WORK TARGET : नौकरी का टारगेट पूरा करने के दबाव में 45 दिन से सोया नहीं, परेशान होकर बजाज फाइनांस के कर्मी ने लगाया मौत को गले, पत्नी के नाम लिखा सुसाइड नोट

JHANSI : आज की इस भागती दौड़ती जिन्दगी में हर व्यक्ति एक टारगेट के पीछे भाग रहा है। कोई जीवन में जल्दी सफल होने के टारगेट के पीछे भाग रहा है। तो कोई सफलता के किसी पायदान को छूने के टार्गेट में है। इसी टारगेट के चक्कर में यूपी में एक व्यक्ति ने फाइनेंस कंपनी के टार्गेट को पूरा  कर पाने में असफल होकर   मौत के टारगेट को पूरा बहुत जल्द ही पूरा कर लिया । मृतक कर्मचारी ने अपनी वेदना में बताया कि 45 दिनों से सोया नही हू । काम की बोझ कहें या परिवार की जिम्मेदारी, व्यक्ति ने 4 पन्नो की नोट में क्यों वो मौत को गले लगा रहा है। सारी बातों को परत-दर-परत अपनी चिठ्ठी में बता दिया ।

दरसअल झांसी के नवाबाद थाना क्षेत्र के गुमनावारा स्थित महाराणा प्रताप नगर के रहने वाले  तरुण सक्सेना काम की बोझ से परेशान होकर आत्महत्या कर ली ।  वह बजाज फाइनेंस कंपनी में एरिया मैनेजर थे। उनके जिम्मे झांसी, मोंठ, मऊरानीपुर आदि इलाकों से लोन वसूली का जिम्मा था। किसानों ने फसल के लिए लोन लिए थे। 

लेकिन, बारिश होने से किसानों की फसल तबाह हो गई। इस वजह से किसान लोन की किश्त जमा नहीं कर रहे थे। कंपनी के अधिकारियों द्वारा लगातार टार्गेट पूरा करने का दबाव बनाया जा रहा था । लेकिन किसानों द्वारा पैसा नही देने के कारण वो टार्गेट नहीं पूरा कर रहे थे। आखिरकार कंपनी के सीनियर के गाली औऱ दुत्कार से क्षुब्ध होकर तरुण सक्सेना ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली । 

अपने 4 पन्ने के सुसाइड नोट में मृतक ने 2 महीने से मेरा टारगेट 97.75% होने के कारण मेरे रीजनल मैनेजर प्रभाकर मिश्रा और नेशनल मैनेजर वैभव सक्सेना मुझसे बहुत नाराज हैं। उन्हें लगता है कि टारगेट पूरा न होने के लिए मैं दोषी हूं। इसके चलते मैं अगस्त से अपने क्षेत्र तालबेहट और मोंठ में हूं। टारगेट पूरा करने का प्रयास कर रहा हूं।

क्षेत्र की परिस्थितियां विपरीत हैं। हर कोशिश करने के बाद भी अनुकूल रिजल्ट नहीं मिल रहा। दरअसल, तालबेहत, मोंठ, डबरा, मऊरानीपुर ग्रामीण क्षेत्र है। जहां कम आय वाले लोग रहते हैं। कमाई के लिए दिल्ली, गुजरात और अन्य राज्यों में रहते हैं।

उनकी ओर से मोबाइल, टीवी, फ्रिज फाइनेंस करा लिए जाते हैं। बाद में वे अन्य स्थान पर चले जाते हैं। या फिर जानबूझकर किश्त नहीं देते। बजाज फाइनेंस एक सेल्स ओरिएंटेड कंपनी है। वहां कलेक्शन में जॉब करना नरक के समान है।

हम सभी से 98.5% से अधिक का टारगेट मांगा जाता है। प्रयास के बाद भी टारगेट पूरा नहीं हो पाता। कई महीनों से मैनेजर शिवम बुंदेला, सचिन कुमार और अन्य मैनेजर वेतन से ग्राहकों की किश्त कटा रहे हैं। इस स्थिति के बारे में मैंने कई बार मैनेजर को बताया, लेकिन उन्होंने मुझे अपमानित किया।

 तरूण सक्सेना ने लिखा कि मैंने स्थितियों को अनुकूल बनाने के प्रयास किए, लेकिन तालबेहट में 60, मोंठ क्षेत्र में 35 ग्राहक छूट गए। इससे मैं तनाव में हूं। मैनेजर किसी भी कीमत पर टारगेट पूरा करने को कहता है। नहीं करने पर जॉब छोड़ने को कहता है।

आपसे अनुरोध है कि मेरे जाने के बाद मेरे परिवार को इंश्योरेंस के रुपए, सहायता राशि जरूर उपलब्ध करा दें। जिससे उन्हें कोई कष्ट न हो।

मृतक ने कहा कि RBI के नियम के अनुसार, किसी भी ग्राहक की EMI का भुगतान कर्मचारी नहीं करता, लेकिन हर महीने एक निर्धारित टारगेट दे दिया जाता है। अंत तक इसे पूरा करने के लिए बाध्य किया जाता है। दबाव में आकर ग्राहकों की EMI हम लोगों को भरनी पड़ती है। सीनियर्स को भी इसकी जानकारी होती है।

 तरूण सक्सेना ने अपने सिनियर पर गाली देने का आरोप लगाया । उन्होंने अपने सुसाइड नोट में लिखा कि 31 अगस्त को गालियां दी गईं। नौकरी जाने की धमकी दी गई। मैंने 50 हजार अपने पास से लगाए। उसके बाद भी 40 रसीद और मांगी गई। जो नहीं कर पाया। 2 सितंबर 2024 को फिर से बेइज्जत किया गया।

कहा गया कि मुझे यहां नहीं रहने दिया जाएगा। भविष्य को लेकर डर और तनाव में हूं। सुसाइड के अलावा कुछ और नहीं दिखाई दे रहा। शायद ये काम (सुसाइड) 31 अगस्त को ही ऑफिस में कर लेता। मगर 12 बजे तक और लोगों के ऑफिस में होने के कारण नहीं कर पाया।

तरूण सक्सेना ने लिखा कि वैभव सर और प्रभाकर सर, पूरे महीने आप लोगों ने बहुत दबाव बनाया। मैंने भी बहुत मेहनत से काम किया। लेकिन, सभी लोकेशन में हालात पहले से खराब थे। इस महीने बारिश से स्थिति और खराब हो गई। फिर भी दिए हुए टारगेट के लिए पूरा प्रयास किया। लेकिन, 23 सितंबर 2024 को मोबाइल लॉक नहीं हुए। ग्राहकों के पास EMI के लिए जाने पर पता चला कि मोबाइल लॉक नहीं हुए। आप दोनों ने भी इसके बारे में नहीं बताया। मोबाइल लॉक न होने पर EMI नहीं आ रही है।

इस माह भी टारगेट पूरा होता नहीं दिख रहा है। लेकिन, आप लोगों को और कंपनी को हर हाल में पूरा चाहिए। टारगेट न होने पर दो महीनों में मेरे साथ जो बर्ताव किया गया, इस बार इससे भी अधिक बुरा होगा। जिसके लिए मैं मानसिक रूप से तैयार नहीं हूं। हम कलेक्शन के कर्मचारी भी इंसान हैं, भगवान नहीं, जिनके लिए सब कुछ संभव हो।

REPORT - RITIK KUMAR