Bihar Vidhansabha Chunav 2025: सकरा में जदयू प्रत्याशी आदित्य कुमार के बयान से बढ़ी सियासी गर्मी, कहा- मंदिर-मस्जिद के विकास से नहीं चलेगा इलाका, जनता चाहती है शिक्षा-रोज़गार की बात

दयू ने सकरा विधानसभा क्षेत्र से अपने वर्तमान विधायक अशोक कुमार चौधरी के पुत्र आदित्य कुमार को उम्मीदवार बनाया है।मगर जैसे ही यह नाम सामने आया, पार्टी के भीतर असंतोष की लहर दौड़ गई।

सकरा में जदयू प्रत्याशी आदित्य कुमार के बयान से बढ़ी सियासी गर्मी- फोटो : reporter

Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मी अब अपने चरम पर है। नामांकन प्रक्रिया के बीच राजनीतिक दलों ने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है, और इसी क्रम में जदयू ने सकरा विधानसभा क्षेत्र से अपने वर्तमान विधायक अशोक कुमार चौधरी के पुत्र आदित्य कुमार को उम्मीदवार बनाया है।मगर जैसे ही यह नाम सामने आया, पार्टी के भीतर असंतोष की लहर दौड़ गई। कार्यकर्ताओं का एक बड़ा वर्ग इस फैसले से नाराज़ दिखाई दे रहा है।सकरा विधानसभा में वर्षों से सक्रिय कई स्थानीय नेताओं का कहना है कि पार्टी ने जमीनी कार्यकर्ताओं की अनदेखी की है। उनके मुताबिक़ टिकट एक “राजनैतिक उत्तराधिकार” के रूप में बांटा गया है। यह नाराज़गी तब और बढ़ गई जब प्रत्याशी बने आदित्य कुमार ने अपने पहले ही बयान में कहा कि “हम अपने पिता की राह पर चलते हुए मंदिर-मस्जिद का विकास करेंगे, और मरनी-हरनी (शोक-संस्कार) में पहुंचकर जनता का साथ देंगे।”इस बयान के बाद सकरा की सियासत में हलचल मच गई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि विधानसभा क्षेत्र को धार्मिक भावनाओं की नहीं, विकास, शिक्षा, सड़क और रोज़गार की ज़रूरत है।

सकरा के कई निवासियों ने कहा कि पिछले पाँच सालों में विधायक अशोक कुमार चौधरी ने कोई ठोस विकास कार्य नहीं किया। न सड़कें सुधरीं, न अस्पतालों की स्थिति बदली, और न युवाओं को रोज़गार के अवसर मिले।अब उनके पुत्र आदित्य कुमार का वही राग जनता को नागवार गुज़र रहा है।

एक बुज़ुर्ग मतदाता का कहना था “हमारे गाँव में पुल अधूरा पड़ा है, स्कूल में शिक्षक नहीं आते, अस्पताल में दवा नहीं मिलती... ऐसे में अगर कोई नेता कहे कि वो मंदिर-मस्जिद सजाएगा, तो ये जनता का मज़ाक उड़ाना है।”दूसरे ग्रामीण बोले “मंदिर और मस्जिद का अपना सम्मान है, पर विधानसभा का चुनाव पूजा-पाठ के लिए नहीं, विकास के लिए होता है।”

शुरुआत में लोगों को उम्मीद थी कि विधायक पुत्र होने के नाते आदित्य कुमार अपने पिता की कमियों को दूर करेंगे और सकरा का विकास नई दिशा में ले जाएंगे। युवा नेतृत्व की छवि को देखते हुए कुछ मतदाता उत्साहित भी थे, परन्तु उनका धार्मिक बयान उस उम्मीद पर पानी फेर गया।

अब जनता पूछ रही है “अगर विधायक हर मरनी-हरनी में जाएंगे, तो सड़क, स्कूल और अस्पताल का काम कौन करेगा?”सियासी जानकारों का कहना है कि आदित्य कुमार का यह बयान “संवेदनशील राजनीति” की बजाय “भावनात्मक राजनीति” को दर्शाता है, जो युवाओं की आकांक्षाओं से मेल नहीं खाती।

जदयू के इस निर्णय ने एक बार फिर परिवारवाद बनाम जनाधार की बहस को हवा दे दी है।राजनीतिक पंडितों का मानना है कि पार्टी ने वफादार कार्यकर्ताओं की जगह परिवार के व्यक्ति को आगे लाकर अपने ही वोट बैंक में दरार डाल दी है।वहीं, विपक्षी दलों  विशेषकर राजद और कांग्रेस  ने इस मौके को भुनाने की रणनीति शुरू कर दी है।राजद नेताओं का कहना है कि “सकरा की जनता अब मंदिर-मस्जिद की नहीं, बेरोज़गारी, शिक्षा और किसानों की बात सुनना चाहती है।”

सकरा का यह इलाका मुज़फ़्फ़रपुर ज़िले की राजनीति का अहम केंद्र माना जाता है। यहाँ हर चुनाव जातीय और भावनात्मक समीकरणों से आगे बढ़कर स्थानीय मुद्दों पर भी निर्भर करता है।2020 के चुनाव में जदयू ने इस सीट को बड़ी मेहनत से बचाया था, मगर इस बार जनता के मूड में बदलाव दिख रहा है।जमीनी स्तर पर लोगों का रुझान बताता है कि अगर जदयू प्रत्याशी अपनी दिशा नहीं बदलते, तो सकरा विधानसभा में मुकाबला उनके लिए आसान नहीं रहेगा। 

रिपोर्टर: मनी भूषण शर्मा