Bihar Vidhansabha Chunav 2025:जन सुराज में शामिल होने पर पूर्व सांसद ओमप्रकाश यादव ने तोड़ी चुप्पी, दिया बड़ा बयान, सिवान की सियासत में आंधी
Bihar Vidhansabha Chunav 2025:सीवान संसदीय क्षेत्र से दो बार लोकसभा का प्रतिनिधित्व कर चुके पूर्व सांसद ओमप्रकाश यादव को लेकर सोमवार को जिले भर में चर्चाओं का बाजार गर्म रहा। इस पर पूर्व सांसद ने चुप्पी तोड़ी है।

Bihar Vidhansabha Chunav 2025:सीवान संसदीय क्षेत्र से दो बार लोकसभा का प्रतिनिधित्व कर चुके पूर्व सांसद ओमप्रकाश यादव को लेकर सोमवार को जिले भर में चर्चाओं का बाजार गर्म रहा। चर्चा थी कि वह जल्द ही प्रशांत किशोर की अगुवाई वाली जनसुराज पार्टी में शामिल होने वाले हैं। यह चर्चा तब और तेज हो गई जब रविवार को पटना में ओमप्रकाश यादव और प्रशांत किशोर की मुलाकात की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। कहा जाने लगा कि प्रशांत किशोर खुद सोमवार को सीवान के लहेजी गांव पहुंचकर ओमप्रकाश यादव को पार्टी की सदस्यता दिलाएंगे।
हालांकि, दोपहर बीतते-बीतते इन अटकलों पर विराम लग गया। जब इस पूरे मामले को लेकर पूर्व सांसद ओमप्रकाश यादव से पूछा गया तो उन्होंने साफ कहा, “सार्वजनिक जीवन में कोई किसी से भी मिल सकता है। मैं प्रशांत किशोर जी से मिला जरूर हूं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि मैं उनकी पार्टी में शामिल हो रहा हूं।” उन्होंने जनसुराज पार्टी में शामिल होने की खबरों को पूरी तरह से खारिज करते हुए इसे मात्र अटकल बताया।
पूर्व सांसद की इस सफाई के बाद जिले की राजनीतिक गलियों में चल रही चर्चाओं पर फिलहाल विराम लग गया है। लेकिन यह घटना यह जरूर दर्शाती है कि ओमप्रकाश यादव की राजनीतिक गतिविधियों पर जनता और राजनीतिक विश्लेषकों की पैनी नजर बनी हुई है।
राजनीतिक सफर पर एक नजर
ओमप्रकाश यादव का राजनीतिक करियर सीवान की राजनीति में कई उतार-चढ़ाव का गवाह रहा है। उन्होंने वर्ष 2009 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ते हुए सीवान में बड़ा उलटफेर किया था। उन्होंने उस समय राजद नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब को हराकर सबको चौंका दिया था।
इसके बाद 2014 में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और एक बार फिर जीत दर्ज कर सीवान से सांसद बने। लेकिन 2019 के आम चुनाव में सीवान सीट जदयू के कोटे में चली गई और वहां से कविता सिंह विजयी हुईं। तब से ओमप्रकाश यादव सक्रिय राजनीति से थोड़े दूर जरूर दिखे, लेकिन अब भी उनकी राजनीतिक पकड़ मजबूत मानी जाती है।
भविष्य की राजनीति पर नजर
जनसुराज पार्टी में उनकी संभावित एंट्री फिलहाल भले ही टल गई हो, लेकिन सीवान की राजनीति में उनका प्रभाव बना हुआ है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले चुनावों में वे किस दिशा में कदम बढ़ाते हैं। फिलहाल उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया है कि प्रशांत किशोर से मुलाकात सिर्फ एक सामान्य भेंट थी, न कि राजनीतिक गठजोड़ की शुरुआत।
सीवान से Tabish irshad की रिपोर्ट