Bihar Election 2025: कुख्यात अशोक महतो की पत्नी को तेजस्वी ने फिर दिया टिकट, यहां से ठोकेंगी ताल, लोकसभा में मिली थी करारी हार

Bihar Election 2025: नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने लोकसभा चुनाव में एनडीए के हाथों हारने वाली कुख्यात अशोक महतो की पत्नी अनीता देवी को एक बार फिर टिकट दिया है। एक बार फिर एनडीए के खिलाफ अनीता देवी चुनावी मैदान में हैं...

तेजस्वी ने कुख्यात की पत्नी को दिया टिकट - फोटो : social media

Bihar Election 2025: लोकसभा चुनाव में राजद सुप्रीमो लालू यादव ने बाहुबली अशोक महतो की पत्नी अनीता देवी को मुंगेर से उम्मीदवार बनाया। अनीता देवी केंद्रीय मंत्री ललन सिंह के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरी, लेकिन उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा। ललन सिंह ने अनीता देवी को भारी मतों से हराया। वहीं अब लोकसभा चुनाव में हारी अनीता देवी पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने एक बार फिर भरोसा जताया है। अनीता देवी को एक बार फिर राजद का सिंबल दिया गया है। 

तेजस्वी को कुख्यात की पत्नी पर भरोसा?

जानकारी अनुसार अनीता देवी के वारिसलीगंज से टिकट मिला है। देर रात अनीता देवी राबड़ी आवास पहुंची। जहां तेजस्वी ने अनीता देवी को वारिसलीगंज से राजद टिकट दिया। अनीता देवी बीजेपी कोटे की एनडीए उम्मीदवार अरुणा देवी के खिलाफ हुंकार भरेंगी। बता दें कि अनीता देवी कुख्यात अपराधियों में शामिल है। 17 साल उन्होंने जेल में बिताया है। लोकसभा चुनाव में चुनावी मैदान में उतरने के लिए 60 साल के अशोक महतो ने अनीता देवी से शादी किया। जिसके बाद उन्हें मुंगेर से टिकट मिला हालांकि ललन सिंह के हाथों हार का सामना करना पड़ा।      

अनिता बनाम अरुणा 

2025 के विधानचुनाव का यह मुकाबला दिलचस्प होने जा रहा है। बाहुबली अशोक महतो की पत्नी अनिता कुमारी अब चुनावी मैदान में हैं और वो बाहुबली अखिलेश सिंह की पत्नी अनीता देवी को टक्कर देंगी। अशोक महतो वारिसलीगंज से पत्नी को चुनाव लड़ाने की कवायद में कई दिनों से जुटे थे। हाल ही में वो राजद सुप्रीमो से मिलने भी पहुंचे थे लेकिन उन्हें राबड़ी आवास में एंट्री नहीं मिली थी। जिसके बाद कई कयास लगाए जा रहे थे लेकिन तेजस्वी ने एक बार फिर बाहुबली की पत्नी को टिकट देकर सभी कयासों को रोक दिया है। 

बाहुबलियों में टकराव 

दरअसल, जेल ब्रेक कांड में सजायाफ्ता होने के कारण अशोक खुद चुनाव नहीं लड़ सकते। 17 साल जेल में बिताने के बाद दिसंबर 2023 में रिहा हुए अशोक महतो अब पूरी तरह सक्रिय हैं। वारिसलीगंज में अशोक महतो कई दिनों से लगातार जनसंपर्क कर रहे थे। बता दें कि वारिसलीगंज में अशोक महतो और अखिलेश सिंह की लड़ाई पुरानी है। अखिलेश सिंह और अशोक महतो में सह मात की लड़ाई चलती आई है। 

बाहुबलियों के कब्जे में सियासत

पिछले ढाई दशक में वारिसलीगंज की राजनीति पूरी तरह बाहुबलियों के इर्द-गिर्द सिमट चुकी है। 2000 के बाद से इस क्षेत्र में परंपरागत जननेता या सामाजिक कार्यकर्ताओं की जगह बाहुबली परिवारों ने कब्जा जमाया हुआ है। मतदाता भी अब बाहुबली नेताओं को “रॉबिनहुड” की छवि में देखने लगे हैं। इस क्षेत्र में दो बड़े नाम अखिलेश सिंह और अशोक महतो  के बीच की प्रतिद्वंद्विता ने न सिर्फ स्थानीय राजनीति बल्कि पूरे नवादा-नालंदा-शेखपुरा बेल्ट की सियासत को दशकों तक प्रभावित किया है। 90 के दशक में जातीय वर्चस्व की लड़ाई के कारण इन दोनों के गुटों के बीच कई खूनी संघर्ष हुए। दोनों नेताओं पर कई आपराधिक मुकदमे दर्ज रहे, हालांकि अब अधिकांश मामलों में उन्हें राहत मिल चुकी है।

25 साल की सियासी शह-मात

वारिसलीगंज की बाहुबली राजनीति की शुरुआत साल 2000 के चुनाव से हुई, जब अखिलेश सिंह की पत्नी अरुणा देवी ने जेडीयू के टिकट पर जीत दर्ज की। इसके बाद 2005 में अशोक महतो के करीबी प्रदीप महतो चुनाव मैदान में उतरे। फरवरी 2005 में वे हार गए, लेकिन अक्टूबर 2005 में उन्होंने अरुणा देवी को शिकस्त दी। 2010 में प्रदीप महतो ने दोबारा जीत दर्ज की, जबकि 2015 में अरुणा देवी ने वापसी की। 2020 में भी अरुणा देवी ने बीजेपी के टिकट पर लगातार दूसरी बार जीत हासिल की और राजद की आरती सिंह को करीब 25 हजार वोटों के अंतर से हराया। वहीं अब एक बार फिर दो बाहुबलियों में लड़ाई देखने को मिलेगी। इस बार चुनावी मैदान में दोनों की पत्नियां हैं। अब देखना होगा कौन किसको मात देता है।