Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार एनडीए में बदल गया समीकरण, अब बड़ा भाई नहीं रहे नीतीश, BJP के संग बराबरी पर JDU

बिहार की सियासत में नीतीश का ‘बड़ा भाई’ वाला दौर ढल रहा है, और बीजेपी अब बराबरी के रिश्ते में अगुआई की भूमिका में है।

बिहार एनडीए में बदल गया समीकरण- फोटो : social Media

Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार की राजनीति एक बार फिर करवट ले चुकी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड  जो अब तक एनडीए में बड़ा भाई की भूमिका निभाती रही थी, इस बार बराबरी के साथी के रूप में उतर रही है। विधानसभा चुनाव 2025 के लिए तय हुए सीट बंटवारे ने सत्ता समीकरण की इस कहानी को पूरी तरह नया मोड़ दे दिया है।

एनडीए के भीतर अब जेडीयू और बीजेपी, दोनों 101-101 सीटों पर मैदान में उतरेंगी। बाकी 41 सीटें तीन छोटे सहयोगियों में बांट दी गई हैं । चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को 29 सीटें, जबकि जीतनराम मांझी की हम और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा को 6-6 सीटें दी गई हैं।यानी एनडीए ने पुराने समीकरणों की नई परिभाषा लिख दी है।

दिलचस्प यह कि सीट बंटवारे का ऐलान भी एक सियासी संदेश बन गया। जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने सबसे पहले ट्वीट कर सीट बंटवारे की जानकारी दी  जिसमें उन्होंने जेडीयू का नाम बीजेपी से ऊपर रखा।

मगर भाजपा नेताओं, चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा ने जब वही लिस्ट पोस्ट की, तो उन्होंने बीजेपी को ऊपर और जेडीयू को नीचे लिखा।यह मामूली दिखने वाला फेरबदल दरअसल राजनीतिक मनोविज्ञान का इशारा है अब बिहार एनडीए में लीडरशिप की धुरी भाजपा की तरफ खिसक चुकी है।

2020 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू 115 सीटों पर लड़ी थी, जबकि भाजपा 110 सीटों पर। तब भी एनडीए की सरकार बनी थी, मगर जेडीयू का प्रदर्शन कमजोर रहा महज 43 सीटें आईं, जबकि बीजेपी ने 74 सीटों पर कब्ज़ा किया।इसके बाद से ही राजनीतिक विश्लेषक कह रहे थे कि नीतीश की सियासी पकड़ ढीली पड़ रही है, और इस बार का सीट बंटवारा उसी की पुष्टि करता है।


साल 2010 में जेडीयू 141 और बीजेपी 102 सीटों पर उतरी थी और एनडीए ने बिहार में अब तक की सबसे बड़ी जीत दर्ज की थी। तब नीतीश की छवि ‘सुशासन बाबू’ के नाम से चरम पर थी।

2005 में भी नीतीश एनडीए के चेहरे थे  जेडीयू 139 और बीजेपी 102 सीटों पर लड़ी थी और पहली बार एनडीए की पूर्ण बहुमत सरकार बनी थी।लेकिन अब हालात बदल चुके हैं।

सर्वे बताते हैं कि तेजस्वी यादव और प्रशांत किशोर का ग्राफ तेजी से ऊपर जा रहा है, जबकि नीतीश कुमार की लोकप्रियता नीचे खिसक रही है।एनडीए की ये बराबरी की साझेदारी इस बात का इशारा है कि बीजेपी अब बिहार में “सीएम फेस” तय करने की स्थिति में खुद को देख रही है।

बहरहाल बिहार की सियासत में नीतीश का ‘बड़ा भाई’ वाला दौर ढल रहा है, और बीजेपी अब बराबरी के रिश्ते में अगुआई की भूमिका तलाश रही है।