत बड़ी भूल थी। पांडवों ने यानी पांचों पुत्रों ने न जाने कितना धिक्कारा। न जाने कितनी गालियां दीं। लेकिन उसके वाबजूद क्षमा ने दोनों को बड़ा बना दिया। फिर उसी कर्ण की तिलांजलि पांडवों न भी दी। भगवान कृष्ण ने भी अपनी बुआ को माफ हीं नहीं बल्कि उनके पक्ष में खड़े हो गए। फिर निष्पाप होकर जिंदगी को जी लीं।हालांकि कर्ण को अपने बेटे के तौर पर पहले स्वीकार कर लेती यानी अपनी भूल पहले ही स्वीकार कर लेती तो संभव महाभारत नहीं होता।
दुनिया में न जाने ऐसे कितने उदाहरण हैं जिसमें क्षमा ने अपनी बड़ी भूमिका निभाई है। और बड़े बड़े बड़े युद्ध तक टल गए। न जाने कितनी जिंदगियां बच गईं।
इसीलिए क्षमा करनेवाला और क्षमा मांगने वाला हमेशा बड़ा होता है। चुकी क्षमा मांगने से आपके अंदर अहंकार और इगो नष्ट हो जाता है फिर उसी समय आप बड़े हो जाते हैं। क्योंकि पूर्व की सारी गलतियां क्षण भर में नष्ट हो जाती हैं। जिंदगी को ऐसा बनाइए। ईश्वर और बड़े लोगों ने ऐसा हीं मार्ग दिखाया है। दुनिया अपनी मर्जी से नहीं चलती।सामंजस्य का नाम हीं जिंदगी है।निष्पाप होकर जीना है।
कौशलेंद्र प्रियदर्शी की कलम से....