Amour Vidhan Sabha: सीमांचल की हॉट सीट अमौर में धर्म, पार्टी और वर्चस्व की लड़ाई, इस बार कौन मारेगा बाजी?
पूर्णिया जिले की अमौर विधानसभा सीट, जहां मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। 2020 में AIMIM ने जीत दर्ज की, लेकिन 2025 में मुकाबला दिलचस्प होने की संभावना है।
Amour Vidhan Sabha : पूर्णिया जिले की अमौर विधानसभा सीट सीमांचल की राजनीति में एक अहम स्थान रखती है। यह सीट न सिर्फ मुस्लिम बहुल है, बल्कि यहां का सामाजिक समीकरण, दल-बदल, और चुनावी ट्रेंड पूरे बिहार की सेकुलर राजनीति का प्रतिबिंब भी पेश करता है। 69.8% मुस्लिम आबादी के साथ, यह सीट राजनीतिक दलों के लिए “मुस्लिम वोट बैंक” की सबसे बड़ी प्रयोगशाला मानी जाती है, जबकि हिंदू मतदाता यहां अल्पसंख्यक की भूमिका में हैं।
अमौर सीट पर अब तक कुल 18 चुनाव हो चुके हैं, जिनमें दो उपचुनाव भी शामिल हैं। कांग्रेस ने यहां सबसे ज़्यादा 8 बार जीत दर्ज की, जो इस क्षेत्र में कभी उसके प्रभाव को दिखाता है। निर्दलीय प्रत्याशी भी 4 बार जीतने में सफल रहे हैं, जो यह इशारा करता है कि यहां के मतदाता पार्टी से ज़्यादा व्यक्ति और छवि को महत्व देते हैं। इसके अलावा PSP को 2 बार, जबकि BJP, समाजवादी पार्टी, AIMIM और जनता पार्टी को एक-एक बार जीत मिली है।
राजनीति के इस लंबे सफर में अमौर ने कई बार चौंकाने वाले नतीजे दिए हैं। 2010 में भाजपा से सबा जफर की जीत एक बड़ा राजनीतिक उलटफेर था, जबकि 2015 में कांग्रेस के अब्दुल जलील मस्तान ने सीट पर वापसी की। लेकिन 2020 में AIMIM के कद्दावर चेहरा अख्तरुल ईमान ने मैदान मारा और न सिर्फ सीट जीती, बल्कि पूरे सीमांचल में AIMIM को पांव जमाने का रास्ता भी दिखाया।
जनसंख्यकीय आंकड़ों पर नज़र डालें तो अमौर में अनुसूचित जाति के वोटरों की संख्या लगभग 12,871 (4.1%) और अनुसूचित जनजाति की संख्या महज 2,229 (0.71%) है। यहां ग्रामीण मतदाता 100% हैं— शहरी वोटर पूरी तरह नदारद। यही कारण है कि विकास, सड़क, बिजली, शिक्षा और किसान मुद्दे यहां चुनावी बहस की मुख्यधारा से अक्सर बाहर हो जाते हैं, और जाति–धर्म आधारित राजनीति प्रभावी रहती है।
2020 में कुल 58.81% मतदान हुआ, जो सीमांचल के औसत से थोड़ा कम रहा। 2019 के लोकसभा चुनाव में ये आंकड़ा 63.44% था, जबकि 2015 के विधानसभा चुनाव में 60.27% वोटिंग दर्ज की गई थी। कुल मतदाताओं की संख्या 2020 में 3.13 लाख के पार थी, और 453 मतदान केंद्र बनाए गए थे। 2024 के लोकसभा चुनाव में ये केंद्र घटकर 332 रह गए हैं।
अमौर सीट का राजनीतिक भविष्य 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में बेहद दिलचस्प होगा। क्या अख्तरुल ईमान दोबारा भरोसा जीत पाएंगे? क्या RJD उनकी "घर वापसी" से इस सीट पर पकड़ मजबूत करेगी? या कांग्रेस पुराने दिनों की वापसी करेगी? ये सभी सवाल फिलहाल हवा में हैं, जवाब जनता के वोट से ही निकलेगा।