Bihar Vidhansabha Chunav 2025: क्या जीविका दीदियों के जोश ने बढ़ाया मतदान का प्रतिशत? 64.66 फीसदी की रिकॉर्ड वोटिंग से बिहार की सियासत में नई हलचल, जानिए किसको होगा फायदा

क्या जीविका दीदियों का समर्थन नीतीश को मजबूत करेगा, या तेजस्वी के वादे नया समीकरण रच देंगे?जवाब मतपेटियों में बंद है पर असर साफ दिख रहा है।...

क्या जीविका दीदियों के जोश ने बढ़ाया मतदान का प्रतिशत?- फोटो : reporter

Bihar Vidhansabha Chunav 2025:  बिहार में गुरुवार को विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान संपन्न हो गया और इस बार के आंकड़े इतिहास लिखते दिख रहे हैं। 3.75 करोड़ से अधिक मतदाताओं में से करीब 64.66 फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया, जो अब तक का सबसे ऊंचा मतदान प्रतिशत है। लोकतंत्र की इस भारी भागीदारी ने सियासी गलियारों में हलचल बढ़ा दी ह—क्योंकि वोट ज्यादा पड़े हैं, और हर दल उसे अपने पक्ष में पढ़ने की कोशिश कर रहा है।सवाल बड़ा है कि आखिर ऐसी कौन-सी वजह थी जिसने इस बार बिहार की जनता को रिकॉर्डतोड़ संख्या में मतदान केंद्र तक खींचा?

राजनीतिक पंडितो ने जो संकेत दिए हैं, उनमें एक बहुत अहम और दिलचस्प कारण सामने आया है जीविका दीदियों का ज़बरदस्त योगदान। बिहार में ‘जीविका दीदी’ उन महिलाओं को कहा जाता है, जो गांव-गांव में महिलाओं को जोड़कर सेल्फ-हेल्प ग्रुप  बनाती हैं। ये महिलाएं ‘बिहार रूरल लाइवलीहुड्स प्रोजेक्ट  का हिस्सा हैं, जिसे वर्ल्ड बैंक की मदद से 2006 में शुरू किया गया था।आज की तारीख़ में 1.35 करोड़ से अधिक महिलाएं इस प्रोजेक्ट से जुड़ी हैं। 10 लाख से ऊपर SHG सक्रिय हैं और इनमें से 1 लाख से अधिक कम्युनिटी मोबिलाइजर्स यानी असली जीविका दीदी गांवों में लीडरशिप संभालती हैं।इन दीदियों की खासियत यह है कि ये सिर्फ आर्थिक रूप से सक्रिय महिलाएं नहीं, बल्कि गांव में सामाजिक और राजनीतिक जागरूकता का चेहरा भी हैं।जहां ये जाती हैं वोटिंग, सरकारी योजनाओं, शिक्षा, स्वास्थ्य हर मुद्दे पर प्रभाव छोड़ती हैं। इसलिए यह कोई मामूली वोट बैंक नहीं, बल्कि एक संगठित, जागरूक, और असरदार महिला शक्ति है।

जब पार्टियों ने देखा कि दीदी नेटवर्क गांव-गांव में मजबूत पकड़ रखता है, तो चुनावी रणनीति का बड़ा दांव इसी पर लगा क्योंकि जिस घर में जीविका दीदी हैं, वहाँ कम से कम 8-10 लोग उनके मत और प्रभाव से प्रभावित होते हैं। NDA इस वर्ग को अपना मानते हुए 1.41 करोड़ महिलाओं को 10,000 रुपये की सहायता राशि पहले ही दे चुकी है।मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ऐलान किया कि  बचे हुए लाभार्थियों को दिसंबर तक राशि मिलेगी और  समूह बनाने और रोजगार के लिए 2 लाख तक की अतिरिक्त सहायता भी मिलेगी।

दूसरी तरफ़, महागठबंधन (MGB) ने  ️ जीविका दीदी को 30,000 रुपये महीना वेतन,️ स्थाई नौकरी, ️ अतिरिक्त काम पर 2,000 रुपये मानदेय,️  लोन पर ब्याज माफी️ और 5 लाख तक बीमा कवरेज का बड़ा दांव चला ।यानी इस बार चुनावी मुकाबला सिर्फ पुरुष वोटो का नहीं, बल्कि महिला और खासकर जीविका नेटवर्क का भी है।

राजनीतिक पंडित मानते हैं कि  महिलाओं का उत्साह, विशेषकर जीविका दीदियों का नेतृत्व बड़ी बजह है।गांव-देहातों से रिपोर्ट बताती हैं कि महिलाओं की कतारें पुरुषों से लंबी नजर आईं ये नजारा बिहार के चुनावी इतिहास में कम देखने को मिला है।

सियासत में हलचल है क्योंकि वोट ज्यादा पड़े हैं इसका मतलब है जनता या तो बदलाव चाहती है या सुशासन की वापसी।NDA कह रही है कि महिलाएं हमारे साथ हैं, सुशासन पर भरोसा कायम है तो विपक्ष कह रहा है कि यह बदलाव का जनादेश है और इस पूरे खेल का सबसे अहम मोहरा जीविका दीदी, जो अब सिर्फ समूह की अध्यक्ष नहीं, बल्कि चुनावी समीकरण की निर्णायक ताकत बन गई हैं।

पहले चरण ने इतना साफ कर दिया है कि महिलाओं की भागीदारी अब सिर्फ ‘मतदान’ नहीं, बल्कि ‘निर्णय’ बन चुकी है। 64.66 फीसदी की रिकॉर्ड वोटिंग यह बताती है कि जनता चुप नहीं हैवो तय करके आई है। अब सवाल है कि क्या जीविका दीदियों का समर्थन नीतीश को मजबूत करेगा, या तेजस्वी के वादे नया समीकरण रच देंगे?जवाब मतपेटियों में बंद है पर असर साफ दिख रहा है।