बिहार में 29 साल में 23 बार बदले मुख्यमंत्री, सिर्फ चार सीएम ही पूरा कर सके हैं 5 साल का कार्यकाल... नीतीश ने बनाया इतिहास
बिहार के कई मोर्चों पर पिछड़ने का एक बड़ा कारण राज्य में 29 साल में 23 मुख्यमंत्री का बदलना माना जाता है। वहीं नीतीश कुमार ने राज्य में सीएम की कुर्सी पर रहने हुए इतिहास रच दिया।
Bihar Election 2025 : आज़ादी के बाद बिहार में अब तक कई बार सरकारें बनीं और बदलीं, लेकिन स्थिर शासन की तस्वीर बहुत कम ही देखने को मिली है। खासकर प्रथम मुख्यमंत्री श्री कृष्ण बाबू के बाद वर्ष 1961 से वर्ष 1990 के बीच बिहार में 23 बार मुख्यमंत्री बदले। इनमें कुछ मुख्यमंत्री तो ऐसे बने जो 4 दिन से 17 दिनों के छोटे से कार्यकाल के लिए ही सीएम की कुर्सी पर बैठ पाए। राज्य के इतिहास में अब तक केवल चार मुख्यमंत्री ऐसे हुए हैं जिन्होंने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया है। इसमें श्रीकृष्ण सिंह, लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी, और नीतीश कुमार का नाम शामिल है।
श्रीकृष्ण सिंह का लंबा कार्यकाल
बिहार के पहले मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह ने 15 अगस्त 1947 से 31 जनवरी 1961 तक लगभग 13 साल 169 दिन तक मुख्यमंत्री पद संभाला। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से थे और उनके नेतृत्व में बिहार की राजनीति ने स्थिरता की शुरुआत देखी। उनके नेतृत्व में बिहार में विकास के कई मापदंड स्थापित हुए। बिहार के श्रीकृष्ण बाबू का कार्यकाल सबसे स्वर्णिम युग माना जाता है।
29 साल में 23 बार मुख्यमंत्री बदले
बिहार के लिए वर्ष 1961 से 1990 तक का 29 साल एक ऐसा राजनीतिक उतार-चढ़ाव वाला कालखंड जिसमें राज्य में 23 बार मुख्यमंत्री बदले। इस दौरान दीप नारायण सिंह, बिनोदानंद झा, केबी सहाय, महामाया प्रसाद सिंह, सतीश प्रसाद सिंह, बीपी मंडल, भोला पासवान शास्त्री, हरिहर सिंह, दरोगा प्रसाद राय, कर्पूरी ठाकुर, केदार पांडेय, अब्दुल गफूर, जगन्नाथ मिश्रा, राम सुंदर दास, चन्द्रशेखर सिंह, बिन्देश्वरी दुबे, भागवत झा आजाद और सत्येन्द्र नारायण सिन्हा का नाम शामिल रहा। इनमें कई ने दो से तीन बार सीएम पद की शपथ ली। बार बार मुख्यमंत्रियों के बदलने का एक बड़ा कारण कांग्रेस हाईकमान का बिहार को लेकर आने वाला आदेश, जातीय राजनीति, छोटे दलों का सत्ता तक पहुंचकर शीर्ष कुर्सी पाने के लिए जद्दोजहद प्रमुख कारण रहा। माना गया कि इन्हीं 29 वर्षों में बिहार कई मोर्चों पर पिछड़ापन का शिकार हो गया।
लालू - राबड़ी ने बदला रूप
लालू प्रसाद यादव ने 1990 से 1997 तक मुख्यमंत्री पद संभाला, और बाद में उनकी पत्नी राबड़ी देवी ने 1997 से 2005 तक सत्ता संभाली। दोनों ने मिलकर 15 वर्षों तक बिहार पर शासन किया, जिसमें दोनों का कम-से-कम एक-एक कार्यकाल पूर्ण रहा, यानी 5 साल का रहा। बिहार के लिए यह काल सामाजिक न्याय की राजनीति के विस्तार का दौर माना जाता है।
नीतीश कुमार: विकास और गठबंधन की राजनीति
नीतीश कुमार ने 2005 से अब तक कई बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। उन्होंने 2005–2010 का कार्यकाल पूरा किया। नीतीश कुमार के 2010-2015 के कार्यकाल में एक छोटी सी अवधि के लिए जीतन राम मांझी मुख्यमंत्री बने जबकि 2015-2020 में नीतीश कुमार ने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। वे राज्य के सबसे प्रभावशाली और लंबे समय तक रहने वाले मुख्यमंत्रियों में गिने जाते हैं।
अस्थिरता और बार-बार बदलते मुख्यमंत्री
इन चार नेताओं को छोड़ दिया जाए, तो बाकी अधिकतर मुख्यमंत्री या तो बहुत ही अल्प समय के लिए पद पर रहे या राजनीतिक उठा-पटक के कारण अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके। दीप नारायण सिंह केवल 17 दिन मुख्यमंत्री रहे। सतीश प्रसाद सिंह का कार्यकाल सिर्फ 4 दिन का रहा। भोलापसवान शास्त्री तीन बार मुख्यमंत्री बने, लेकिन एक बार भी साल भर तक पद पर नहीं रहे। महमाया प्रसाद सिंह, बी.पी. मंडल, हरिहर सिंह, करपूरी ठाकुर (पहला कार्यकाल) जैसे नेताओं का कार्यकाल भी एक वर्ष से कम रहा। इस अस्थिरता के चलते राज्य में कई बार राष्ट्रपति शासन भी लगाना पड़ा, जो इस बात की गवाही देता है कि बिहार की राजनीति कितनी जटिल और अस्थिर रही है।