मोतिहारी की सियासत में बवाल, भाजपा विधायक पवन जायसवाल के बयान पर चित्रगुप्त समाज का ग़ुस्सा, गरमाई राजनीति

राजनीतिक गहमागहमी में पूर्वी चंपारण ज़िले की ढाका सीट से भाजपा विधायक पवन जायसवाल का बयान सियासी भूचाल लेकर आया है।...

भाजपा विधायक पवन जायसवाल के बयान पर चित्रगुप्त समाज का ग़ुस्सा- फोटो : reporter

Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और सियासी गलियारों में आरोप प्रत्यारोप तेज़ हो गया है। नेताओं के भाषण और बयानबाज़ी से माहौल गर्म है। इसी गहमागहमी में पूर्वी चंपारण ज़िले की ढाका सीट से भाजपा विधायक पवन जायसवाल का बयान सियासी भूचाल लेकर आया है।

दरअसल, एक कार्यक्रम के दौरान विधायक ने भगवान चित्रगुप्त को लेकर विवादित टिप्पणी कर दी। वीडियो वायरल होते ही चित्रगुप्त समाज के लोगों में ग़ज़ब का आक्रोश देखने को मिला। उनका आरोप है कि भाजपा विधायक ने उनके आराध्य देवता का अपमान किया है, इसलिए उन्हें सार्वजनिक तौर पर माफ़ी माँगनी होगी।

आक्रोशित लोगों ने मोतिहारी शहर के गांधी चौक पर ज़ोरदार प्रदर्शन किया। पुतला दहन, “पवन हटाओ भाजपा बचाओ” और “भाजपा विधायक मुर्दाबाद” जैसे नारे लगाए गए। समाज के लोगों ने साफ़ चेतावनी दी कि अगर पार्टी ने विधायक का टिकट नहीं काटा तो पूर्वी चंपारण की 12 विधानसभा सीटों पर भाजपा का बहिष्कार किया जाएगा।

भाजपा नेतृत्व पर भी दबाव बढ़ गया है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि “अगर ऐसे नेताओं को पार्टी टिकट देती है तो यह सीधे समाज का अपमान होगा।” टिकट कटौती की माँग के साथ समाज ने ऐलान किया है कि अगर इंसाफ़ न मिला तो चुनावी मैदान में भाजपा को कड़ा सबक सिखाया जाएगा।

विवाद बढ़ता देख पवन जायसवाल ने एक और कार्यक्रम के मंच से सार्वजनिक माफ़ी माँगी। उन्होंने कहा: “भाषण के दौरान ज़ुबान फिसल गई थी। मेरी नीयत कभी किसी समाज या आराध्य देवता का अपमान करने की नहीं थी। अगर मेरे बयान से किसी को ठेस पहुँची है तो मैं 200 बार भी माफ़ी माँगने के लिए तैयार हूँ।”

हालाँकि, राजनीतिक हलकों में सवाल यह उठ रहा है कि क्या उनकी माफ़ी समाज का ग़ुस्सा शांत कर पाएगी या यह मुद्दा भाजपा के लिए चुनावी सिरदर्द साबित होगा? विपक्ष ने भी इस विवाद को हाथों-हाथ लिया है और भाजपा पर धार्मिक आस्था के अपमान का आरोप मढ़ना शुरू कर दिया है।

साफ़ है कि चुनावी मौसम में यह बयान भाजपा के लिए डैमेज कंट्रोल की चुनौती बन गया है। अब देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा नेतृत्व पवन जायसवाल का टिकट बचाता है या जनता के ग़ुस्से को देखते हुए उन्हें किनारे कर देता है।