Bihar Election 2025: बिहार के इन 4 गांवों में आजादी के बाद पहली बार होगा मतदान, 77 साल बाद ऐसे आया बदलाव, जानिए...
Bihar Election 2025: बिहार के 4 गांवों में आजादी के 77 साल बाद पहली बार मतदान होने जा रहा है। आजादी के बाद से आज तक इन गांवों में मतदान नहीं हुआ था। पहली बार गांव में बूथ बने हैं और मतदान होना है...
Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी सातवें आसमान पर है। पहले चरण का मतदान पूरा हो चुका है। दूसरे चरण का मतदान 11 नवंबर को होगा। बिहार के सभी जिलों में कई बूथ बनाए जाते हैं जहां वोटिंग होती है। लेकिन बिहार में 4 ऐसे गांव भी हैं जहां 77 साल बाद पहली बार चुनाव हो रहा है। आजादी के बाद से ही इन गांवों में एक बार फिर चुनाव नहीं हुआ यहां के मतदाताओं को वोट देने के लिए करीब 20 किमी दूर जाना होता था लेकिन इस बार गांव के लोग अपने ही गांव में वोट डालेंगे जिसको लेकर सभी मतदाता उत्साहित हैं।
आजादी के बाद पहली बार होगा मतदान
दरअसल, जमुई जिले के कई नक्सल प्रभावित इलाकों में आजादी के 77 साल बाद पहली बार लोकतंत्र की गूंज सुनाई देगी। चिहरा थाना क्षेत्र के गगनपुर, बिदली, राजाडुमर और मंझलाडीह गांवों में इस बार के विधानसभा चुनाव में पहली बार मतदान केंद्र बनाए गए हैं। अब तक इन गांवों के लोगों को वोट डालने के लिए करीब 20 किलोमीटर पैदल चलकर दूसरे गांवों में जाना पड़ता था। बताया जा रहा है कि सुरक्षा कारणों से हर चुनाव में इन गांवों के बूथों को सुरक्षित इलाकों में स्थानांतरित किया जाता था। लेकिन इस बार प्रशासन ने नक्सल चुनौती के बावजूद गांवों में ही मतदान केंद्र स्थापित करने का निर्णय लिया है।
भारी सुरक्षा के बीच तैयारियां पूरी
पुलिस अधीक्षक विश्वजीत दयाल ने खुद इन इलाकों का दौरा किया और सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया। उन्होंने ग्रामीणों से भयमुक्त होकर मतदान करने की अपील की। एसपी ने कहा कि, हमारा उद्देश्य है कि लोकतंत्र के इस महापर्व में हर नागरिक भागीदार बने। किसी को भी अपने अधिकार से वंचित नहीं रहने दिया जाएगा।
ग्रामीणों में उत्साह का माहौल
गांवों में बूथ बनने से ग्रामीणों में उत्साह देखने को मिल रहा है। गगनपुर निवासी पप्पू यादव ने कहा कि हम 2009 से वोट दे रहे हैं, लेकिन कभी अपने गांव में मतदान नहीं किया। अब अपने ही गांव में वोट डालने का मौका मिला है, यह हमारे लिए गर्व का क्षण है। ग्रामीणों का कहना है कि पहले भय और दूरी के कारण कई बुजुर्ग और महिलाएं मतदान नहीं कर पाती थीं, लेकिन इस बार हर कोई वोट देने को तैयार है। प्रशासन का यह कदम न केवल सुरक्षा व्यवस्था की सफलता दर्शाता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि लोकतंत्र की रोशनी अब सबसे दूरदराज इलाकों तक पहुंच चुकी है।