बिहार इलेक्शन में आरके सिंह का बागी तेवर, बीजेपी में उठी सियासी भूचाल, राजपूत वोट बैंक पर मंडराया संकट!

Bihar Vidhansabha Chunav:: बिहार विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने से पहले सियासी दंगल तेज हो चुका है। सत्ता की गलियों से लेकर चाय-पान की दुकानों तक हर जगह सबसे बड़ा चर्चित नाम है पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के कद्दावर राजपूत नेता आरके सिंह। ...

बिहार इलेक्शन में आरके सिंह का बागी तेवर- फोटो : social Media

Bihar Vidhansabha Chunav: बिहार विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने से पहले सियासी दंगल तेज हो चुका है। सत्ता की गलियों से लेकर चाय-पान की दुकानों तक हर जगह सबसे बड़ा चर्चित नाम है पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के कद्दावर राजपूत नेता आरके सिंह। वजह है उनका बागी तेवर और पार्टी से लगातार मिल रही साइडलाइनिंग।

आरा के बाबू बाज़ार में हुई सभा में आरके सिंह ने अपने ही संगठन को कटघरे में खड़ा कर दिया। मंच से उन्होंने तल्ख लहजे में कहा—“मुझे कमजोर करने की साज़िश हुई, पार्टी में लगातार मेरी उपेक्षा (नेग्लेक्ट) की जा रही है, क्या हमें अपनी अलग पार्टी बनानी चाहिए?” यह सवाल सीधे तौर पर बीजेपी हाईकमान को चुभ गया।

सूत्र बताते हैं कि लोकसभा चुनाव में मिली शिकस्त के बाद से ही आरके सिंह का गुस्सा चरम पर है। आरा सीट से सीपीआईएम एल के सुदामा प्रसाद ने उन्हें 59 हज़ार वोटों से हराया था। इस हार का ठीकरा आरके सिंह ने पार्टी के भीतर हुए भितरघात (इन-हाउस कांस्पिरेसी) पर फोड़ा। तभी से उनके तेवर तल्ख़ हैं और दिल्ली से पटना तक बेचैनी बढ़ी हुई है।

इधर, चर्चा गर्म है कि आरके सिंह प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी का दामन थाम सकते हैं। हालांकि उन्होंने इसे “झूठा अफवाह” कहकर खारिज कर दिया। बयान साफ़ है—“ना मैं पार्टी छोड़ रहा हूं, ना कोई नई पार्टी बना रहा हूं।” लेकिन ज़मीनी सच्चाई यह है कि बीजेपी ने उन्हें मेनिफेस्टो कमेटी और कैंपेन कमेटी से बाहर कर साफ़ मैसेज दे दिया है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह पूरा खेल राजपूत वोट बैंक को लेकर है। बिहार में राजपूतों की आबादी 3.45% है और इनका असर 40 से ज़्यादा विधानसभा सीटों पर माना जाता है। यही वजह है कि बीजेपी ने तुरंत डैमेज कंट्रोल मोड में आकर राजीव प्रताप रूडी को कमेटी में जगह दी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को स्टार प्रचारक बनाने की तैयारी कर ली।