Bihar Govt Holiday: 6 और 11 नवंबर को रहेगा सार्वजनिक अवकाश, सरकारी और प्राइवेट कर्मचारियों को मिलेगा छुट्टी का लाभ, चुनाव आयोग ने आदेश किया जारी

Bihar Govt Holiday: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियाँ ज़ोरों पर हैं। चुनाव आयोग ने पहले चरण की वोटिंग के दिन 6 नवंबर (गुरुवार) को सवैतनिक सार्वजनिक अवकाश घोषित कर दिया है।

6 और 11 नवंबर को रहेगा सार्वजनिक अवकाश- फोटो : social Media

Bihar Govt Holiday: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियाँ ज़ोरों पर हैं। चुनाव आयोग ने पहले चरण की वोटिंग के दिन 6 नवंबर (गुरुवार) को सवैतनिक सार्वजनिक अवकाश घोषित कर दिया है। यह आदेश मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, बिहार द्वारा जारी किया गया है। पहले चरण में राज्य की 121 विधानसभा सीटों पर  6 नवंबर (गुरुवार) को मतदान होगा, जबकि दूसरे चरण का मतदान 11 नवंबर (मंगलवार) को होगा।

लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 135 (क) और 135 (ख) के तहत, चुनावी दिन को श्रमिकों और कर्मचारियों के लिए सवैतनिक अवकाश देने का अधिकार सुरक्षित है। इस प्रावधान का उद्देश्य हर नागरिक को लोकतांत्रिक प्रक्रिया में समान रूप से भागीदारी सुनिश्चित कराना है। आदेश के मुताबिक, चाहे सरकारी विभाग हों या निजी क्षेत्र  सभी संस्थानों को अपने कर्मचारियों को मतदान दिवस पर अवकाश देना अनिवार्य होगा।

इसी के साथ, भारत निर्वाचन आयोग  ने मतदाताओं की सुविधा के लिए यह भी स्पष्ट किया है कि यदि किसी के पास ईपिक (EPIC) यानी मतदाता पहचान पत्र नहीं है, तो वे 12 वैकल्पिक फोटो पहचान पत्रों में से किसी एक का उपयोग कर सकते हैं।

इन 12 वैकल्पिक पहचान पत्रों में आधार कार्ड,मनरेगा जॉब कार्ड,बैंक या पोस्ट ऑफिस द्वारा जारी फोटो युक्त आईडी,श्रम मंत्रालय द्वारा जारी पहचान पत्र,आयुष्मान भारत स्वास्थ्य योजना कार्ड,ड्राइविंग लाइसेंस,पैन कार्ड,एनपीआर के तहत जारी स्मार्ट कार्ड,भारतीय पासपोर्ट,फोटोयुक्त पेंशन दस्तावेज,केंद्रीय, राज्य सरकार या सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों का सर्विस आईडी कार्ड,सामाजिक न्याय मंत्रालय द्वारा जारी यूनिक डिसेबिलिटी आईडी कार्ड शामिल हैं ।

मतदान केंद्र पर इनमें से किसी एक पहचान पत्र के साथ पहुँचना पर्याप्त होगा, बशर्ते मतदाता का नाम वोटर लिस्ट में दर्ज हो।

बिहार की जनता अब दो चरणों में अपने लोकतांत्रिक अधिकार का इस्तेमाल करेगी -पहला चरण: 6 नवंबर,दूसरा चरण: 11 नवंबर। इन दोनों दिनों को राज्य में लोकतंत्र का उत्सव कहा जा सकता है  जब हर नागरिक की उंगली पर स्याही, उसके अधिकार की सबसे मज़बूत पहचान बनेगी।