Bihar Election 2025: बिहार के चुनावी मैदान में फिर जली जाति की चिंगारी, हारे कोई भी, जीतेगी ये ‘जाति’! जानें किसके हक में जाएगा जनादेश?
Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव इस बार दिलचस्प मोड़ पर है। कई ऐसी सीटें हैं जहां पक्ष और विपक्ष में एक ही जाति के लोग आमने-सामने हैं ऐसे में कोई भी प्रत्याशी हारेगा लेकिन जीत जाति की तय होगी....
Bihar Election 2025: कहते बिहार में जाति की छाती पर राजनीति होती है। देश आज भले की 21वीं सदी में प्रवेश कर चुका है लेकिन बिहारी की राजनीति से जाति नहीं गई है। कौन उम्मीदवार चुनाव में खड़ा है से ज्यादा महत्वपूर्ण उम्मीदवार किस जाति से है होता है। ऐसे में सदियों से जातियों की बेड़ियों में फंसी बिहार की राजनीति आज भी वहीं है। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में भी जाति एक बड़ा फैक्टर है। इस बार भूमिहार समुदाय निर्णायक भूमिका में उभरा है। बिहार चुनाव में कई सीटों पर भूमिहार बनाम भूमिहार की टक्कर देखने को मिल रहा है। सभी दलों की नजर भी भूमिहार वोटरों पर ही है। यही नहीं इस बार सभी दलों ने बढ़ चढ़ कर भूमिहार नेताओं को टिकट भी दिया है। एमवाई समीकरण पर चुनावी मैदान में उतरने वाले तेजस्वी यादव ने भी भूमिहार नेताओं पर भरोसा जताया है।
हारे कोई भी लेकिन इस जाति की जीत तय
चूकिं भूमिहार परंपरागत रुप से बीजेपी का मजबूत वोट बैंक माने जाते हैं और महागठबंधन की ओर से भी भूमिहार नेताओं को टिकट दिया गया है तो अब लड़ाई भूमिहार बनाम भूमिहार में बंटा नजर आ रहा है। इस बार एनडीए ने 32 और महागठबंधन ने 15 भूमिहार उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारे हैं। कई सीटों पर भूमिहार उम्मीदवार आमने सामने हैं। वैसे तो बिहार की राजनीति जातिगत समीकरणों के इर्द-गिर्द घूमती रही है लेकिन इस बार कई सीटों पर स्थानीय मुद्दे और विकास आधारित राजनीति प्रमुख भूमिका में है। कई सीट ऐसे हैं जहां भूमिहार बनाम भूमिहार होने के कारण मुकाबला दिलचस्प हो गया है। इन सीटों को हॉट सीट माना जा रहा है।
लालू यादव से अलग तेजस्वी की राजनीति
सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि 'भूरा बाल साफ करो' का नारा देने वाले लालू यादव की पार्टी ने 7 भूमिहार उम्मीदवारों को टिकट दिया है। महागठबंधन की ओर से कुल 15 भूमिहारों को टिकट दिया गया है। राजद सुप्रीमो लालू यादव शुरु से ही एमवाई समीकरण पर राजनीति कर रहे हैं लेकिन तेजस्वी यादव ने इस समीकरण को बदल कर ए टू जेड की राजनीति करने की कोशिश की है। महागठबंधन और एनडीए के भूमिहारों के दांव ने विधानसभा चुनाव को रोमांचक कर दिया है। जिसके कारण अब जीत एनडीए की हो या महागठबंधन की हो लेकिन जीत भूमिहार की ही होगी। यानि इस जाति के दोनों हाथों में लड्डू है।
मोकामा बनी भूमिहार सियासत की हॉट सीट
भूमिहार राजनीति की दिशा और दशा तय करने वाली मोकामा सीट पर इस बार मुकाबला दिलचस्प है। राजद ने बाहुबली नेता सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी को मैदान में उतारा है, जबकि जेडीयू ने अनंत सिंह पर भरोसा जताया है। हाल की हिंसक घटनाओं के बाद यहां जातीय गोलबंदी और तेज हो गई है। पहले माना जा रहा था कि भूमिहारों के वोट में बिखराव होगा। लेकिन दुलारचंद यादव की हत्या और जदयू प्रत्याशी अनंत सिंह के जेल जाने के बाद बड़ा सियासी उलट फेर हुआ है। राजनीतिक जानकारों के अनुसार जहां वोटों का बिखराव होता वहां अब भूमिहार जाति एकजुट होकर अनंत सिंह के पक्ष में वोट कर सकते हैं।
बेगूसराय सहित इन सीटों पर भी भूमिहार वर्सेस भूमिहार
भूमिहार सियासत के केंद्र माने जाने वाले बेगूसराय जिले में भी कई सीटों पर सीधे भूमिहार बनाम भूमिहार की लड़ाई है। बेगूसराय सदर सीट पर बीजेपी के कुंदन सिंह का मुकाबला कांग्रेस की अमिता भूषण से है। मटिहानी सीट पर आरजेडी ने बाहुबली बोगो सिंह, तो जेडीयू ने राजकुमार सिंह को टिकट दिया है। बरबीघा, लखीसराय और बिक्रम सीटों पर भी ‘एक ही जाति का मुकाबला’ है। बरबीघा सीट पर जेडीयू ने आरपी शर्मा के बेटे पुष्पांजय शर्मा, जबकि कांग्रेस ने त्रिशूल धारी को उम्मीदवार बनाया है। दोनों भूमिहार समुदाय से हैं। लखीसराय से उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा बीजेपी प्रत्याशी हैं, जिनके सामने कांग्रेस के अनीश मैदान में हैं। बिक्रम सीट पर भाजपा के सिद्धार्थ का मुकाबला राजद के अनिल कुमार से होगा। दोनों भूमिहार नेता हैं।
हिसुआ और तेघड़ा में भी भूमिहार आमने-सामने
हिसुआ में कांग्रेस की नीतू सिंह और भाजपा के अनिल कुमार में सीधा मुकाबला है। तेघड़ा में भाकपा के राम रतन सिंह और बीजेपी के रजनीश सिंह, दोनों भूमिहार जाति से हैं। ज्ञात हो कि 2023 की जातिगत जनगणना के अनुसार, बिहार में भूमिहार जाति की आबादी 2.86% है। आर्थिक रिपोर्ट के मुताबिक, सवर्णों में भूमिहार समुदाय के 27.58% परिवार गरीब हैं। इसके बावजूद, राज्य की राजनीति में यह समुदाय बेहद प्रभावशाली माना जाता है। यही कारण है कि सभी प्रमुख दलों ने कुल 47 भूमिहार उम्मीदवार उतारकर इस वोट बैंक को साधने की कोशिश की है। नीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि 2025 के विधानसभा चुनाव में भूमिहार वोटरों का रुख यह तय करेगा कि सत्ता की कुर्सी पर कौन बैठेगा एनडीए या महागठबंधन।