कब्रिस्तान की दीवार के लिए 50 हज़ार की घूस लेते सरकारी कर्मचारी रंगे हाथों गिरफ्तार, मानवता हुई शर्मसार
राजेंद्र उरांव ने चरहु गांव स्थित अल्पसंख्यक मुस्लिम कब्रिस्तान की घेराबंदी परियोजना में 70,000 रुपये की रिश्वत मांगी थी। शिकायतकर्ता इमरान खान ने इस बारे में एसीबी को जानकारी दी।
Jharkhand Government: झारखंड के लोहरदगा में एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने सरकारी कर्मचारी राजेंद्र उरांव को 50,000 रुपये रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया। यह रिश्वत उस कब्रिस्तान की चाहरदीवारी के निर्माण के लिए ली गई थी, जहां एक दिन हर व्यक्ति को मिट्टी में मिल जाना है। राजेंद्र उरांव, जो समेकित जनजातीय विकास अभिकरण (आईटीडीए) के प्रभारी प्रधान सहायक सह नाजिर हैं, पर 24.98 लाख रुपये की परियोजना में आठ प्रतिशत रिश्वत मांगने का आरोप था।
रिश्वतखोरी का खुलासा
राजेंद्र उरांव ने चरहु गांव स्थित अल्पसंख्यक मुस्लिम कब्रिस्तान की घेराबंदी परियोजना में 70,000 रुपये की रिश्वत मांगी थी। शिकायतकर्ता इमरान खान ने इस बारे में एसीबी को जानकारी दी। गहन जांच के बाद, एसीबी ने आरोपों को सही पाया और गुरुवार को उन्हें 50,000 रुपये रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार कर लिया।
एसीबी की कार्रवाई
गिरफ्तारी के बाद, एसीबी ने राजेंद्र उरांव को रांची ले जाकर पूछताछ की। इसके अलावा, उनके सरकारी आवास की भी तलाशी ली गई। इस कार्रवाई ने भ्रष्टाचार के गंभीर मामलों को उजागर किया है, जहां एक महत्वपूर्ण सामाजिक परियोजना को भी रिश्वतखोरी का शिकार बनाया गया।
समाज और प्रशासन पर सवाल
इस घटना ने सरकारी अधिकारियों में व्याप्त भ्रष्टाचार और संवेदनहीनता को सामने रखा है। जिस कब्रिस्तान की घेराबंदी के लिए लोग चंदा और सहायता मांगते हैं, उसी परियोजना में रिश्वतखोरी का मामला सामने आना, नैतिकता और प्रशासनिक ईमानदारी पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
भ्रष्टाचार से लड़ने की जरूरत
यह घटना भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर देती है। एसीबी की कार्रवाई ने जहां एक भ्रष्ट कर्मचारी को गिरफ्तार किया है, वहीं यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।