Akshaya navami 2025: अक्षय नवमी कब और क्यों मनाई जाती है, धर्म, आस्था और आंवला पूजन का पर्व जानिए क्यों है खास

हर साल देवउठनी एकादशी से दो दिन अक्षय नवमी का पर्व मनाया जाता है। हिंदू धर्म में यह दिन विशेष महत्व रखता है। इस दिन पर भगवान विष्णु के साथ-साथ आंवले के पेड़ की भी पूजा-अर्चना की जाती है।

Akshaya navami 2025- फोटो : news4nation

Akshaya navami 2025 : कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाने वाला अक्षय नवमी हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र मानी गई है। मान्यता है कि इस दिन किया गया पुण्य कर्म, दान और उपासना कभी क्षीण नहीं होते, अर्थात ‘अक्षय’ रहते हैं। इसी कारण इसे ‘अक्षय नवमी’ कहा गया। धार्मिक ग्रंथों में वर्णित है कि इसी दिन सत्ययुग का प्रारंभ हुआ था, अतः यह तिथि युगारंभ की तिथि भी मानी जाती है। 


कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि की शुरुआत 30 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 6 मिनट पर हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 31 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 3 मिनट पर होगा। दरअसल, हर साल देवउठनी एकादशी से दो दिन अक्षय नवमी का पर्व मनाया जाता है। हिंदू धर्म में यह दिन विशेष महत्व रखता है। इस दिन पर भगवान विष्णु के साथ-साथ आंवले के पेड़ की भी पूजा-अर्चना की जाती है।


धार्मिक कारण एवं लोकधारणा:

अक्षय नवमी को विशेष रूप से आंवला वृक्ष की पूजा का विधान है। पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु का वास आंवले में होता है। इस दिन आंवला वृक्ष के नीचे भगवान नारायण और माता लक्ष्मी का पूजन कर फल, फूल, दीप और नैवेद्य अर्पित किया जाता है। महिलाएँ विशेष रूप से आंवला नवमी व्रत रखकर अखंड सौभाग्य और परिवार के सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। उत्तर भारत में इसे “आंवला नवमी” और दक्षिण भारत में “अक्षय नवमी” कहा जाता है। कई स्थानों पर इसे गोवत्स द्वादशी की तरह गोधन पूजन के रूप में भी मनाया जाता है।


भगवान विष्णु का निवास 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि से पूर्णिमा तक आंवले के पेड़ पर निवास करते हैं। साथ ही इस दिन पर आंवले का सेवन करना और आंवले के पेड़ के नीचे भोजन बनाकर खाने से साधक व उसके परिवार को अच्छी सेहत का आशीर्वाद भी मिलता है।


 आंवला के लाभ:

आंवला को आयुर्वेद में अमृत कहा गया है। इसमें विटामिन ‘सी’ प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। यह रक्त शुद्ध करता है, पाचन सुधरता है, बाल और त्वचा को सुंदर बनाता है तथा दीर्घायु प्रदान करता है। धार्मिक मान्यता है कि आंवला पूजन से पितरों को तृप्ति और संतान सुख की प्राप्ति होती है। अतः अक्षय नवमी केवल आस्था का नहीं, बल्कि प्रकृति और स्वास्थ्य के सम्मान का पर्व भी है, जो मनुष्य और वृक्ष के अनंत संबंध को पुनः स्मरण कराता है।