Bihar Vidhansabha chunav: 2025 से 2030, फिर से नीतीश’, JDU ने जारी की 57 उम्मीदवारों की पहली सूची, बाहुबली उम्मीदवारों और पुराने मंत्रियों पर जताया भरोसा, मुस्लिम चेहरों की अनुपस्थिति पर सियासत गर्म
Bihar Vidhansabha chunav: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मी के बीच जनता दल (यूनाइटेड) ने बुधवार को अपने प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में जारी इस लिस्ट में कुल 57 उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं। जेडीयू ने इस सूची के ज़रिए एक साथ कई सियासी संदेश देने की कोशिश की है — जातीय संतुलन, अनुभव और प्रभावशाली चेहरों पर भरोसा जताते हुए पार्टी ने यह दिखाया है कि वह पूरी ताक़त के साथ मैदान में उतरने को तैयार है।
सबसे अधिक चर्चा में वे चार सीटें हैं, जहाँ पार्टी ने बाहुबली उम्मीदवारों को टिकट दिया है। इनमें मोकामा से अनंत सिंह, एकमा से धुमल सिंह, कुचायकोट से अमरेंद्र पांडे, और मांझी से प्रभुनाथ सिंह के पुत्र रणधीर सिंह शामिल हैं। इन नामों ने राज्य की सियासत में हलचल पैदा कर दी है। जेडीयू ने यह संकेत दिया है कि वह अपने प्रभाव वाले इलाक़ों में ‘मजबूत’ उम्मीदवारों को ही मैदान में उतारेगी, चाहे वे विवादों में क्यों न रहे हों।
पार्टी ने अपनी लिस्ट में 10 अनुसूचित जाति (SC) उम्मीदवारों को मौका दिया है और 4 महिलाओं को भी टिकट दिया गया है। वहीं, 6 वर्तमान मंत्रियों पर दोबारा भरोसा जताया गया है। इनमें श्रवण कुमार (नालंदा), मदन सहनी (बहादुरपुर), महेश्वर हजारी (कल्याणपुर), सुनील कुमार (भोरे), विजय कुमार चौधरी (सरायरंजन) और रत्नेश सादा (सोनबरसा) शामिल हैं।
लिस्ट की एक अहम विशेषता यह भी है कि इसमें 57 प्रत्याशियों में से एक भी मुस्लिम चेहरा नहीं है। राजनीतिक हलकों में इस पर तीखी प्रतिक्रियाएँ सामने आ रही हैं। विपक्ष का कहना है कि जेडीयू ने अपने “समावेशी राजनीति” के पुराने स्वरूप से हटकर अब “सामाजिक समीकरण की तंग चौखट” अपना ली है।
इस सूची में 18 विधायकों को दोबारा टिकट मिला है, जबकि दो मौजूदा विधायकों सकरा के आदित्य कुमार और बरबीघा के सुदर्शन कुमार का टिकट काट दिया गया है। पार्टी ने सकरा से अब नए चेहरे आदित्य कुमार (SC) को मैदान में उतारा है।
दिलचस्प यह भी है कि जेडीयू ने उन पाँच सीटों पर भी उम्मीदवार उतार दिए हैं, जिन पर चिराग पासवान दावा कर रहे थे सोनबरसा, अलौली, राजगीर, एकमा और मोरवा। इसे एनडीए के भीतर चल रही ‘सीटों की रस्साकशी’ पर एक सियासी जवाब के तौर पर देखा जा रहा है।
2020 के चुनाव में सिर्फ 12 वोटों से हिलसा सीट जीतने वाले कृष्ण मुरारी शरण ऊर्फ प्रेम मुखिया को इस बार भी टिकट मिला है। पार्टी का मानना है कि वे अपनी पकड़ मज़बूत कर चुके हैं और इस बार जीत का अंतर बढ़ेगा।
जेडीयू के वरिष्ठ नेता बताते हैं कि पार्टी की रणनीति साफ़ है — “अनुभव और भरोसे” पर दांव लगाना। नालंदा, हरनौत, हिलसा और राजगीर जैसी पारंपरिक सीटों पर पुराने चेहरे ही बनाए गए हैं। वहीं, राजगीर (SC) से कौशल किशोर, इस्लामपुर से रूहेल रंजन और मसौढ़ी से अरुण मांझी जैसे उम्मीदवार युवा पीढ़ी को प्रतिनिधित्व देने का संकेत हैं।
इस बार जेडीयू कुल 101 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। पहले चरण के लिए मतदान 6 नवंबर को होगा और नतीजे 14 नवंबर को आएँगे। पार्टी ने नारा दिया है —“2025 से 2030, फिर से नीतीश।”
एनडीए में शुरुआती असमंजस के बाद अब भाजपा, लोजपा (रामविलास) और हम पार्टी तीनों ही घटक दल नीतीश कुमार के चेहरे पर सहमति जता चुके हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने भी सार्वजनिक रूप से कहा है कि “बिहार में चुनाव नीतीश के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा।”
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, जेडीयू की यह पहली सूची एक तरह से नीतीश कुमार का ‘पावर शो’ है। इसमें पुराने सिपाहियों को सम्मान दिया गया है, निचले वर्गों को प्रतिनिधित्व मिला है और विपक्ष को यह संदेश दिया गया है कि “जेडीयू अभी भी बिहार की राजनीति में निर्णायक ताक़त है।”
हालांकि, मुस्लिम प्रतिनिधित्व की कमी और बाहुबली उम्मीदवारों की मौजूदगी विपक्ष को हमला करने का मौका दे रही है। राजद और कांग्रेस के नेताओं ने टिप्पणी की है कि “नीतीश की जेडीयू अब वही पार्टी नहीं रही जो सामाजिक न्याय और साफ-सुथरी राजनीति की बात करती थी।”
फिलहाल, बिहार की सियासी ज़मीन पर जेडीयू की यह लिस्ट चर्चा का केंद्र बन चुकी है। एक ओर पार्टी इसे “अनुभव और जनाधार का संतुलन” बता रही है, तो दूसरी ओर विपक्ष इसे “कमज़ोरी की स्वीकारोक्ति” करार दे रहा है। अब देखना यह होगा कि नीतीश कुमार की यह पहली चाल चुनावी अखाड़े में कितना असर दिखाती है।