Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार में अबकी बार किसकी सरकार? 65 फीसदी की ताबड़तोड़ वोटिंग ने बढ़ाई सियासी गर्मी, रिकॉर्ड टूटने तय!
Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में गुरुवार को हुई 65 फ़ीसदी से ज़्यादा वोटिंग ने सूबे की सियासत में हलचल मचा दी है।
Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में गुरुवार को हुई 65 फ़ीसदी से ज़्यादा वोटिंग ने सूबे की सियासत में हलचल मचा दी है। 121 सीटों पर पड़े 64.66% वोट न सिर्फ़ अब तक का रिकॉर्ड है, बल्कि यह इस बात का मजबूत इशारा भी है कि जनता इस बार चुप नहीं, बल्कि बेहद गंभीर और उत्साहित है। लोकतंत्र के इस महापर्व में महिलाओं की लम्बी कतारें, युवाओं का जोश, और गांव-देहात तक उमड़े मतदाताओं ने माहौल को उत्सवी बना दिया। चुनाव आयोग ने मतदान को शांतिपूर्ण बताते हुए कहा कि ये जश्न लोकतंत्र की जीत है।
यह चुनाव सिर्फ़ सत्ता का हस्तांतरण नहीं, बल्कि दो नैरेटिव की सीधी भिड़ंत है एक तरफ़ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का दावा किए गए सुशासन, कानून-व्यवस्था और विकास का मॉडल; दूसरी ओर तेजस्वी यादव का हर घर रोजगार का बड़ा वादा। यही कारण है कि बिहार की सियासी ज़मीन इस बार सिर्फ़ जातीय समीकरणों पर नहीं, बल्कि गवर्नेंस बनाम गारंटी के मुकाबले में बदल गई है।
सियासी जानकारों के मुताबिक़ रिकॉर्ड वोटिंग को दो संकेतों में पढ़ा जा रहा है। पहला दीवाली और छठ के बाद मतदान होने से बाहर काम करने वाले बिहारियों की घर-वापसी ने बूथों पर भीड़ बढ़ाई। दूसरा इतिहास बताता है कि तेज़ वोटिंग कई बार सत्ता-विरोधी लहर का संकेत मानी जाती है। यानी जनता बदलाव के मूड में हो सकती है।
पहले चरण में कुल 3.75 करोड़ मतदाता 1,314 उम्मीदवारों की किस्मत का फ़ैसला ईवीएम की एक उंगली से कर रहे हैं। मैदान में तेजस्वी यादव, उनके भाई तेज प्रताप, और सत्ता पक्ष के दोनों डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा व सम्राट चौधरी जैसे दिग्गज शामिल हैं। 121 सीटों पर जो भी होगा, उसका असर दूसरे चरण और अंतिम नतीजों पर बेहद गहरा पड़ेगा।
नीतीश कुमार की सुशासन नीति, कानून-व्यवस्था में सुधार, मुफ्त बिजली, पेंशन वृद्धि और महिलाओं को नकद सहायता जैसी योजनाओं पर भरोसा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी महिलाओं की बड़ी भागीदारी को जंगलराज की वापसी रोकने का संकल्प बताया।
तेजस्वी यादव का बड़ा एलान हर घर रोजगार , बेरोज़गारी और महंगाई मुख्य मुद्दा। तेजस्वी ने दावा किया: बिहार की जनता ने भारी मतदान कर महागठबंधन की जीत सुनिश्चित कर दी। प्रशांत किशोर ने भी अधिक मतदान को बदलाव की चाह का संकेत बताया। कांग्रेस भी ऊँची वोटिंग को स्पष्ट बहुमत से जोड़ रही है।
लेकिन सियासत बिना इल्ज़ामों के कैसे चलती? राजद ने आरोप लगाया कि विपक्ष-प्रभावित इलाकों में वोटिंग को धीमा किया गया, हालांकि निर्वाचन आयोग ने इसे तुरंत खारिज कर दिया। दूसरी तरफ़ मतदान के बीच डिप्टी सीएम विजय सिन्हा के काफ़िले पर पथराव की खबर ने सरगर्मी बढ़ाई, लेकिन आयोग ने पूरी स्थिति को नियंत्रण में बताया और सुरक्षा और कड़ी की।
बिहार की राजनीति में जातीय केमिस्ट्री हमेशा निर्णायक रही है। यादव, कुशवाहा, कुर्मी, ब्राह्मण और दलित वोट बैंक एक बार फिर किंगमेकर की भूमिका में हैं। कई सीटों पर इनकी एकजुटता नतीजों की दिशा मोड़ सकती है।
विपक्ष की तरफ़ से लालू प्रसाद का बयान भी सियासी गर्मी बढ़ा गया कि रोटी अगर तवे पर नहीं पलटी जाए तो जल जाती है। बीस साल बहुत लंबा वक्त है अब तेजस्वी की सरकार ज़रूरी है।इसी बीच राजग का दावा है कि 2010 का रिकॉर्ड 206 सीटों का इस बार पार होगा। सम्राट चौधरी ने कहा राजग 100 से ज़्यादा सीटें पक्के तौर पर जीत रहा है।
बहरहाल, सबसे बड़ा सवाल यही कि इतिहास रचती इस 65 फीसदी वोटिंग ने किसकी नाव आगे बढ़ाई है? क्या जनता नीतीश के सुशासन पर भरोसा दोहराएगी या तेजस्वी का रोजगार वाला ऑफर चुनावी पासा पलट देगा? क्योंकि इस बार का मुकाबला सिर्फ़ सत्ता का नहीं बल्कि भविष्य की दिशा का है यही वजह है कि 243 सीटों वाली यह जंग 2029 के लोकसभा चुनाव का भी इशारा मानी जा रही है।अब सबकी नज़र 14 नवंबर पर टिकी है।क्या वापसी होगी पुराने सिस्टम की, या खुलेगी एक नया अध्याय?जवाब सिर्फ़ और सिर्फ़ जनता के फैसले में छुपा है।