वर्ष 2020 में नीतीश के 'घाव' देने वाले भाजपा के बागी अब NDA के 'मरहम' बनने को तैयार, जदयू को हराने वाले फिर करेंगे खेला
चिराग पासवान के साथ मिलकर भाजपा के जिन बागियों ने नीतीश की जदयू को हराया था, वही बागी फिर से NDA में शामिल होने के तैयारी में हैं.
Bihar Assembly election : बिहार की राजनीति एक बार फिर करवट ले रही है। वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में जिन नेताओं ने बगावत कर जदयू को करारी शिकस्त दी थी, वे अब फिर से भाजपा के दरवाज़े पर दस्तक दे रहे हैं। 2020 में लोजपा प्रमुख चिराग पासवान ने भाजपा के बागी नेताओं को टिकट देकर जदयू को जबरदस्त नुकसान पहुंचाया था। चिराग की इस रणनीति से जदयू सिर्फ 43 सीटों पर सिमट गया, और नीतीश सरकार के कई मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा।
लोजपा के सहारे भाजपा के बागियों ने गिराई जदयू की दीवार
चुनाव में भाजपा के बागी बनकर लोजपा के टिकट पर मैदान में उतरे कई नेता, जदयू के खिलाफ निर्णायक साबित हुए। इसमें प्रमुख नाम राजेंद्र सिंह (भाजपा के पूर्व प्रदेश महामंत्री), रामेश्वर चौरसिया (पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, भाजपा युवा मोर्चा), पूर्व विधायक उषा विद्यार्थी, झाझा के तत्कालीन विधायक रवीन्द्र यादव के अतिरिक्त श्वेता सिंह, इंदु कश्यप, अनिल कुमार, मृणाल शेखर एवं अजय प्रताप आदि शामिल रहे। भाजपा ने बगावत करने पर इन सभी नेताओं को पार्टी से छह वर्षों के लिए निष्कासित कर दिया था, लेकिन जैसे ही भाजपा-जदयू गठबंधन टूटा, निष्कासन की सज़ा भी स्वतः समाप्त हो गई।
नीतीश चार मंत्रियों की हुई हार
जयकुमार सिंह (सहकारिता मंत्री), कृष्णनंदन वर्मा (शिक्षा मंत्री), संतोष निराला (परिवहन मंत्री) और रामसेवक सिंह (समाज कल्याण मंत्री) को भाजपा के बागियों द्वारा वोट काटने के कारण हार का सामना करना पड़ा। इतना ही नहीं जदयू के कई अन्य उम्मीदवार भी भाजपा के बागियों की भेंट चढ़ गए।
जदयू के भी बागी पीछे नहीं रहे
सिर्फ भाजपा ही नहीं, जदयू के भीतर भी उस चुनाव में भीषण बगावत देखने को मिली। राजग प्रत्याशियों के विरुद्ध मोर्चा खोलने वाले जदयू के नेताओं में प्रमुख नाम भगवान सिंह कुशवाहा (पूर्व मंत्री), रामेश्वर पासवान (पूर्व मंत्री), ददन पहलवान (पूर्व विधायक), सुमित सिंह (वर्तमान मंत्री, निर्दलीय जीते), प्रमोद चंद्रवंशी आदि शमिल रहे। इनमें से सुमित सिंह ने निर्दलीय जीत हासिल कर कैबिनेट में जगह बनाई, जबकि भगवान सिंह कुशवाहा लोजपा से हार के बाद फिर से जदयू में शामिल होकर एमएलसी बन चुके हैं। ददन पहलवान ने आरा से निर्दलीय चुनाव लड़कर जदयू की प्रत्याशी अंजुम आरा को हराने में भूमिका निभाई थी। कंचन गुप्ता, जो जदयू महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष रही थीं, उन्होंने भी पार्टी नेतृत्व को खुली चुनौती दी थी। इन सभी के खिलाफ तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष बशिष्ठ नारायण सिंह ने छह वर्ष के लिए निष्कासन की कार्रवाई की थी।
बागियों को भाजपा से आसरा
अब जब राजनीतिक गठजोड़ फिर से खंडित हो रहे हैं, बागी नेता एक बार फिर भाजपा की ओर वापसी की तैयारी में हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले चुनावों में इन पुराने बागियों की वापसी से भाजपा को ताकत भी मिल सकती है और अंदरूनी असंतुलन भी बढ़ सकता है। बिहार की राजनीति में आने वाले महीनों में और बड़े उलटफेर होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।