Bihar Vidhansabha Chunav 2025: मोहनियां में बदला सियासी खेल, तेजस्वी यादव का निर्दलीय को समर्थन, बीजेपी खेमे में हलचल

Bihar Vidhansabha Chunav 2025: कैमूर जिले की मोहनियां विधानसभा सीट पर राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने अप्रत्याशित कदम उठाते हुए निर्दलीय उम्मीदवार रवि पासवान को अपना समर्थन दे दिया है।

तेजस्वी यादव का निर्दलीय को समर्थन- फोटो : social Media

Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार की सियासत में एक बार फिर नया मोड़ आया है। कैमूर जिले की मोहनियां विधानसभा सीट पर राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने अप्रत्याशित कदम उठाते हुए निर्दलीय उम्मीदवार रवि पासवान को अपना समर्थन दे दिया है।

यह फैसला तब आया जब आरजेडी की आधिकारिक प्रत्याशी श्वेता सुमन पासवान का नामांकन पत्र निर्वाचन आयोग ने जाति प्रमाण पत्र में गड़बड़ी के चलते रद्द कर दिया।

राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इस पर तत्काल रणनीतिक निर्णय लिया। तेजस्वी ने बुधवार शाम पार्टी नेताओं से सलाह-मशविरा कर निर्दलीय रवि पासवान के समर्थन की घोषणा की। तेजस्वी और रवि की मुलाकात की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल होते ही राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई।

दिलचस्प यह है कि रवि पासवान, बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद छेदी पासवान के बेटे हैं। छेदी पासवान ने बीजेपी के टिकट पर सासाराम लोकसभा सीट से 2014 और 2019 में जीत दर्ज की थी, लेकिन 2024 के चुनाव में उनका टिकट काट दिया गया था। इससे पहले वे चेनारी और मोहनियां से विधायक रह चुके हैं और बिहार सरकार में मंत्री पद भी संभाल चुके हैं।

श्वेता सुमन का नामांकन रद्द होने के बाद महागठबंधन के पास मोहनियां सीट पर कोई उम्मीदवार नहीं बचा था। ऐसे में आरजेडी का रवि पासवान के पक्ष में आना एक सोची-समझी सियासी चाल मानी जा रही है।राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि तेजस्वी यादव ने यह फैसला दलित वोट बैंक और स्थानीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए लिया है।रवि पासवान की पारिवारिक पृष्ठभूमि, इलाके में उनका जनसंपर्क और बीजेपी से उनकी दूरी  इन सबने उन्हें महागठबंधन के लिए रणनीतिक मोहरा बना दिया है।

मोहनियां सीट, जो अनुसूचित जाति  के लिए आरक्षित है, हमेशा से सियासी संघर्ष का केंद्र रही है। इस बार समीकरण और भी दिलचस्प हो गए हैं  एक तरफ निर्दलीय रवि पासवान को आरजेडी का समर्थन मिला है, तो दूसरी तरफ बीजेपी को अपने ही गढ़ में बगावत की आंच महसूस हो रही है।कुल मिलाकर, मोहनियां की यह जंग अब केवल सीट की नहीं, बल्कि सियासी साख और रणनीति की परीक्षा बन चुकी है।