Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा होते ही लागू हो जाएगी आदर्श आचार संहिता, जानिए नियम और कानून, कब तक रहेगा लागू

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान संभवतः आज हो सकता है। ऐसे में चुनावी घोषणा होने के साथ ही प्रदेश में आदर्श आचार संहिता लागू हो जाएगा। आइए जानते हैं इसके नियम और कानून...

क्या होता है आदर्श आचार संहिता - फोटो : social media

Bihar Election 2025: बिहार के लिए आज का दिन कई मायनों में महत्वपूर्ण है। एक ओर जहां सीएम नीतीश ने आज पटना मेट्रो को हरी झंडी दिखा दी है तो वहीं दूसरी ओर शाम 4 बजे चुनाव आयोग बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा भी कर सकता है। बता दें कि, चुनाव के ऐलान के बाद से प्रदेश में आचार संहिता लागू हो जाएगी। ऐसे में आइए जानते हैं कि आदर्श आचार संहिता  क्या होता है और इसके लागू होते ही किन किन बातों पर रोक लग जाती है।   

तारीखों की घोषणा होते ही होगा लागू

दरअसल, बिहार में आज विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा होने की संभावना है। जैसे ही चुनाव आयोग इसकी औपचारिक घोषणा करेगा उसी क्षण से राज्य में आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct) लागू हो जाएगी। इसके साथ ही सरकार और सभी राजनीतिक दलों पर चुनावी नियंत्रण शुरू हो जाएगा।

आदर्श आचार संहिता के उद्देश्य 

आदर्श आचार संहिता का मुख्य उद्देश्य चुनाव समान, पारदर्शी और निष्पक्ष माहौल में संपन्न करना होता है। इस अवधि में राज्य सरकार केवल रूटीन प्रशासनिक कार्य ही कर सकती है। इसका मतलब है कि अब कोई नई परियोजना की घोषणा, वित्तीय निर्णय या शिलान्यास नहीं किया जा सकेगा। मंत्री सरकारी संसाधनों का उपयोग प्रचार के लिए नहीं कर पाएंगे और सरकारी धन से पार्टी प्रचार सख्ती से प्रतिबंधित रहेगा।

MCC कब लागू होती है और कब तक रहती है?

जैसे ही निर्वाचन आयोग चुनाव की तारीखें घोषित करता है उसी क्षण से आचार संहिता लागू हो जाती है। यह मतदान और परिणाम घोषित होने तक प्रभावी रहती है। इस दौरान राज्य के सभी डीएम, एसपी, बीडीओ, एसडीओ और अन्य अधिकारी निर्वाचन आयोग के नियंत्रण में आ जाते हैं। बिना आयोग की अनुमति किसी अधिकारी का तबादला या पदस्थापन नहीं हो सकता।

आचार संहिता में क्या होती है सरकार की सीमाएं

आचार संहिता लागू होने के बाद सरकार नई योजनाओं या परियोजनाओं की घोषणा नहीं कर सकती है। किसी भी तरह का वित्तीय आवंटन या बजट प्रस्ताव नहीं दे सकती। शिलान्यास या उद्घाटन नहीं कर सकती। सरकारी भवनों या संसाधनों का उपयोग प्रचार के लिए नहीं कर सकती। 

विज्ञापन और प्रचार पर नियंत्रण

साथ ही सरकारी धन से किसी भी प्रकार का राजनीतिक विज्ञापन या उपलब्धि आधारित प्रचार जारी नहीं किया जा सकता। सरकारी वेबसाइटों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से राजनीतिक प्रतीक और संदेश हटाने होंगे। निजी और सरकारी मीडिया में किसी दल या उम्मीदवार को असमान कवरेज देना भी मना है।

राजनीतिक दलों के लिए प्रावधान 

आदर्श आचार संहिता में राजनीतिक दलों के लिए नियम की बात करें तो राजनीतिक दलों के लिए धर्म, जाति, भाषा या क्षेत्र के नाम पर वोट मांगना प्रतिबंधित रहेगा। भड़काऊ या नफरत फैलाने वाले भाषणों पर रोक लगेगी। मतदाताओं को उपहार या पैसा देने पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। 

सोशल मीडिया पर सख्त निगरानी

निर्वाचन आयोग अब सोशल मीडिया पर भी नजर रखता है। फेसबुक, व्हाट्सऐप, यूट्यूब या अन्य प्लेटफॉर्म पर प्रचार सामग्री और खर्च का पूरा लेखा आयोग को देना होता है। फेक न्यूज या गलत सूचना फैलाने पर आईटी एक्ट और चुनाव कानून के तहत कार्रवाई की जा सकती है।

उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई

अगर कोई मंत्री या उम्मीदवार आचार संहिता का उल्लंघन करता है तो निर्वाचन आयोग उसे नोटिस जारी कर सकता है। एफआईआर दर्ज करा सकता है या उसके प्रचार पर रोक लगा सकता है। गंभीर मामलों में जुर्माना या नामांकन रद्द तक हो सकता है।

लोकतंत्र की आत्मा है आचार संहिता

आचार संहिता लागू होते ही राज्य में सत्ता और प्रशासन का संतुलन बदल जाता है। अब सरकार सीमित कार्य कर सकेगी और पूरे चुनावी प्रबंधन की जिम्मेदारी निर्वाचन आयोग के हाथ में होगी। इसका उद्देश्य यही है कि कोई भी दल अपने पद या प्रभाव का दुरुपयोग न कर सके। यह भारतीय लोकतंत्र की आत्मा है जो सुनिश्चित करती है कि हर नागरिक बिना दबाव के, समान अवसर के साथ अपने मत का प्रयोग कर सके।