बिहार विधानसभा चुनाव में दोगुने सीटों पर चुनाव लड़ेंगे वामदल! राजद-कांग्रस के साथ ऐसे होगी सीट शेयरिंग, जीत का फार्मूला भी किया तय
बिहार में चुनावी तैयारियों में जुटे महागठबंधन की ओर से वामदलों ने चुनाव में सीटों के बंटवारे और अपने दावे को लेकर बड़ा संकेत दिया है. वामदलों की कोशिश पिछले चुनाव की तुलना में दोगुने सीटों पर लड़ने की है.
Bihar Vidhansabha Election: बिहार विधानसभा चुनाव में वामदलों की ओर से 40 से 45 सीटों पर चुनाव लड़ने का लक्ष्य रखा गया है. वर्ष 2020 में हुए चुनाव भाकपा (माले) एल ने जितनी सीटों पर जीत हासिल की थी इस बार उसे दोगुना करने की चाहत है. सीपीआई (एमएल)एल, राजद और कांग्रेस के बाद गठबंधन में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है. पार्टी सूत्रों के अनुसार इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में राजद के नेतृत्व वाले ‘महागठबंधन’ के हिस्से के रूप में वामदलों ने पहले से ही ठोस जमीनी काम शुरू कर दिया है.
कांग्रेस से बेहतर प्रदर्शन
2020 के चुनावों में, सीपीआई (माले) एल ने 19 में से 12 सीटें जीती थीं और कांग्रेस के 27.14 प्रतिशत (70 में से 19 सीटों पर मिली जीत ) जीत की तुलना में 63.15 प्रतिशत की स्ट्राइक से जीत हासिल की थी. वामदलों का मानना है कि पांच साल पहले वामपंथी को अगर अधिक सीटें मिलती तो जीत का स्ट्राइक रेट कहीं ज्यादा रहता. ऐसे में इस बार के चुनाव में वामदलों की कोशिश है कि करीब 40 सीटों पर चुनाव में दावा ठोका जाए. वर्ष 2020 के मुकाबले 2015 में सीपीआई (एमएल) एल ने अकेले चुनाव लड़ा था, जिसमें 3.06 प्रतिशत की स्ट्राइक रेट के साथ 98 में से तीन सीटें जीती थीं. ऐसे में राजद-कांग्रेस का हिस्सा होकर पार्टी ने कहीं बड़ी जीत हासिल की. इस बार भी महागठबंधन के साथ रहते हुए पार्टी बड़ी जीत की रणनीति पर काम कर रही है.
महिलाओं और दलितों पर ध्यान
हाल में ही सीपीआई (एमएल) एल के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि ‘महागठबंधन’ ने सीट बंटवारे पर चर्चा शुरू कर दी है. उन्होंने कहा कि सीपीआई (एमएल) 40-45 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहेगी. हालांकि पार्टी ने किसी भी उम्मीदवार को अंतिम रूप नहीं दिया है, लेकिन सूत्रों ने कहा कि वे इस बार “अधिक सामाजिक विविधता” वाले उम्मीदवारों की सूची पर विचार कर रहे हैं, क्योंकि पार्टी किसानों और शिक्षित युवाओं के अलावा अधिक संख्या में महिलाओं और दलितों को मैदान में उतारने की योजना बना रही है.
चुनावी जीत की खास रणनीति
पार्टी सूत्रों के अनुसार वामदलों को लोकसभा चुनाव में बिहार में मिली सफलता ने भी उत्साहित किया है. काराकाट लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से राजाराम सिंह और आरा संसदीय क्षेत्र से सुदामा प्रसाद ने जीत हासिल करने में सफलता पाई. इसी तरह बेगूसराय में भी वाम उम्मीदवार का प्रदर्शन प्रभावशाली रहा लेकिन वे जीतने में सफल नहीं रहे. पार्टी की कोशिश इस सफलता दर को विधानसभा चुनाव में और बड़े स्तर पर आगे बढ़ानी की है. पार्टी बिहार में किसानों, दलितों, छात्रों, शिक्षा , रोजगार के मुद्दे को प्रमुखता से रखते हुए चुनावी तैयारी में उतरने की कोशिश में है. इसमें हाशिये के वर्गों को आगे लाने और उन्हें अपने पक्ष में गोलबंद करने पर खास नजर रहेगी. वहीं अल्पसंख्यक वोटरों खासकर मुसलमानों को मौजूदा एनडीए सरकार के खिलाफ एकजुट कर उसका बड़ा लाभ अपने उम्मीदवारों के लिए लेने की भी कोशिश होगी.
एकजुट होकर सफलता का मंत्र
बिहार में वाम दलों की तीन पार्टियां हैं- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी माले. कई चुनावों में एक साथ नहीं होने के कारण वाम दलों को बिहार में बड़ा झटका लगा. ऐसे में इस बार के चुनाव में यह भी कोशिश होगी कि किसी प्रकार का बिखराव या टूट का संदेश या संकेत वामदलों के तीनों धड़ों की ओर से नहीं जाए.