Dharmik kahaniyan जब भक्त के सामने झुक गए भगवान,श्री नाथ जी के भक्तवत्सल होने की कहानी आपको रुला देगी..आज भी ब्रज में जारी है परम्परा.
श्रीनाथ जी को लेकर एक अनोखी परंपरा है कि जब वहां कोई भक्त मंदिर के विग्रह के लिए माला लेकर जाता है तो वहां के पुजारी उस माला को विग्रह से स्पर्श कराकर उसी भक्त के गले में पहना देते हैं। जानते हैं इसके पीछे की कथा...
Dharmik kahaniyan : ब्रज के मंदिरों में एक विशेष परंपरा है जिसमें भक्त जब श्रीनाथ जी के लिए माला लेकर आते हैं, तो पुजारी उस माला को विग्रह से स्पर्श कराकर भक्त के गले में पहनाते हैं।
यह बात मुगल बादशाह अकबर के शासनकाल के दौरान की है। एक वैष्णव भक्त रोजाना श्रीनाथजी के लिए माला लेकर जाता था। एक दिन, अकबर का सेनापति भी माला लेने के लिए उसी समय पहुँचा, लेकिन माली के पास सिर्फ एक ही माला बची थी।
वैष्णव भक्त और सेनापति दोनों ही माला खरीदने के लिए जिद करने लगे। इस मुश्किल परिस्थिति से बचने के लिए, माली ने कहा कि जो सबसे अधिक दाम देगा, उसे ही वह माला मिलेगी।दोनों के बीच में माला के लिए बोली लगने लगी। जब माला की बोली बहुत ऊँची कीमत पर पहुंची, तो अकबर के सेनापति ने बोली लगाना बंद कर दिया। अब वैष्णव भक्त को अपनी बोली के अनुसार पैसे देने थे।वैष्णव भक्त एक गरीब ब्राह्मण था, उसके पास इतना धन नहीं था। इसलिए उसने अपना घर और जो कुछ भी उसके पास था, सब कुछ बेचकर पैसे जुटाए और माला खरीद ली।
जब वह भक्त माला लेकर श्रीनाथ जी के मंदिर पहुंचा और जैसे ही उसने वह माला भगवान की गर्दन में डाली, भगवान श्रीनाथ जी की गर्दन झुक गई। यह दृश्य देखकर वहां उपस्थित पुजारी भयभीत हो गए। उन्होंने भगवान से पूछा कि ऐसा क्यों हुआ। तब श्रीनाथ जी ने उन्हें बताया कि उन्होंने उस भक्त की भक्ति और त्याग को देखा है और इसलिए उन्होंने झुकने का निर्णय लिया।
पुजारियों ने उस भक्त की सहायता करने का निर्णय लिया और उसके घर सहित सभी व्यवस्थाएं पूर्ववत कर दीं। तब जाकर श्रीनाथ जी सीधे हुए।
इस घटना के बाद से यह परंपरा बन गई कि जब भी कोई भक्त माला लेकर आता है, तो उसे पहले भगवान से स्पर्श कराया जाता है और फिर उसे उसी भक्त को पहनाया जाता है। यह परंपरा आज तक ब्रज में जारी है ।
बहरहाल सनातन धर्म में सच्ची भक्ति और त्याग से भगवान की कृपा का रास्ता आसान हो जाता हैं।
 
                 
                 
                 
                 
                 
                                         
                                         
                     
                     
                     
                    