Gum Disease Alert: मसूड़ों की यह बीमारी दिल, डायबिटीज और फेफड़ों तक पहुंचा सकती है खतरा, आज ही हो जाए अलर्ट

Gum Disease Alert: मसूड़ों से खून आना, बदबू या दांत हिलना पेरियोडोंटाइटिस का संकेत हो सकता है। यह गंभीर मसूड़ों की बीमारी दिल, डायबिटीज, फेफड़े और गर्भावस्था को प्रभावित कर सकती है।

मसूड़ों की बीमारी से दिल को खतरा!- फोटो : social media

Gum Disease Alert: अक्सर लोग मसूड़ों से खून आना, मुंह से बदबू या दांतों का थोड़ा हिलना सामान्य मानकर नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन यही लक्षण पेरियोडोंटाइटिस नाम की गंभीर बीमारी की शुरुआत हो सकते हैं। यह बीमारी धीरे-धीरे बढ़ती है और जब तक दर्द या बड़ा नुकसान दिखता है, तब तक काफी देर हो चुकी होती है।

पेरियोडोंटाइटिस क्या होता है

विशेषज्ञ के अनुसार, जब दांतों और मसूड़ों के बीच प्लाक और बैक्टीरिया लंबे समय तक जमा रहते हैं, तो मसूड़ों में सूजन और संक्रमण शुरू हो जाता है। समय पर सफाई और इलाज न मिलने पर यह संक्रमण मसूड़ों, आसपास के टिशू और जबड़े की हड्डी तक पहुंच जाता है। जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, मसूड़े दांतों से अलग होने लगते हैं और गहरे पॉकेट बन जाते हैं। इन पॉकेट्स में मौजूद बैक्टीरिया खून के जरिए शरीर के दूसरे हिस्सों तक पहुंच सकते हैं।

दिल और दिमाग के लिए क्यों खतरनाक है यह बीमारी

रिसर्च में पाया गया है कि गंभीर मसूड़ों की बीमारी वाले लोगों में हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा ज्यादा होता है। मुंह के बैक्टीरिया दिल की धमनियों तक पहुंचकर सूजन बढ़ा सकते हैं और ब्लड फ्लो को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे हृदय संबंधी समस्याएं बढ़ जाती हैं।

डायबिटीज के मरीजों के लिए दोहरी परेशानी

पेरियोडोंटाइटिस और डायबिटीज एक-दूसरे को बिगाड़ने का काम करते हैं। अगर ब्लड शुगर कंट्रोल में नहीं है, तो मसूड़े जल्दी संक्रमित होते हैं। वहीं मसूड़ों की सूजन शरीर में इंसुलिन के असर को कम कर देती है, जिससे शुगर कंट्रोल करना और मुश्किल हो जाता है। इसका असर किडनी, आंखों और नसों पर भी पड़ सकता है।

फेफड़ों तक पहुंच सकता है संक्रमण

संक्रमित मसूड़ों के बैक्टीरिया सांस के साथ फेफड़ों में जा सकते हैं। इससे निमोनिया और क्रॉनिक फेफड़ों की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, खासकर बुजुर्गों और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों में।

गर्भवती महिलाओं के लिए क्यों जरूरी है सावधानी

गर्भावस्था के दौरान मसूड़ों की बीमारी को नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है। अध्ययनों में पाया गया है कि पेरियोडोंटाइटिस से समय से पहले डिलीवरी और कम वजन वाले बच्चे का खतरा बढ़ जाता है। मसूड़ों में होने वाली सूजन भ्रूण के विकास को प्रभावित कर सकती है।

शरीर की अन्य बीमारियों से भी जुड़ा है संबंध

पेरियोडोंटाइटिस का संबंध गठिया, किडनी की समस्याओं और याददाश्त कमजोर होने जैसी स्थितियों से भी देखा गया है। इसका कारण शरीर में लगातार बनी रहने वाली सूजन और बैक्टीरिया का फैलाव माना जाता है।

क्यों देर से पकड़ में आती है यह बीमारी

इस बीमारी की सबसे बड़ी परेशानी यह है कि शुरुआत में ज्यादा दर्द नहीं होता। हल्का खून आना, मसूड़ों में सूजन या बदबू को लोग मामूली समझकर टाल देते हैं। धीरे-धीरे मसूड़े पीछे हटने लगते हैं और दांत हिलने लगते हैं, तब जाकर समस्या गंभीर रूप ले लेती है।

मसूड़ों को स्वस्थ कैसे रखें

अगर समय रहते सही देखभाल की जाए, तो पेरियोडोंटाइटिस से बचाव संभव है। रोज़ाना सही तरीके से ब्रश करना, दांतों के बीच की सफाई करना, नियमित डेंटल चेकअप और प्रोफेशनल क्लीनिंग बहुत जरूरी है। धूम्रपान से दूरी, डायबिटीज का कंट्रोल और संतुलित आहार भी मसूड़ों की सेहत में अहम भूमिका निभाते हैं।

इलाज से रोकी जा सकती है बीमारी की रफ्तार

शुरुआती स्टेज में डीप क्लीनिंग और दवाओं से बीमारी को कंट्रोल किया जा सकता है। गंभीर मामलों में सर्जरी की जरूरत भी पड़ सकती है। जितना जल्दी इलाज शुरू होगा, दांत और शरीर दोनों को उतना ही कम नुकसान होगा।