Literature:मंजू कुमारी को "पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होलकर साहित्यसेवी सम्मान, तुलसी जयंती समारोह के अंतर्गत साधना का मूल्यांकन
साहित्य की तपस्विनी मंजू कुमारी को "पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होलकर साहित्यसेवी सम्मान" प्रदान किया जाना न केवल उनके साहित्यिक अवदान का सम्मान है, अपितु संपूर्ण साहित्य-जगत के लिए गर्व का विषय है।
Literature:साहित्य सेवा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में मंजू कुमारी को “पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होलकर साहित्यसेवी सम्मान” प्रदान किया जाना न केवल उनके लेखकीय जीवन की गरिमा को रेखांकित करता है, बल्कि यह संपूर्ण साहित्यिक समाज के लिए भी प्रेरणा का स्रोत है। यह सम्मान, सिंहभूम जिला हिन्दी साहित्य सम्मेलन के तत्वावधान में संचालित तुलसी भवन द्वारा प्रतिवर्ष तुलसी जयंती समारोह के अंतर्गत प्रदान किया जाता है। यह आयोजन उन विद्वानों, साहित्यकारों, कला अनुरागियों एवं समाजसेवियों को समर्पित होता है, जिन्होंने साहित्य, संस्कृति एवं समाज के कल्याण हेतु सतत कार्य किया है।
तुलसी भवन साहित्यिक चेतना का वह सुदृढ़ स्तंभ है, जो निरंतर कथा मंजरी एवं काव्य कलश जैसे आयोजनों के माध्यम से शहर के वरिष्ठ एवं नवोदित साहित्यकारों को सृजनात्मक मंच प्रदान करता है। यह मंच न केवल लेखन को सम्मानित करता है, बल्कि भाव, भाषा और विचार के मंथन से साहित्य की धारा को सतत प्रवाहित करता है।
इसी परिप्रेक्ष्य में इस वर्ष के सम्मान का नाम भारतीय इतिहास की महान नारी पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होलकर के नाम पर रखा गया। अहिल्याबाई नारी शक्ति, न्यायप्रियता और सांस्कृतिक चेतना की प्रतीक रही हैं। अतः यह सम्मान उन साहित्यकारों को समर्पित किया जाता है, जिनकी लेखनी सामाजिक सरोकार, नैतिकता, और सांस्कृतिक मूल्यों की स्थापना में समर्पित रही हो।
मंजू कुमारी, जो सेवा-निवृत्त शिक्षिका होते हुए भी साहित्य को केवल शौक नहीं, बल्कि आत्मा का स्वर मानती हैं, उनकी रचनाओं में नारी मन की गहन अनुभूतियाँ, संवेदना, त्याग, कर्तव्यबोध, और संस्कृति की गहराई अभिव्यक्त होती है। उनकी कविताएँ, लघुकथाएँ एवं संस्मरण जीवन के विविध आयामों को उजागर करती हैं।
उन्हें यह सम्मान मिलना न केवल उनकी साधना का मूल्यांकन है, बल्कि यह समस्त साहित्य सेवियों के लिए सम्मान का पल है। यह सम्मान उस आंतरिक आलोक की पहचान है, जो शब्दों में जीवन भर रोशनी बिखेरता है।