Bihar vidhansabha chunav 2025: पीएम के बिहार दौरे से पहले NDA ने बिछाई सियासी बिसात,भाजपा-जेडीयू की पकी खिचड़ी , मुंह ताक रहे चिराग और मांझी

Bihar vidhansabha chunav 2025: भाजपा ने दावा किया कि महागठबंधन की तुलना में एनडीए पूरी तरह एकजुट है। हमारा फोकस आपसी झगड़ों के बजाय विकास और परिणामों पर है।

NDA ने बिछाई सियासी बिसात- फोटो : social Media

Bihar vidhansabha chunav 2025: बिहार में अक्टूबर-नवंबर 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियाँ तेज़ हो गई हैं। सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) शामिल हैं, ने मज़बूत तालमेल और एकजुटता के साथ चुनावी अभियान की शुरुआत कर दी है।

भाजपा सूत्रों के मुताबिक़, फरवरी 2025 से अब तक राज्य के विभिन्न ज़िलों में करीब 60 प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की जा चुकी हैं। इन प्रेस वार्ताओं के ज़रिये राज्य और केंद्र की 'डबल इंजन सरकार' की उपलब्धियों को उजागर किया जा रहा है। साथ ही, ज़िला स्तर पर समन्वय बैठकों के माध्यम से एनडीए के घटक दल आपसी तालमेल को और पुख़्ता बना रहे हैं।राज्य के एक भाजपा नेता ने दावा किया, "महागठबंधन (भारत गठबंधन) की तुलना में एनडीए पूरी तरह एकजुट है। हमारा फोकस आपसी झगड़ों के बजाय विकास और परिणामों पर है।" उन्होंने कहा कि भाजपा और जेडीयू के बीच बूथ से लेकर ज़िला स्तर तक समन्वय सुनिश्चित किया जा रहा है, जबकि विधानसभा स्तर पर तालमेल सीट-बंटवारे के बाद अंतिम रूप लिया जाएगा।

भाजपा प्रवक्ता सुमित शशांक ने मीडिया से कहा, "हम हमेशा चुनाव के लिए तैयार रहते हैं क्योंकि हमने ज़मीन पर काम किया है।" उन्होंने बताया कि आयुष्मान भारत योजना और मुख्यमंत्री महिला उद्यमी योजना को प्रमुखता से प्रचारित किया जा रहा है। इन योजनाओं के ज़रिए ग़रीब और मध्यम वर्ग के जीवन में बदलाव लाने के दावे किए जा रहे हैं।इस बीच, एनडीए की चुनावी रणनीति में जातिगत गणना भी एक अहम मुद्दा बन चुकी है। तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले राजद और कांग्रेस जातिगत समीकरणों के सहारे बढ़त बनाने की कोशिश कर रहे हैं। इसके जवाब में एनडीए नेता दावा कर रहे हैं कि "नीतीश कुमार ने ही बिहार में पहली बार सफलतापूर्वक जातिगत सर्वेक्षण करवाया था।" भाजपा, जो पहले इस मुद्दे पर संशय में थी, अब केंद्र द्वारा 2027 की जनगणना में जातिगत गणना को जोड़ने की अधिसूचना को अपनी उपलब्धि के रूप में पेश कर रही है।

एनडीए खेमे का दावा है कि उनके पास यादव समाज से 16 प्रमुख चेहरे हैं। एक भाजपा नेता ने कहा, "राजद यादवों की बात करता है, पर असल में वो सिर्फ़ एक परिवार की बात होती है। हमारे पास हर तबक़े और जाति से नेता हैं।महिलाओं पर विशेष ध्यान देते हुए भाजपा का प्रचार अभियान उन योजनाओं पर केंद्रित है जिनमें कन्या जन्म से लेकर शिक्षा तक आर्थिक मदद दी जाती है। "9वीं में साइकिल, 10वीं में छात्रवृत्ति और स्नातक में मदद—हमारी सरकार ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया है," भाजपा नेता ने कहा।

इसके साथ ही मखाना बोर्ड की स्थापना को एक रणनीतिक क़दम बताया गया है। मखाना उत्पादन में अग्रणी उत्तर बिहार की दलित और पिछड़ी वर्ग की महिलाएं इस पहल से सीधे लाभान्वित हो रही हैं, जिससे एनडीए का सामाजिक आधार और मज़बूत होगा। एनडीए के वरिष्ठ नेताओं ने स्पष्ट कर दिया है कि चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाएगा और प्रचार की कमान जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों में दी जाएगी। मोदी की विदेश यात्रा से लौटने के बाद बिहार पर केंद्रित अभियान शुरू होने की संभावना है।

बहरहाल एनडीए ने पूरी तैयारी के साथ एकजुटता, योजनाओं की कामयाबी और सामाजिक समरसता को अपना चुनावी मंत्र बना लिया है, वहीं विपक्ष जातिगत संतुलन को भुनाने की कोशिश में लगा है। बिहार का रण अब पूरी तरह सजीव और दिलचस्प हो चुका है।