BIHAR VIDHANSABHA CHUNAV 2025 - बाप बीजेपी में है तो बेटा कहां जाएगा! पवन सिंह को लेकर विनय बिहारी का ऐलान, भाजपा में जल्द होगी वापसी
BIHAR VIDHANSABHA CHUNAV 2025 - पावर स्टार के विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद अब उनके बीजेपी में वापसी की चर्चा शुरू हो गई है। भाजपा विधायक ने दावा किया है कि वह भाजपा के टिकट पर ही चुनाव लड़ेंगे।

PATNA - भाजपा विधायक विनय बिहारी ने पवन सिंह को लेकर कहा कि वह मेरा बेटा है। जब बाप बीजेपी में है तो बेटा कहां जाएगा और वह चुनाव बीजेपी से ही लड़ेंगे। उन्होंने बड़ी मांग भी कर दी की विधायिका कभी चुनाव लड़ने के लिए उम्र सीमा होना चाहिए जिस तरह से कार्यपालिका का उम्रसीमाहोताहै। बता दें कि विनय बिहारी का बयान तब आया है जब पवन सिंह ने विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा की है।
विनय बिहार ने कहा कि वह सिर से पांव तक बीजेपी का है। अगर पिता गुस्से में बेटे को घर से निकाल देता है। बेटा भी चला जाता है। लेकिन जिस तरह मां-बाप का गुस्सा लंबे समय के लिए नहीं होता है, पवन सिंह और बीजेपी के साथ यही रिश्ता है। उन्होंने कहा कि उनका आना निश्चित है। भले ही उनकी गलती हुई है। गुस्सा जिंदगी का हिस्सा है। उसको चुनाव लड़ने का इरादा था। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। लेकिन निर्दलीय लड़ने का फैसला किया। अब भी उसने किसी पार्टी को ज्वाइन नहीं किया है. क्योंकि वह भाजपा को नुकसान नहीं करना चाहता है।
तेजस्वी के युवा चौपाल का फायदा नहीं
तेजस्वी के युवा चौपाल में किए वायदों को लेकर उन्होंने कहा इसका कोई सरजंमी नहीं है। माइ बहिन योजना के लिए पैसा कहां से लाएंगे। उन्होंने झारखंड से तुलना करने पर कहा कि वहां अबरख है, इसके साथ कई खनिज संपदा है। आबादी कुल तीन करोड़ है। जबकि बिहार में सिर्फ महिलाओं की आबादी 6.5 करोड़ है। इन्हें अगर 25 सौ से गुणा करें तो कितना पैसा होगा। यह समझने की जरुरत है। तेजस्वी की योजना बिना ब्लू प्रिंट के साथ तैयार की गई है। तेजस्वी को युवाओं का साथ नहीं मिलेगा। क्योंकि उनसे ज्यादा युवा नीतीश जी और मोदी जी के साथ जुड़े हुए हैं।
विधायिका के रिटायरमेंट तय होनी चाहिए
नीतीश कुमार को थकाहारा बताए जाने को लेकर उन्होंने कहा घर का मालिक बुजुर्ग ही होता है। तो क्या उनकी बात नहीं होनी चाहिए। इस दौरान विधायिका के लिए उम्र सीमा तय होना चाहिए। जैसे कार्यपालिका और न्यायपालिका में रिटायरमेंट की उम्र निर्धारित है। वैसे ही अब समय आ गया है कि विधायिका के लिए समय तय किया जाए, इसके लिए सही समय है।
रिपोर्ट – अभिजीत सिंह